बांके बिहारी कॉरिडोर के लिए मंदिर फंड का होगा इस्तेमाल, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ये अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के आसपास 500 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए मंदिर के फंड का उपयोग करने की अनुमति दे दी है.
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बांके बिहारी मंदिर के दान राशि से कॉरिडोर बनाने का रास्ता साफ हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर के आसपास 500 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए मंदिर के फंड का उपयोग करने की अनुमति दे दी है. इसके साथ ही, कोर्ट ने मंदिर के पास 5 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने की भी मंजूरी दी है.सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने ये भी शर्त रखी है कि अधिग्रहित भूमि देवता के नाम पर रजिस्टर्ड होगी.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि बांके बिहारी जी ट्रस्ट ने देवता और मंदिर के नाम से बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करवा रखा है. सरकार इसमें से पैसे लेकर मंदिर के नजदीक कॉरिडोर बनाने के लिए जमीन खरीद सकती है. पीठ ने स्पष्ट कर दिया कि मंदिर और कॉरिडोर के विकास के उद्देश्य से अधिग्रहित भूमि देवता/ट्रस्ट के नाम पर होगी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लगाई थी रोक
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कॉरिडोर विकास के लिए 500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वहन करने का बीड़ा उठाया है. लेकिन उन्होंने जमीन खरीदने के लिए मंदिर के धन का प्रयोग करने का प्रस्ताव रखा था. उस प्रस्ताव को हाईकोर्ट ने 8 नवंबर 23 के आदेश के जरिए नकार दिया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अब इस आदेश में बदलाव कर दिया है और उत्तर प्रदेश सरकार को बांके बिहारी मंदिर के फंड का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है.
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पीठ ने कहा कि वृन्दावन में श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के लिए राज्य सरकार की विकास योजना को न्यायालय की मंजूरी विशेष रूप से बांके बिहारी मंदिर में 2022 की भगदड़ जैसी दुखद घटनाओं के मद्देनजर आई है. इसके कारण कोर्ट को ब्रज क्षेत्र के मंदिरों में व्याप्त व्यापक कुप्रशासन को दुरुस्त करने के लिए संज्ञान लेना पड़ा है. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रभावी मंदिर प्रशासन न केवल एक कानूनी आवश्यकता है बल्कि ये सार्वजनिक और आध्यात्मिक कल्याण का भी मामला है.
पीठ ने कहा कि यद्यपि उत्तर प्रदेश ब्रज योजना एवं विकास बोर्ड क्षेत्र के विकास पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है. लेकिन सार्थक प्रगति के लिए सरकार, मंदिर ट्रस्ट, स्थानीय समुदायों और अन्य हितधारकों के बीच बेहतर तालमेल से सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है. यमुना नदी, केशीघाट, विश्राम घाट और कुसुम सरोवर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भी ध्यान केंद्रित करने और उन्हें सुंदर बनाने की आवश्यकता है. इससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक रूप से संतुष्ट और आरामदायक अनुभव मिल सकेगा.
पीठ ने टिप्पणी की कि मथुरा और वृंदावन ऐतिहासिक और पौराणिक शहर हैं. इनका वर्णन अधिकांश धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. पूरे साल लाखों देसी विदेशी भक्त और सैलानी यहां आते हैं. ऐतिहासिक मंदिरों में दर्शन करने और भगवान कृष्ण और अन्य देवताओं के आशीर्वाद पाने के लिए यहां तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ उमड़ती है. मथुरा और वृंदावन दोनों तीर्थों में भक्तों की बड़ी संख्या को देखते हुए, चौड़ी सड़कें, पार्किंग स्थल, धर्मशालाएं, अस्पताल और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं की आवश्यकता है. उत्तर प्रदेश राज्य/प्रतिवादी संख्या 4 द्वारा गठित ट्रस्ट पहले से ही मथुरा और वृंदावन कॉरिडोर के विकास के लिए बहुत अच्छा काम कर रहा है, और उत्तर प्रदेश विधानमंडल द्वारा अधिनियमित अधिनियम, यानी उत्तर प्रदेश ब्रज योजना और विकास बोर्ड अधिनियम, 2015, दोनों शहरों के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए विकास का प्रावधान करता है. मथुरा और वृंदावन का विकास व्यक्तिगत रूप से पार्टियों द्वारा नहीं किया जा सकता है, चाहे वह मंदिरों का प्रबंधन करने वाले विभिन्न ट्रस्ट हों या फिर सरकार. सरकार, ट्रस्ट, मथुरा और वृंदावन के लोगों और अन्य एजेंसियों द्वारा सामूहिक प्रयास से ही विकास संभव हो सकता है.
न्यायालय ने कहा, 'इन पवित्र स्थलों पर आने वाले सभी तीर्थयात्रियों के लिए शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक यात्रा सुनिश्चित करना आवश्यक है. यमुना नदी जिसे हिंदू धर्म में देवी माना जाता है और जिसे मृत्यु के देवता यम की बहन माना जाता है, पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. क्योंकि यमुना जी को पवित्र करने वाला माना जाता है और इसके पानी में डुबकी लगाने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं. काशी घाट और विश्राम घाट का विस्तार और जीर्णोद्धार करने की आवश्यकता है. इसी तरह, फूलों की झील यानी कुसुम सरोवर जो गोवर्धन पर्वत के पास स्थित है, को भी सुंदर बनाने की आवश्यकता है. संक्षेप में, यह सुनिश्चित करने के लिए एक महान कार्य किया जाना है कि मथुरा और वृंदावन जाने वाले तीर्थयात्री बिना किसी असुविधा के भगवान कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें.'