बांके बिहारी मंदिर न्यास गठन के अध्यादेश को मिली मंजूरी, कौन कौन होगा इसमें शामिल, प्रॉपर्टी का क्या होगा? सब जानिए
उत्तर प्रदेश विधानसभा ने बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट गठन से जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. इसके तहत मंदिर की सभी संपत्तियां, पूजा-पद्धतियां और प्रशासनिक कार्य अब एक ट्रस्ट के अधीन होंगे.
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Banke Bihari Mandir Trust: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन एक अहम फैसला लिया गया है. बांके बिहारी मंदिर न्यास गठन से जुड़े अध्यादेश को सदन की मंजूरी मिल गई है. इसके साथ ही बांके बिहारी कॉरिडोर विधेयक भी पास हो गया है. सरकार ने इसे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देने और मंदिर के व्यवस्थापन को मजबूत बनाने की दिशा में बड़ा कदम बताया है. बता दें कि सरकार की ओर से कहा गया है कि न्यास का गठन स्वामी हरिदास जी की परंपरा को बनाए रखते हुए किया जाएगा और मंदिर में पहले से चली आ रही सभी धार्मिक परंपराएं, रीति-रिवाज और उत्सव बिना किसी बदलाव के जारी रहेंगे.
न्यास को मिलेंगे मंदिर की सभी संपत्तियों पर अधिकार
इस अध्यादेश के कहत अब बांके बिहारी मंदिर से जुड़ी सभी चल-अचल संपत्तियों, दान, चढ़ावे, आभूषण, भूमि, नकद और उपहारों पर न्यास का अधिकार होगा. इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियां, पूजा में प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं, और मंदिर के लिए भेजे गए चेक व ड्राफ्ट भी शामिल होंगे. इसके अलावा न्यास अब मंदिर के दर्शन का समय भी तय करेगा, साथ ही पुजारियों की नियुक्ति, वेतन और भत्ते भी निर्धारित करेगा. द्धालुओं की सुरक्षा, अनुष्ठानों की निगरानी, और मंदिर के प्रभावी प्रशासन की जिम्मेदारी भी न्यास की होगी.
श्रद्धालुओं को मिलेंगी ये सारी सुविधाएं
बता दें कि न्यास गठन के बाद बांके बिहारी मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर और विश्वस्तरीय सुविधाएं दी जाएंगी. मंदिर में वरिष्ठ नाकरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग दर्शन मार्ग बनाया जाएगा ताकि वे बिना किसी कठिनाई के आसानी से दर्शन कर सकें. प्रसाद वितरण केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जिससे श्रद्धालुओं को सुव्यवस्थित रूप से प्रसाद प्राप्त हो सके. इसके अलावा मंदिर परिसर में शुद्ध पेयजल, विश्राम के लिए बेंच, और क्विक एंट्री कियोस्क जैसी आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी ताकि भीड़ प्रबंधन बेहतर हो सके. मंदिर से जुड़ी परंपराओं को ध्यान में रखते हुए गौशालाएं, अन्न क्षेत्र, और रसोईघर भी विकसित किए जाएंगे.
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श्रद्धालुओं के ठहरने और आराम की व्यवस्था के लिए परिसर में होटल, सराय, भोजनालय, प्रतीक्षालय और प्रदर्शनी कक्ष जैसी सुविधाएं भी बनाई जाएंगी. इन सभी व्यवस्थाओं का उद्देश्य यह है कि श्रद्धालुओं को मंदिर दर्शन के दौरान एक आरामदायक, सुव्यवस्थित और श्रद्धापूर्ण अनुभव मिल सके.
कैसी होगी न्यास की संरचना?
बांके बिहारी मंदिर के सुचारु संचालन और व्यवस्थापन के लिए गठित होने वाले न्यास में कुल 18 सदस्य होंगे. इसमें 11 मनोनीत सदस्य और 7 पदेन सदस्य शामिल किए जाएंगे. मनोनीत सदस्यों में विभिन्न धार्मिक परंपराओं और समुदायों से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल किया जाएगा. इनमें वैष्णव परंपरा, सनातन धर्म, और गोस्वामी परंपरा से आने वाले विद्वान, संत, मठाधीश, आचार्य, समाजसेवी या शिक्षाविदों को चुना जाएगा. विशेष रूप से, स्वामी हरिदास जी के वंशजों में से दो प्रतिनिधि—एक राजभोग सेवादारों और एक शयनभोग सेवादारों का प्रतिनिधित्व करेंगे.
पदेन सदस्यों में शासन और प्रशासन से जुड़े अधिकारी होंगे जिनमें मथुरा के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त, ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ, बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के सीईओ, और राज्य सरकार का नामित प्रतिनिधि शामिल होंगे. यदि किसी पदेन सदस्य का धर्म सनातन न हो या वह गैर-हिंदू हो तो उसकी जगह किसी कनिष्ठ सनातनी अधिकारी को नामित किया जाएगा ताकि मंदिर की धार्मिक मर्यादाएं बनी रहें.
बैठक और वित्तीय अधिकार
आपको बता दें कि बांके बिहारी मंदिर न्यास की कार्यप्रणाली को व्यवस्थित बनाए रखने के लिए कुछ अहम नयम तय किए गए हैं. न्यास की बैठक हर तीन महीने में एक बार आयोजित करना अनिवार्य होगा ताकि मंदिर से जुड़े निर्णयों पर समय-समय पर विचार और क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके. हर बैठक के आयोजन से कम से कम 15 दिन पहले सभी सदस्यों को इसकी सूचना देना आवश्यक होगा.
वहीं अगर वित्तीय अधिकारों की बात करें तो न्यास को Rs.20 लाख तक की चल या अचल संपत्ति खरीदने का अधिकार होगा. हालांकि, अगर कोई संपत्ति इस राशि से अधिक की है तो उसके लिए राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति जरूरी होगी.
न्यास का संचालन एक मुख्य कार्यपालक अधकारी (सीईओ) के नेतृत्व में किया जाएगा जो कि एडीएम (अपर जिलाधिकारी) स्तर का अधिकारी होगा. यह सीईओ मंदिर की व्यवस्थाओं की निगरानी और प्रशासनिक फैसलों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी निभाएगा.
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