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कानपुर का कानूनगो आलोक दुबे तो करोड़पति निकला, दिल्ली से नोएडा तक मिलीं 41 प्रॉपर्टी, कैसे बना ये धनकुबेर?

रंजय सिंह

UP News: कानपुर के कानूनगो आलोक दुबे का गजब कांड सामने आया है. अधिकारी करोड़ों का मालिक निकला है.

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UP News: कानपुर में कानूनगो के पद पर तैनात आलोक दुबे का गजब कारनामा सामने आया है. कानूनगो आलोक दुबे के पास से इतना पैसा मिला है, इतनी संपत्तियां मिली हैं, जिससे उसके उच्च अधिकारी भी सकते में हैं. ये कानूनगो करोड़पति निकला है. यहां तक की इसके पास दिल्ली से लेकर नोएडा तक में संपत्तियां मिली हैं.

जांच में खुलासा हुआ है कि आलोक दुबे के पास 41 भू-संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत करोड़ों में है. इस खुलासे से हड़कंप मचा हुआ है. फिलहाल जिला प्रशासन ने आलोक दुबे के खिलाफ कार्रवाई करते हुए, उसे कानूनगो से लेखपाल बना दिया है. मामले में अधिकारी के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया गया है.

कानपुर के आलोक दुबे का गजब कांड

आरोप है कि आलोक दुबे नामक इस अधिकारी ने विभागीय नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए करोड़ों की अचल संपत्ति खड़ी कर ली. जांच रिपोर्ट के अनुसार, विवादित जमीनों पर बैनामा और बिक्री करते हुए आलोक दुबे ने अपने पद का दुरुपयोग किया.

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शिकायत के आधार पर गठित समिति (एडीएम न्यायिक, एसडीएम सदर और एसीपी कोतवाली) ने पाया कि आलोक दुबे ने सिंहपुर कठार और रामपुर भीमसेन की दो ऐसी जमीनों पर वरासत दर्ज कर बैनामा कर दिया, जिन पर कानूनी रोक थी. बाद में इनमें से एक जमीन निजी कंपनी RNG इंफ्रा को बेच दी गई. इसी से पूरा मामला उजागर हुआ.

लंबे समय से चल रहा था खेल

मिली जानकारी के मुताबिक, ये खेल लंबे समय ले चल रहा था. मार्च 2025 में ही आलोक दुबे के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई थी. इसके बाद आरोपी के खिलाफ विभागीय जांच भी बैठी थी. जांच में आरोपी के खिलाफ आरोप भी तय किए गए थे. जांच में सामने आया था कि आलोक दुबे काफी समय से बिना परमिशन के विवादित जमीन खरीद-बेच रहा था. 

कानपुर-दिल्ली और नोएडा में करोड़ों की संपत्तियां

जांच रिपोर्ट में आलोक दुबे को लेकर सनसनीखेज बातें सामने आई हैं. रिपोर्ट में सामने आया है कि आलोक दुबे, उसकी पत्नी और बच्चों के नाम कई संपत्तियां दर्ज हैं. ये संपत्तियां नोएडा और दिल्ली तकस में हैं. इनकी कुल कीमत 50 करोड़ से भी अधिक है.

डीएम ने ये कहा

कानपुर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के आदेशों के बाद आरोपी अधिकारी का डिमोशन कर दिया गया है और उसे लेखपाल बना दिया गया है. मामले में केस भी दर्ज है. इसी के साथ इस पूरे खेल में क्षेत्रीय लेखपाल अरुणा द्विवेदी की भी भूमिका संदिग्ध पाई गई है. फिलहाल मामले की जांच चल रही है.

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