सुपरटेक के ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के लिए पुलिस ने दी NOC, बारूद लगाने का काम होगा शुरू
नोएडा के सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में अवैध रूप से बनाए गए ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण का रास्ता साफ हो गया है. नोएडा पुलिस…
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नोएडा के सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट में अवैध रूप से बनाए गए ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण का रास्ता साफ हो गया है. नोएडा पुलिस ने देर रात ध्वस्तीकरण के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी कर दिया है. माना जा रहा है कि जल्द ही दोनों बिल्डिंगों में विस्फोटक लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा.
पुलिस उपायुक्त मुख्यालय राम बदन सिंह ने बताया कि नोएडा पुलिस ने मंगलवार देर रात ध्वस्तीकरण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया है और बुधवार को नोएडा प्राधिकरण, ध्वस्तीकरण करने वाली कंपनी एडिफिस, सुपरटेक के बिल्डर और पुलिस के अधिकारियों की बैठक होनी है.
उन्होंने बताया कि ऐसी संभावना है कि कल से ध्वस्तीकरण के लिए बारूद लगाने का काम शुरू हो जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सुपरटेक ट्विन टावर 28 अगस्त तक टूटना है. ऐसे में नोएडा प्राधिकरण और ध्वस्तीकरण करने वाली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग ने 21 अगस्त को ब्लास्ट करने का प्लान बनाया था, लेकिन उससे पहले 20 दिनों तक लगातार दोनों बिल्डिंग में विस्फोटक भरे जाने हैं.
यही वजह था कि कंपनी ने 2 अगस्त से लेकर 20 अगस्त तक ट्विन टावर में विस्फोटक भरने का प्लान बनाया था, लेकिन समय पर पुलिस से एनओसी नहीं मिलने के कारण विस्फोटक भरने का काम शुरू नहीं हो पाया.
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हालांकि, मंगलवार देर रात को पुलिस ने एनओसी जारी कर दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही हरियाणा के पलवल से नोएडा विस्फोटक आने शुरू हो जाएंगे और दोनों बिल्डिंग्स में विस्फोटक भरना शुरू कर दिया जाएगा.
आपको बता दें कि ट्विन टावर के दोनों बिल्डिंग के अलग-अलग फ्लोर के पिलर में लगभग 10 हजार होल किए गए हैं, जिसमें विस्फोटक भरा जाना है. बताया जा रहा है कि लगभग 3700 किलो विस्फोटक दोनों बिल्डिंग में भरे जाएंगे, क्योंकि अब एनओसी मिलने में 2 दिन की देरी हुई है.
ऐसे में यह भी कयास लगाया जा रहा है कि ध्वस्तीकरण की तारीख आगे बढ़ सकती है. हालांकि, इस पर आधिकारिक रूप से कोई बयान एडिफिस इंजीनियरिंग और नोएडा प्राधिकरण की तरफ से नहीं आया है.
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें नियमों का कथित तौर पर उल्लंघन कर नोएडा में बनाए गए सुपरटेक लिमिटेड के 40 मंजिला दो टावर को गिराने की जगह वैकल्पिक समाधान का निर्देश देने का आग्रह किया गया था.
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(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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