ताजमहल बनाने में मुगल बादशाह शाहजहां ने कितने रुपये खर्च किए? इतने कि 0 गिनते-गिनते थक जाएंगे
आगरा में स्थित ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेपनाह मोहब्बत मुमताज महल की याद में बनवाया था. 1632 में शुरू हुआ इसका निर्माण 1653 तक चला.
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आगरा में स्थित ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेपनाह मोहब्बत मुमताज महल की याद में बनवाया था. 1632 में शुरू हुआ इसका निर्माण 1653 तक चला. यह सिर्फ एक मकबरा नहीं, बल्कि मुगल स्थापत्य का सबसे खूबसूरत उदाहरण है.

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ताजमहल के निर्माण में लगभग 20,000 कारीगरों ने काम किया, जिनमें शिल्पकार, संगतराश, वास्तुकार, कढ़ाईकार और कलाकार शामिल थे. इसे डिजाइन किया था उस्ताद अहमद लाहौरी ने, जो शाहजहां के दरबार के प्रमुख वास्तुकार थे.

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ताजमहल के पूरे कॉम्प्लेक्स को बनाने में 1653 तक कुल खर्च हुआ था 32 लाख रुपये. उस समय ये रकम अपार थी – इससे पूरे शहर बसाए जा सकते थे.

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सरकारी स्रोतों के अनुसार, 2015 में इस लागत की वैल्यू लगभग ₹52.8 बिलियन (यानी 5,280 करोड़ रुपये) आंकी गई थी. ये रकम आज भी किसी भी बड़ी मेगा प्रोजेक्ट के बराबर है.

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यदि हम महंगाई और रुपये के मूल्य में गिरावट को जोड़ें तो 2025 में ताजमहल की लागत लगभग ₹95 अरब (9500 करोड़ रुपये) से ज्यादा हो सकती है. ये आंकड़ा किसी भी मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को मात दे सकता है.

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ताजमहल में सफेद संगमरमर मकराना (राजस्थान) से मंगाया गया था. इसमें जैस्पर, जेड, लैपिस लाजुली, टर्क्वॉइज़ और नीलम जैसे कीमती पत्थरों की जड़ाई की गई है. कारीगरी में सोने की परत तक इस्तेमाल की गई थी.

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ताजमहल सिर्फ एक मकबरा नहीं बल्कि एक पूरा परिसर है - जिसमें एक मस्जिद, एक गेस्ट हाउस, भव्य बाग-बगिचा और प्रवेश द्वार शामिल हैं. यह पूरी संरचना 17 हेक्टेयर में फैली है और तीन तरफ से दीवार से घिरी है.

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2025 में ताजमहल की अनुमानित लागत चाहे कितनी भी हो जाए, इसकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक कीमत का कोई मूल्यांकन नहीं किया जा सकता. यह भारत की पहचान और विरासत का सबसे अमूल्य रत्न है.