UP Lok Sabha Election 2024: 19 अप्रैल को पहले चरण में इन 8 सीटों पर होगा मतदान, देखें पूरा विवरण
19 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में पहले फेज के तहत 80 में से 8 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी. बता दें कि शुक्रवार को पीलीभीत, सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद और रामपुर लोकसभा सीट के मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे.
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Uttar Pradesh Lok Sabha Polls: 19 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में पहले फेज के तहत 80 में से 8 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी. बता दें कि शुक्रवार को पीलीभीत, सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद और रामपुर लोकसभा सीट के मतदाता अपने मत का प्रोयग करेंगे. बता दें कि पिछले आम चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को इन आठ सीटों में से केवल तीन सीट हासिल हुई थीं. ये 3 सीट पीलीभीत, कैराना और मुजफ्फरनगर थीं. वहीं, समाजवादी पार्टी ने मुरादाबाद और रामपुर सीटें जीतीं, वहीं बहुजन समाज पार्टी को सहारनपुर, बिजनौर और नगीना सीटों पर फतह मिली.
2019, 2014 लोकसभा चुनाव परिणाम
पीलीभीत: पीलीभीत कई दशकों से मेनका गांधी और वरुण गांधी का गढ़ रहा है. 2019 में वरुण गांधी ने यहां रिकॉर्ड 7.04 लाख वोटों के साथ जीत हासिल की. समाजवादी पार्टी के हेमराज वर्मा 4.48 लाख से अधिक वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे. वहीं, 2014 में मेनका गांधी ने 5.46 लाख से अधिक वोटों के साथ पीलीभीत सीट जीती और समाजवादी पार्टी के बुद्धसेन वर्मा को हराकर 52.1 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किए थे.
सहारनपुर: यह निर्वाचन क्षेत्र विविध प्रकार की राजनीतिक घटनाओं का गवाह रहा है, जिसमें शुरुआती प्रभुत्व कांग्रेस का रहा, उसके बाद जनता दल और अन्य पार्टियों का. हालांकि, हाल के दिनों में यह सीट भाजपा के पास से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के पास चली गई है. 2019 में बसपा के हाजी फजलुर रहमान ने 5.14 लाख से अधिक वोटों और 41.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सीट जीती. उनके बाद बीजेपी के राघव लखनपाल रहे, जिन्हें 4.91 लाख वोट मिले. 2014 में, भाजपा के राघव लखनपाल ने 4.72 लाख से अधिक वोटों और 39.6 प्रतिशत वोट शेयर से सीट जीती थी.
कैराना: मालूम हो कि 2018 के उपचुनाव में झटके को छोड़कर, 2014 से कैराना भाजपा का गढ़ रहा है. 2014 में भाजपा के हुकुम सिंह ने 5.65 लाख से अधिक वोटों और 50.6 प्रतिशत वोट शेयर से यह सीट जीती थी. हुकुम सिंह के निधन के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में आरएलडी की तबस्सुम हसन ने सिंह की बेटी मृगांका सिंह के खिलाफ जीत हासिल की, जिन्होंने भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था. आखिरकार, भगवा पार्टी ने 2019 के चुनावों में सीट वापस जीत ली. 2019 में, भाजपा के प्रदीप कुमार ने 5.66 लाख से अधिक वोटों और 50.4 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सीट जीती थी.
मुजफ्फरनगर: 16 लाख मतदाताओं वाला मुजफ्फरनगर 2014 से भाजपा का गढ़ रहा है. 2019 के आम चुनावों में, केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान दिवंगत आरएलडी प्रमुख अजीत सिंह के साथ करीबी मुकाबले में विजयी हुए. जहां बालियान को 5.73 लाख से अधिक वोट और 49.5 प्रतिशत वोट शेयर मिले, वहीं सिंह को 5.67 लाख से अधिक वोट और लगभग 49 प्रतिशत वोट शेयर मिले. 2014 में, बालियान ने बसपा के कादिर राणा को 4.3 लाख से अधिक वोटों के भारी अंतर से हराया. बालियान को 6.53 लाख से अधिक वोट और 59 प्रतिशत वोट शेयर हासिल हुए.
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रामपुर: समाजवादी पार्टी और उसके कद्दावर नेता आजम खान के पूर्व गढ़ में पिछले एक दशक में सपा और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला देखा गया है. 2014 में भाजपा के डॉ. नेपाल सिंह 3.58 लाख से अधिक वोटों और 37.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ विजयी हुए. फिर 2019 में, आजम खान ने 5.59 लाख से अधिक वोटों और 52.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सीट जीती. हालांकि, 2019 के घृणास्पद भाषण मामले में तीन साल की कैद की सजा के कारण खान को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद 2022 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने सीट वापस जीत ली.
मुरादाबाद: पीतल नगरी के नाम से मशहूर यह निर्वाचन क्षेत्र पिछले दशक में समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (बसपा) के बीच झूलता रहा है. 2019 में, समाजवादी पार्टी के डॉ. एसटी हसन ने 6.49 लाख से अधिक वोट हासिल किए और 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर हासिल किया. 2014 में, भाजपा के कुंवर सर्वेश कुमार ने 4.85 लाख से अधिक वोटों और 43 प्रतिशत वोट शेयर से सीट जीती थी.
बिजनौर: बिजनौर निर्वाचन क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें शामिल हैं. पिछले दशक में भाजपा से बसपा में बदलाव देखा गया है. 2019 में बसपा के मलूक नागर ने 5.56 लाख से अधिक वोटों और 51 प्रतिशत वोट शेयर के साथ सीट जीती. 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के कुंवर भारतेंद्र ने 4.86 लाख से ज्यादा वोट और 45.9 फीसदी वोट शेयर हासिल कर यह सीट हासिल की थी.
नगीना: 2019 में बसपा के गिरीश चंद्र ने 5.68 लाख से ज्यादा वोट हासिल कर बीजेपी के यशवंत सिंह को हराया था. हालांकि, सिंह दूसरे स्थान पर रहे क्योंकि उन्हें 4 लाख से अधिक वोट मिले. 2014 के आम चुनावों में, भाजपा के यशवंत सिंह ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से 3.67 लाख से अधिक वोटों और 39 प्रतिशत वोट शेयर के साथ जीत हासिल की थी.
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इन उम्मीदवारों का होगा कल फैसला
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चुनाव क्षेत्र |
एनडीए गठबंधन |
विपक्ष |
पीलीभीत |
जितिन प्रसाद (भाजपा) |
भगवंत सरन गंगवार (सपा), अनीस अहमद खान (बसपा) |
सहारनपुर |
राघव लखनपाल (भाजपा) |
माजिद अली (बसपा), इमरान मसूद (कांग्रेस) |
कैराना |
प्रदीप कुमार (भाजपा) |
श्रीपाल सिंह (सपा), इकरा हसन (सपा) |
मुजफ्फरनगर |
संजीव बालियान (भाजपा) |
हरिन्द्र मलिक (सपा), दारा सिंह प्रजापति (बसपा) |
रामपुर |
-घनश्याम लोधी (भाजपा) |
जीशान खान (बीएसपी) |
मुरादाबाद |
सर्वेश सिंह (भाजपा) |
मो. इरफान सैफी (बसपा) |
बिजनौर |
चंदन चौहान (आरएलडी) |
विजेंद्र सिंह (बसपा), यशवीर सिंह (सपा) |
नगीना |
ओम कुमार (भाजपा) |
सुरेंद्र पाल सिंह (बसपा), मनोज कुमार (सपा) |
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