ओवैसी और पल्लवी पटेल का तीसरा मोर्चा यूपी में बिगाड़ेगा किसका खेल? इन सीटों पर खास नजर
लखनऊ में AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल ने समाजवादी पार्टी के पीडीए फार्मूले के सामने PDM यानी पिछड़ा दलित और मुसलमान न्याय का नया फार्मूला रखत हुए एक नए मोर्चे का ऐलान कर दिया.
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एक तरफ जहां मेरठ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस और सपा समेत सभी विपक्षी दलों को निशाने पर लेकर रैली को संबोधित कर रहे थे तो वहीं दिल्ली के रामलीला मैदान में इंडिया गठबंधन का भी शक्ति प्रदर्शन हो रहा था. लेकिन मेरठ और दिल्ली के बाद लखनऊ में हुआ राजनीतिक घटनाक्रम उत्तर प्रदेश की सियासत के लिए महत्वपूर्ण हो गया. दरअसल, लखनऊ में AIMIM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और अपना दल कमेरावादी की नेता पल्लवी पटेल ने समाजवादी पार्टी के पीडीए फार्मूले के सामने PDM यानी पिछड़ा दलित और मुसलमान न्याय का नया फार्मूला रखते हुए एक नए मोर्चे का ऐलान कर दिया.
यूपी की राजनीति में अब मुस्लिम वोट बैंक को साधने के लिए ओवैसी की एंट्री हो चुकी है. इस बार ओवैसी के साथ पल्लवी पटेल भी खड़ी हैं. ऐसे में बीजेपी के सामने इंडिया गठबंधन और इंडिया गठबंधन के सामने ओवैसी के PDM वाला तीसरा मोर्चा क्या गुल खिलाएगा, बड़ा सवाल बना हुआ है.
PDA के खिलाफ PDM
उत्तर प्रदेश की सियासत में जातीय और धर्म के समीकरण ने सरकारें बनाई और बिगाड़ी हैं. यही वजह है कि आज भी अगडे़ पिछड़े की लड़ाई के साथ-साथ मुस्लिम वोट बैंक को हासिल करना हर सियासी दल की अहमियत में हैं. ऐसे में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का इंडिया गठबंधन जहां एक तरफ बीजेपी के एनडीए से ताल ठोक रहा है. हालांकि इंडिया गठबंधन में बसपा साथ नहीं है. ऐसे में अब मुस्लिम वोटों की सबसे बड़ी राजनीति करने वाली AIMIM ने भी इंडिया गठबंधन और समाजवादी पार्टी के जवाब में पीडीएम यानी पिछड़ा दलित और मुसलमान न्याय मोर्चा बना लिया है.
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पहले चरण में एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ पाएगी तीसरा मोर्चा
ओवैसी के इस मोर्चे में समाजवादी पार्टी से नाराज पलवी पटेल भी शामिल हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन का मतलब सिर्फ सपा और कांग्रेस रह गया है. बता दें कि ओवैसी और पल्लवी पटेल ने मिलकर बीजेपी और इंडिया गठबंधन से इतर तीसरे मोर्चे का ऐलान कर दिया है. लेकिन ओवैसी और पल्लवी पटेल का यह तीसरा मोर्चा तब बना जब पहले चरण की 8 सीटों का नामांकन खत्म हो चुका है. वहीं दूसरे चरण की 8 सीटों का नामांकन तीन दिन बाद यानी 4 अप्रैल को खत्म हो जाएगा. ऐसे में तीसरे मोर्चे के सामने बाकी बची 5 चरणों की 64 सीट लड़ने के लिए बचती है.
इन सीटों पर बिगाड़ सकती है खेल
बात अगर पहले चरण की 8 सीटों की करें तो इन सीटों में सहारनपुर, कैराना, मुरादाबाद, रामपुर और मुजफ्फरनगर में मुस्लिम मतदाता सर्वाधिक और निर्णायक भूमिका में हैं. वहीं दूसरे चरण की 8 सीटों में अमरोहा, मेरठ, अलीगढ़ मुस्लिम वोट बैंक की सीट मानी जाती है. वहीं तीसरे मोर्चे में अभी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ा जाएगा? कितनी सीट पर पल्लवी पटेल चुनाव लड़ेंगी? कितनी सीट पर एआइएमआइएम चुनाव लड़ेगा या तीसरे मोर्चे में शामिल अन्य दल चुनाव लड़ेंगे यह अभी साफ नहीं है. सीटों के बंटवारे के लिए तीसरे मोर्चे की एक और बैठक तस्वीर साफ करेगा.
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मुस्लिम वोटों पर नजर
मुस्लिम वोट बैंक वाली सीटों के नामांकन के बाद बनें तीसरे मोर्चे पर एआईएमआईएम के राष्ट्रीय प्रवक्ता आसिम वकार ने कहा कि हमारी ताकत पूर्वांचल में भी उतनी ही है जितनी पश्चिम में है. पल्लवी पटेल के साथ नाइंसाफी हुई उनका हक नहीं मिला, जिसकी वजह से वह हमारे साथ हैं. हमारी लड़ाई पिछड़ा दलित और मुसलमान के हक के लिए है. वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नेता अमिक जमई आरोप लगाते हैं की ओवैसी इस सांप्रदायिकता के बिगड़े माहौल में पेट्रोल डालने का काम कर रहे हैं .
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