राजा भैया ने कौशांबी में BJP को फंसाया? वोटिंग के बाद वहां के पत्रकारों ने अंदर की बात बता दी
Kaushambi Lok Sabha: कौशांबी लोकसभा सीट से भाजपा ने विनोद सोनकर तो वही समाजवादी पार्टी ने पुष्पेंद्र सरोज को चुनावी मैदान में उतारा था. कौशांबी में ही कुंडा विधानसभा सीट आती है. इस क्षेत्र में राजा भैया का काफी प्रभाव है. कौशांबी के पत्रकारों ने चुनाव को लेकर काफी हैरान कर देने वाली बात बताई हैं.
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Kaushambi Lok Sabha: बाहुबली राजा भैया का क्षेत्र कुंडा कौशांबी लोकसभा क्षेत्र में आता है. उनका प्रसिद्ध बेंती महल भी कुंडा में ही है. कुंडा रियासत के युवराज, राजा भैया को अपने पाले में लेने की कोशिश भाजपा और सपा, दोनों ने की. भाजपा के कई नेता तो राजा भैया से मिलने उनके महल भी पहुंच गए. मगर अंदरखाने बाहुबली राजा भैया ने सपा प्रत्याशी को अपना समर्थन दे दिया और वोट डालने के बाद यहां तक कह डाला कि भाजपा से लोग नाखुश हैं.
ऐसे में कौशांबी लोकसभा का चुनाव काफी दिलचस्प हो गया. राजा भैया के संकेत और बयानों के बाद से सभी की नजर कौशांबी लोकसभा सीट पर आ टिकी. इसी बीच UP Tak ने वहां के पत्रकारों से जानने की कोशिश की कि आखिर कौशांबी में कमल खिला या साइकिल दौड़ी? जानने की कोशिश की कि राजा भैया के समर्थन के बाद चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहा? इस दौरान वहां के पत्रकारों ने अंदर की सारी कहानी हमें बता दी.
'राजा भैया ने भाजपा के साथ खेल कर दिया'
कौशांबी के पत्रकार अफताब आलम ने कहा, इस बार यहां का चुनाव जातिगत है. लोगों ने इस बार प्रत्याशियों को भी देखा है. राजा भैया को लेकर उन्होंने कहा, राजा भैया ने अंदरखाने समाजवादी पार्टी को समर्थन दिया है. जिस तरह से उनके समर्थकों की वीडियो सामने आई है, उससे ये बात पक्की है कि राजा भैया के समर्थकों ने सपा को ही वोट दिया है. ऐसे में सपा की राह आसान हुई है. मगर फिर भी यहां कांटे की टक्कर है. अफताब आलम ने आगे कहा, मेरे हिसाब से सपा यहां भारी लग रही है.
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‘सांसद से खुश नहीं यहां के लोग’
पत्रकार अभिसार भारती ने कहा, यहां के मौजूदा सांसद 2014 और 2019 में जीते. पिछले 10 सालों से सांसद थे. मगर उनको लेकर जनता के मन में काफी शंका थी. दूसरी तरफ सपा के प्रत्याशी काफी युवा हैं. ऐसे में यहां के युवाओं ने सपा के पुष्पेंद्र सरोज को अपना समर्थन दिया है. अभिसार भारती ने आगे कहा, मेरे हिसाब से महिलाओं ने भी परिवर्तन के लिए वोट किया है. पत्रकार ने आगे कहा, भाजपा सांसद विनोद सोनकर ने विकास कार्य किया मगर एंटी इनकंबेंसी उनपर भारी पड़ गई. मेरे हिसाब से यहां सपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है.
पत्रकार अजय कुमार ने बताया, यहां के वोटर्स को देखकर ऐसा लगा कि वह बदलाव चाहते हैं. यहां भाजपा सांसद ने काम तो किए मगर पिछले 5 सालों में वह जनता के बीच गायब हो गए. दूसरी तरफ सपा उम्मीदवार काफी युवा हैं. फस्ट टाइम वोटर्स का वोट सपा की तरफ गया. यहां कांटे की टक्कर है. अभी कुछ नहीं कहा जा सकता कि यहां किसका पलड़ा भारी है. दोनों के बीच तगड़ी लड़ाई है. अजय कुमार ने ये भी कहा कि इस बार बसपा का कैंडर वोटर्स भी सपा-बसपा और भाजपा में बंट गया.
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