बिना वोटिंग के BJP के मुकेश दलाल ने जीता चुनाव, 2012 में डिंपल यादव भी ऐसे ही बन चुकी हैं विजेता
2012 के यूपी विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी को शानदार जीत हासिल हुई. जीत के बाद अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने, जिसके कारण उन्हें कन्नौज लोकसभा सीट को खाली करना पड़ा.
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Uttar Pradesh News : लोकसभा चुनाव ने नतीजे तो 4 जून को आएंगे और उस दिन पता चलेगा की देश में किसकी सरकार बनने वाली हैं. पर चार जून से पहले सूरत लोकसभा सीट का नतीजा सामने आ गया है और रिजल्ट से पहले भाजपा ने अपना खाता भी खोल लिया है. बता दें कि बीजेपी के मुकेश दलाल इस लोकसभा चुनाव में निर्विरोध जीतने वाले पहले उम्मीदवार बन गए हैं. ऐसा ही कुछ कारनामा साल 2012 में कन्नौज लोकसभा सीट पर हुआ था, यहां से डिंपल यादव निर्विरोध चुनवा जीतकर पहली बार देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा में पहुंची थीं.
2009 में हुई कहानी की शुरुआत
बता दें कि 2009 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव फिरोजाबाद और कन्नौज दोनों लोकसभा सीटों से चुनावी मैदान में थे. जब नतीजे सामने आए तो उन्होंने दोनों सीटों पर जीत हासिल की. वहीं अखिलेश ने दिल्ली जाने के लिए कन्नौज का रास्ता चुना और फिरोजाबाद सीट खाली कर दी. फिरोजाबाद सीट खाली होने के बाद वहां उपचुनाव हुए और सपा ने डिंपल यादव को अपना उम्मीदवार बनाया. यहां डिंपल का सामना सपा से निकले राज बब्बर के साथ हुआ. राज बब्बर ने यह चुनाव कांग्रेस के टिकट से लड़ा था। अपने पहले चुनाव में डिंपल को हार का स्वाद चखना पड़ा था. इसे बड़ा उलटफेर माना गया था. जिस सीट से अखिलेश ने कुछ महीने पहले जीत हासिल की थी, वहां से डिंपल यादव चुनाव हार गईं.
पहली बार डिंपल ने जीता चुनाव
फिर 2012 में डिंपल कन्नौज से दूसरा उपचुनाव लड़ीं. इसमें वह निर्विरोध चुनी गईं. बता दें कि 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी को शानदार जीत हासिल हुई. जीत के बाद अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने, जिसके कारण उन्हें कन्नौज लोकसभा सीट को खाली करना पड़ा. कन्नौज में सपा ने डिंपल यादव को फिर अपना उम्मीदवार बनाया. सपा ने पहली बार डिंपल को संसद पहुंचाने के लिए काफी प्रयास किया. इस उपचुनाव में बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा. एक छोटी पार्टी और एक निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे. उन दोनों को नामांकन वापस ले लिया. ले-देकर बीजेपी बची थी. हालांकि, बीजेपी कैंडिडेट नॉमिनेशन ही दाखिल नहीं कर पाए थे. जिसके बाद डिंपल यादव पहली बार जीत कर लोकसभा पहुंची.
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