संभल में विनोद ने 3000 देकर पिता की उम्र कराई 21 साल कम, जिन्होंने आधार में घोटाला किया उनके बारे में ये पता चला
Sambhal Crime News: यूपी के संभल में पुलिस ने एक ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है जो बिना दस्तावेज के आधार में उम्र, पता और मोबाइल नंबर बदल रहा था. आरोपी विनोद की गिरफ्तारी से खुला आधार अपडेट घोटाले का मामला.
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न्यूज़ हाइलाइट्स
मृत बेटे के नाम पर ट्रैक्टर बेचने और पॉलिसी का लाभ लेने से खुला मामला.
आरोपी विनोद के मोबाइल से पता चला फर्जी आधार अपडेट का जाल.
पुलिस ने 4 आरोपियों को किया गिरफ्तार, कई जिलों में फैला था रैकेट.
Sambhal Crime News: 2 मार्च 2025 को थाना बहजोई में एक गंभीर धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई. चन्द्रसैन नामक शख्स (निवासी ग्राम बहरौली) ने आरोप लगाया कि विनोद पुत्र पंचम सिंह ने उनके मरणासन्न बेटे के नाम पर एक ट्रैक्टर धोखाधड़ी से खरीदा. बेटे की मौत के बाद वह ट्रैक्टर किसी अन्य व्यक्ति को गैरकानूनी रूप से बेच दिया. यही नहीं, विनोद ने अपने पिता की पहचान से कूट रचित दस्तावेज तैयार कर पीएमजेजेवाई (प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना) के तहत पॉलिसी भी करवाई और उससे लाभ उठाया. इस तहरीर पर बहजोई थाने में मुकदमा दर्ज किया गया और पुलिस ने मामले की जांच शुरू की. अब इसी मामले की जांच में पुलिस को एक बड़े घोटाले की जानकारी मिली. खबर में जानें क्या है यह पूरा मामला?
विनोद के मोबाइल से मिला आधार घोटाले का सुराग
जब पुलिस ने आरोपी विनोद से पूछताछ की और उसका मोबाइल फोन जांचा, तो उसमें पंचम सिंह (विनोद के पिता) के दो अलग-अलग आधार कार्ड मिले. दोनों का आधार नंबर एक ही था (...1691), लेकिन जन्मतिथि अलग-अलग थी. एक में जन्मतिथि 01.01.1955 और दूसरे आधार कार्ड में 01.07.1976 थी.
यह भी पाया गया कि पंचम सिंह का आधार कार्ड, विनोद के मोबाइल से लिंक था. जब UIDAI की वेबसाइट पर आधार की अपडेट हिस्ट्री देखी गई, तो स्पष्ट हुआ कि जन्मतिथि में जानबूझकर बदलाव कर उम्र 21 वर्ष घटाई गई. पूछताछ में विनोद ने बताया कि उसने एक व्यक्ति को ₹3000 देकर ऐसा करवाया था, ताकि पिता की उम्र 50 साल से कम दिखाई दे और वह पीएमजेजेवाई पॉलिसी ले सके.
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इसके लिए उसने कोई दस्तावेज नहीं दिया, बल्कि कुछ लोग उसके घर आकर पिता के फिंगरप्रिंट व विवरण एक मशीन पर लेकर चले गए.
गिरोह का भंडाफोड़- 4 आरोपी गिरफ्तार
गहन जांच में सामने आया कि विनोद अकेला नहीं था, बल्कि उसके पीछे एक पूरी गैंग काम कर रही थी जो आधार कार्ड में उम्र, पता और मोबाइल नंबर बदलवाने का अवैध धंधा कर रही थी. पुलिस ने इस रैकेट से जुड़े 4 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया है.
कैसे काम करता था फर्जी आधार अपडेट का रैकेट?
2023 में गिरोह का संचालन शुरू हुआ. सबसे पहले आशीष, जो पहले आधार अपडेट का काम करता था, उसकी मुलाकात कासिम नामक व्यक्ति से हुई. कासिम ने बताया कि बड़ी कमाई का रास्ता फर्जी आधार अपडेट में है. बहुत लोग हैं जिन्हें अवैध रूप से उम्र या पता बदलवाना होता है, और वे हजारों रुपये देने को तैयार होते हैं.
कासिम ने फिंगरप्रिंट स्कैनर को मॉडिफाई करने का तरीका सिखाया ताकि लोग घर बैठे ही अपने आधार की जानकारी बदलवा सकें. इसके लिए इन लोगों ने मंत्रा ब्रांड की स्कैनिंग मशीनों में बदलाव किया और फर्जी वेबसाइट बनाई, जो आधार पोर्टल जैसी दिखती थी.
वेब डेवलपर भी गैंग का हिस्सा
इस पोर्टल को इन लोगों ने अपने ही एक सदस्य से बनवाया जो कोडिंग और वेब डिजाइनिंग में माहिर था. रिटेलर्स इस पोर्टल पर लोगों के फिंगरप्रिंट और डाटा इकट्ठा करते थे और गैंग को भेजते थे.
असली आधार ऑपरेटर की ID से लॉगिन
जैसा कि आधार में बदलाव करने के लिए केवल अधिकृत ऑपरेटर की आईडी से ही काम हो सकता है, तो गैंग इन ऑपरेटरों को या तो प्रलोभन देकर या धोखाधड़ी से उनका एक्सेस लेती थी.
इसके लिए उन्होंने:
- ऑपरेटर की आईरिस स्कैन की फोटो चोरी की
- फिंगरप्रिंट का रबर प्रिंट तैयार किया
- जीपीएस डिवाइस को निष्क्रिय किया ताकि कोई भी कंप्यूटर अधिकृत दिखे
- और लॉगिन के लिए ऑपरेटर से OTP पूछकर सिस्टम में घुस जाते थे
- बिना दस्तावेज के उम्र में बदलाव
पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि ये लोग दस्तावेज मांगते ही नहीं थे, बल्कि खुद ही फर्जी जन्म प्रमाण पत्र तैयार करते थे. एक साल में गिरोह ने:
- 400 से ज्यादा लोगों के आधार में बदलाव कराया
- 1500 से ज्यादा आधार से मोबाइल नंबर बदले
- जब जन्म प्रमाण पत्र से काम नहीं बना, तो पासपोर्ट बनाया
- दिसंबर 2024 के बाद जब जन्म प्रमाण पत्र से बदलाव नहीं हो पा रहे थे, तो गैंग ने फर्जी पासपोर्ट बनाने शुरू किए. इसके लिए खुद का पोर्टल https://passport.rtpsseva.online बनवाया गया.
- आशीष ने बताया कि उसने फरवरी 2025 में 20 से अधिक फर्जी पासपोर्ट बनवाए, जिनमें से 4-5 मामलों में उसे सफलता मिली.
देशभर में फैला था नेटवर्क
गैंग का लीडर आशिष था, जिसके 200–300 रिटेलर्स देशभर में फैले थे, जो बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक फैले हुए थे. ये रिटेलर्स वेबसाइट व व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिये ग्राहकों से संपर्क कर, उनका डाटा इकट्ठा कर गिरोह को भेजते थे, और फिर आशिष ऑपरेटर की ID का इस्तेमाल कर फर्जी बदलाव कर देता था.
क्या-क्या बरामद हुआ?
- फर्जी दस्तावेज
- रबर पर बने फिंगरप्रिंट
- ऑपरेटर की आईरिस इमेज
- स्कैनिंग मशीन
- कोडिंग व पोर्टल से जुड़े डाटा समेत अन्य सामान बरामद हुआ है.











