सिलिंडर महंगा पड़ रहा, सरकारी आवास में विधायक ने मांगा लकड़ी-कोयले वाला चूल्हा

यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. विपक्षी पार्टियां सत्ता में बैठी बीजेपी पर लगातार हमला बोल रही हैं. महंगाई के मुद्दे पर पेट्रोल-डीजल…

यूपी में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. विपक्षी पार्टियां सत्ता में बैठी बीजेपी पर लगातार हमला बोल रही हैं. महंगाई के मुद्दे पर पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दामों को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार प्रदर्शन कर रही हैं. कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने गैस के बढ़ते दाम देखते हुए अनोखी मांग की है.

कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने व्यवस्था अधिकारी को पत्र लिख कर उनके सरकारी आवास में लकड़ी और कोयला से संचालित होने वाला चूल्हा लगाने की व्यवस्था कराने के लिए कहा है.

बहुखंडी विधायक निवास के ब्लॉक B-401 में रह रहे कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने संपत्ति विभाग के व्यवस्था अधिकारी को पत्र लिखा है. दीपक सिंह ने अपने पत्र में मांग की है की उनके आवास के साथ-साथ बहुखंडी विधायक निवास के सभी 3 ब्लॉकों में लकड़ी और कोयले से खाना बनाने के लिए चूल्हे का इंतजाम किया जाए.

दीपक सिंह ने कहा, “आज ₹975 का गैस सिलेंडर महीने में दो बार बदलवाना पड़ता है जो काफी महंगा साबित हो रहा है. ऐसे में गैस सिलेंडर की बजाय जलौनी लकड़ी और कोयला से ₹500 में महीने भर काम चल जाएगा.”

इस पत्र पर यूपी तक ने दीपक सिंह से सवाल पूछा कि जलोनी लकड़ी और कोयले से ₹500 में महीने भर कैसे चलेगा?

इस सवाल के जवाब में उन्होंने हिसाब बताते हुए कहा, “आज ₹800 कुंटल कोयला है और ₹300 कुंटल जलौनी लकड़ी. 100 ग्राम कोयले और लकड़ी से 4 एक सदस्यीय परिवार का खाना बन जाता है.”

दीपक सिंह ने उदाहरण देते हुए कहा कि बख्शी का तालाब इलाके में रहने वाले उनके करीबी मित्र के घर में चूल्हे पर ही खाना बनता है और ₹300 महीने का खर्च आता है. उन्होंने कहा, “मैं विधायक हूं ज्यादा लोग मिलने आते हैं इसलिए मैंने ₹500 का बजट आकलन किया है.”

दीपक सिंह ने अपने पत्र में लिखा है कि उनकी तरह A,B,C ब्लॉक में रहने वाले अधिकांश विधायक भी चूल्हा बनवाना चाहते हैं, क्योंकि 2024 से पहले गैस सिलेंडर के बढ़े दामों से निजात मिलने की कोई संभावना नहीं है.

महीने में दो बार सिलेंडर बदलवाने पर बजट बिगड़ता है

दीपक सिंह ने कहा कि उनके परिवार में वह, उनकी पत्नी, दो बच्चे और बड़े भाई के दो बच्चे साथ रहते हैं. एक ड्राइवर, दो गनर और एक शैडो का भी खाना बनता है. ऐसे में कम से कम 10 लोगों का खाना गैस पर बनाना काफी महंगा साबित होता है. उन्होंने कहा कि महीने में दो बार सिलेंडर बदलवाने पर बजट बिगड़ता है.

उन्होंने कहा कि चूल्हे पर कोयले और लकड़ी से खाना बनाकर वह अपने बजट को नियंत्रित करेंगे. विधायक के मुताबिक, इस महंगाई के दौर में वह कम आय वाले लोगों के लिए एक रास्ता भी दिखा रहे हैं कि कैसे बढ़तें गैस के दामों छुटकारा पाया जा सकता है.

रिपोर्ट: संतोष कुमार

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