69000 शिक्षक भर्ती मामले पर HC के फैसले के बाद क्या 18000 की नौकरी जाएगी? एक-एक पॉइंट समझिए
उत्तर प्रदेश में 69000 शिक्षक भर्ती मामले में हाई कोर्ट के फैसले के बाद 18,000 शिक्षकों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है. जानिए इस फैसले के प्रमुख बिंदु और कैसे यह शिक्षकों के भविष्य को प्रभावित कर सकता है.
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Uttar Pradesh 69000 Teacher Recruitment: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश में सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा (एटीआरई) के तहत 69 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट की डबल बेंच ने जून 2020 में जारी चयन सूची और 6800 अभ्यर्थियों की पांच जनवरी 2022 की चयन सूची को दरकिनार कर नए सिरे से सूची बनाने के आदेश दिए हैं. क्या हाई कोर्ट के इस फैसले से पहले से चयनित शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है? हाई कोर्ट के फैसले का फायदा किसे है और इसका नुकसान कौन उठाएगा? ऐसे सारे सवालों का जवाब ढूंढने के लिए यूपी Tak ने बात की 69000 शिक्षक अभ्यर्थी संघ के अध्यक्ष सुशील कश्यप से, उन्हीं से पॉइंट टू पॉइंट इस पूरे मामले को समझिए.
सुशील कश्यप ने यूपी Tak को सिलसिलेवार पूरी कहानी बताई. असल में उत्तर प्रदेश सरकार 5 दिसंबर 2018 को 69000 शिक्षक भर्ती का एक विज्ञापन निकलती है. इसमें 4 लाख 21हजार अभ्यर्थी आवेदन करते हैं. वहीं, 4 लाख 10,000 अभ्यर्थी इसकी परीक्षा देते हैं. 6 जनवरी 2019 को इसकी परीक्षा होती है, जिसमें 1 लाख 46 हजार 60 कैंडिडेट्स पास घोषित किए जाते हैं.
शिक्षक भर्ती में ओबीसी और एससी आरक्षण से हुआ खिलवाड़?
इसके बाद 1 जून 2020 को 67,867 शिक्षकों के चयन की लिस्ट जारी की जाती है. सुशील कश्यप के मुताबिक, 'परीक्षा के बाद जो मेरिट लिस्ट सरकार के द्वारा बनाई जाती है उसमें क्वालिटी पॉइंट को छुपा लिया गया और उत्तर प्रदेश में आरक्षण की जो व्यवस्था है जिसमें ओबीसी को 27 % एससी को 21 % रिजर्वेशन नही दिया गया. हम लोगों ने विभाग के अधिकारी से लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग तक इसकी शिकायत कर बताया की ओबीसी को सिर्फ 3.86% और एससी को 16.2% का कोटा ही मिला.'
उन्होंने आगे बताया, 'जब हमारी तरफ से हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में एक पिटीशन फाइल की गई तो सरकार की तरफ से काउंटर दाखिल किया गया जिसमें कहा गया कि इस भर्ती में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. लेकिन हम लोगों ने सुनवाई के दौरान कोर्ट में तमाम तथ्य रखे. इसी दौरान विधानसभा चुनाव आ गए और 5 जनवरी 2022 को सरकार की तरफ से कहा गया कि मेरिट लिस्ट में आरक्षण का सही से पालन नही किया गया. 6800 की सीटों का आरक्षित वर्ग को नुकसान हुआ है और 6800 व्यक्तियों की एक लिस्ट जारी कर दी.'
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सुशील कश्यप का दावा- 6800 नहीं, करीब 18000 रिजर्व कैटिगरी के कैंडिडेट्स का नुकसान
सुशील कश्यप का दावा है कि, 'इसमें नुकसान 6800 कैंडिडेट का नहीं हुआ बल्कि करीब 18000 रिजर्व कैटिगरी अभ्यर्थियों का है. 13 मार्च 2023 को हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने इस 6800 की लिस्ट को भी रद्द कर दिया और आरक्षण के नियमों का पालन करते हुए नई लिस्ट जारी करने को कहा. साथ ही, कहा कि जो मेधावी अभ्यर्थी सामान्य के बराबर क्वालिटी पॉइंट को पाते हैं, उनकी गिनती आरक्षित वर्ग में ना करके सामान्य में की जाए. लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने सिंगल बेंच के आदेश को नहीं माना जिसकी वजह से स्पेशल अपील दाखिल करनी पड़ी.'
हाई कोर्ट की डबल बेंच के आदेश पर सुशील कश्यप ने ये बताया
सुशील कश्यप ने आगे बताया, 'इसके बाद हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई के बाद अपना आदेश दिया है कि नई लिस्ट बनाई जाए जिसमें अभ्यर्थी का नाम, अभ्यर्थी के पिता का नाम, उसका रजिस्ट्रेशन नंबर, उसकी जन्मतिथि, उसके कितने नंबर है ,किस वर्ग में चयन है , सब कुछ बताते हुए लिस्ट जारी की जाए. सरकार के अफसरो ने पॉइंट्स छिपा कर ही घोटाला किया. अगर यह पॉइंट बता देते तो ये घोटाला नहीं कर पाते.'
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इस फैसले के बाद कितने शिक्षकों की नौकरी जाएगी?
सुशील कश्यप के मुताबिक, 'सरकार ने 67867 की लिस्ट जारी की है. वे सभी नौकरी कर रहे हैं, लेकिन हाईकोर्ट सुनवाई के दौरान उनके चयन पर रोक लगाई थी. फिर सरकार ने एफिडेविट देकर कहा था कि यह भर्ती इस मुकदमे के निर्णय के अधीन होगी. यानी सरकार इस मुकदमे के निर्णय को मानेगी. इस निर्णय से करीब 18000 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को लाभ होगा. जो 18000 लोग गलत नौकरी पा गए हैं, उनको न्यायपालिका के आदेश के बाद बाहर किया जाएगा.'
सुशील कश्यप कहते हैं, 'सरकार ने शिक्षकों की कमी का हवाला देकर बच्चों के भविष्य की दलील पर नियुक्ति की थी. भर्ती पर तो कोर्ट पहले ही दिन से रोक लगा रही थी, इसलिए जो गलत तरीके से नियुक्त हुए हैं, उन्हीं की नौकरी खतरे में है. इसमें सामान्य वर्ग से चयनित अभ्यर्थियों की ही नौकरी जाएगी, आदेश हुआ है कि अगर हम आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी हैं, लेकिन हमारे नंबर सामान्य के बराबर आते हैं तो हमारी गिनती आरक्षित की बजाय सामान्य में की जाएगी. 50 फीसदी जो सामान्य कोटा होता है, वह सभी वर्ग के लिए होता है. किसी वर्ग विशेष के लिए नहीं होता. जो आरक्षित वर्ग की सीट खाली होगी, उसमें आरक्षित वर्ग की मेरिट में के नीचे का कैंडिडेट मेरिट में ऊपर आ जाएगा.'
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