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सुप्रीम कोर्ट से सुपरटेक को बड़ा झटका, 40 मंजिला ट्विन टावर को ध्वस्त करने का आदेश

यूपी तक

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को रियल स्टेट कंपनी सुपरटेक को बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक बिल्डर को नोएडा सेक्टर 93 में बनाए गए सुपरटेक एमराल्ड 40 मंजिला ट्विन टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया है. दोनों टावर को अगले 3 महीने के अंदर ध्वस्त करना होगा. इसके अलावा बिल्डर को फ्लैट खरीदारों को ब्याज सहित पैसा लौटाना का आदेश दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में नोएडा अथॉरिटी पर भी सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि नोएडा प्राधिकरण ने बिल्डर की मनमानी में सहयोग दिया है.

4 अगस्त को मामले में अंतिम सुनवाई हुई थी

सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के नोएडा एक्सप्रेसवे पर स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के अपैक्स और सियान टॉवरों को अवैध ठहराया है. दोनों 40 मंजिला टावरों को ढहाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कंपनी को फ्लैट खरीदारों को ब्याज के साथ पैसे वापस करने का आदेश दिया है. चार अगस्त को इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई हुई थी. सभी पक्षों की बहस सुनने और तर्कों पर विचार करने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. मंगलवार की सुबह डीवाई चंद्रचूड़ और अहमद शाह की अदालत ने अपना फैसला सुनाया है.

तीन महीने के भीतर तोड़ें अवैध टावर

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि नोएडा में सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट में लगभग 1,000 फ्लैटों वाले ट्विन टावरों का निर्माण नियमों का उल्लंघन करके किया है. नोएडा अथॉरिटी ने भी बिल्डर की मनमानी में सहयोग दिया है. एमरॉल्ड कोर्ट में पहले से घर खरीदकर निवास कर रहे लोगों के हकों पर डाका नहीं डालने दिया जा सकता है. अदालत ने आदेश में कहा है कि सुपरटेक अपनी लागत से 3 महीने की अवधि के भीतर इसे तोड़ेगा. मतलब इस ध्वस्तिकरण पर होने वाले खर्च का वहन भी सुपरटेक को करना पड़ेगा. नोएडा अथॉरिटी को भी इस ध्वस्तिकरण पर निगरानी करने और रिपोर्ट अदालत को देने का आदेश दिया गया है.

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फ्लैट मालिकों को ब्याज समेत पैसे लौटाना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को आदेश देते हुए कहा है कि नोएडा में ट्विन टावरों के सभी फ्लैट मालिकों को 12 फीसदी ब्याज के साथ पैसे वापस किए जाएं. अदालत को सुपरटेक ने बताया था कि ट्विन टावर में 633 परिवारों ने फ्लैट बुकिंग की थी. इनमें से 133 खरीददार सुपरटेक की दूसरी परियोजनाओं में चले गए हैं. बाकी 500 खरीदारों में से 248 ने अपना पैसा वापस ले लिया है. मतलब, उनकी बुकिंग कैंसिल कर दी गई हैं. अभी 252 घर खरीदार परियोजना में बाकी हैं. अदालत ने आदेश दिया है कि इन 252 खरीदारों को 12 फीसदी ब्याज के साथ पूरी धनराशि वापस लौट आनी होगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगा ठप्पा

जब सुपरटेक बिल्डर ने एमराल्ड कोर्ट परियोजना में ट्विन टावर का निर्माण शुरू किया था तो इसके खिलाफ स्थानीय निवासियों ने विकास प्राधिकरण में शिकायत की थी. नोएडा अथॉरिटी ने इस अवैध निर्माण पर कोई संज्ञान नहीं लिया. अंततः एमरॉल्ड कोर्ट अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. करीब 2 साल तक सुनवाई चलने के बाद वर्ष 2019 में हाईकोर्ट ने ट्विंस टावर को अवैध करार दिया. इन्हें तोड़ने का आदेश सुनाया. इस फैसले के खिलाफ बिल्डर और ट्विंस टावर में घर खरीदने वाले लोग सुप्रीम कोर्ट चले गए. अब 2 साल से सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा था. अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले पर अपनी मुहर लगाई है.

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