मेष से लेकर मीन राशि के लोग सावन की शिवरात्रि पर ऐसे करें पूजा, पूरी हो जाएगी मुराद!

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सावन शिवरात्रि 2 अगस्त यानी आज है. बता दें कि सावन की शिवरात्रि काफी खास होती है. ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की शादी हुई थी. इसी दिन भगवान शिव ने साकार रूप धारण किया था. तब से हर महीनें इस तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है. सावन की शिवरात्रि को लेकर श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष (ज्योतिषाचार्य) महंत रोहित शास्त्री ने खास जानकारी दी है. महंत रोहित शास्त्री के अनुसार मासिक शिवरात्रि आज दोपहर 3 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी और कल यानी 3 अगस्त दोपहर 3 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी. 

सावन शिवरात्रि की क्या है मान्यता

महंत रोहित शास्त्री के अनुसार आज के दिन पूजा-पाठ और व्रत करना चाहिए. इसके साथ ही ब्राह्मणों को दान देने की भी मान्यता है. सावन का महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है इसलिए सावन मासिक शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ जाता है. सावन मासिक शिवरात्रि के दिन अगर भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं तो मन चाहा फल देते हैं. इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से अविवाहित महिलाओं की शादी जल्दी हो जाती है. इसके साथ ही अगर शादी नहीं हो रही या शादी में अर्चन आती है तो इस दिन विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से भगवान शिव उन्हें सुयोग्य वर देते हैं. 

साथ ही मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से पति-पत्नी के जीवन में सुखऔर आनंद आता है और जीवन में आने वाले सभी प्रकार के संकट दूर होते हैं। शिवरात्रि का व्रतकरने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. आज के दिन शिवपूजन, शिवपुराण,रुद्राभिषेक,शिव कथा, शिव स्तोत्रों  व "ॐ नम: शिवाय" का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है.


राशि अनुसार कैसे करें पूजा पाठ

मेष राशि के शिव भक्त जल में गुड़,गन्ने का रस या फिर शहद मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें. अभिषेक के बाद लाल चंदन से शिवलिंग पर तिलक करें और लाल चंदन से यथासंभव बेलपत्र पर ॐ नमः शिवाय लिखकर बेलपत्र शिव को अर्पित करें. साथ में लाल पुष्प भी और ॐ नमः शिवाय का जप करें और 11 ब्राह्मणों को शिवपुराण दान दें.

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वृष राशि के शिव भक्त गाय के दूध, दही से शिव का अभिषेक करें. इसके अलावा भगवान शिव जी को चावल, सफेद चंदन, सफेद आक,सफेद वस्त्र और चमेली फूल भी चढ़ाने चाहिए और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें. वेदपाठी 11 ब्राह्मणों को रूद्राक्ष माला दान करें.

मिथुन राशि के शिव भक्त भगवान शिव को गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें. भगवान शिव को बेल पत्र शमी पत्र के अलावा साबुत हरे मूंग, भाँग, दूर्वा और कुश भी अर्पित करें. इस राशि के शिव भक्त शिव चालीसा का पाठ करें एवं 11 शिव चालीसा शिव मंदिर में चढ़ाएं.

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कर्क राशि के शिव भक्त भोलेनाथ शिव का  दूध, दही और देसी घी से अभिषेक करें और सफेद चन्दन से तिलक लगाते हुए साबुत अक्षत,सफेद गुलाब का फूल और शंखपुष्पी भी चढ़ाएं. शिवाष्टक के 11 पाठ करें साथ में शिव भक्तों को सफेद वस्त्र दान करें.


सिंह राशि के शिव  भक्त  जल में गुड़,लाल चंदन और शहद डाल कर भगवान शिव का अभिषेक करें. लाल पुष्प, लाल चंदन का तिलक भगवान शिव को लगाएं. गुड़ और चावल से बनी खीर शिव मंदिर में प्रसाद बांट दें,शिव महिम्न स्तोत्र के पाठ करें. कमलगट्टे की 11 माला दान करें.

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कन्या राशि के शिव भक्त आज के दिन गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें. भोलेनाथ जी को पान बेल पत्र, धतूरा, भांग एवं दुर्वा  चढ़ाएं. शिव पुराण की कथा का वाचन करें या सुने.


तुला राशि के शिव भक्त चमेली के तेल,दही, ईत्र, घी, दूध से  शिव का अभिषेक करें. सफेद चंदन का तिलक लगाएं, सफेद वस्त्र दान करें. मिश्री और खीर का प्रसाद भगवान शिव जी को चढ़ाएं एवं शिव मंदिर में दान करें,शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करें. 


वृश्चिक राशि के शिव भक्त जल में गुड़,लाल चंदन और शहद मिलाकर और पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करें,केसर एवं लाल पुष्प भगवान शिव को अर्पित करें, लाल हलवे का भोग लगाएं एवं दान करें. भगवान शिव के 1000 नामों का स्मरण करें. 


धनु राशि के शिव भक्त  दूध में केसर, हल्दी एवं शहद मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करे. केसर,पीले चन्दन का तिलक लगाते हुए पीले गेंदे के फूलों की माला अर्पित करें. शिवमंदिर में पीले रंग के वस्त्र दान करें. शिव पंचाक्षर स्त्रोत का पाठ करें.


मकर राशि के शिव भक्त जल में दूध या गेहूं  मिला कर शिव पर अर्पित करें,तिल के तेल नीले पुष्प भोले नाथ जी को अर्पित करें, शिव मंदिर में  नीले वस्त्र दान करें.भगवान शिव के 108 नामों का स्मरण करें.


कुम्भ राशि के शिव भक्त नारियल के पानी या तिल के तेल से रुद्राभिषेक करें. शमी वृक्ष के पुष्प भगवान शिव को अर्पित करें. शिवाष्टक का पाठ करें.

मीन राशि के शिव भक्तों को केसर मिश्रित जल से जलाभिषेक करना चाहिए. शिव जी की पूजा पंचामृत, दही, दूध और पीले पुष्प से करनी चाहिए. ॐ नमः शिवाय का जाप करें.  शिव चालीसा का पाठ करना भी शुभ रहेगा.

(इस खबर को हमारे साथ इंटर्न कर रहीं निवेदिता गुप्ता ने एडिट किया है.)

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