UP Bahraich Wolf Attack: हॉरर मूवी में होते हैं जैसे खूंखार वूल्फ, बहराइच में पकड़ा गया भेड़िया उनसे अलग क्यों दिखता है?

हर्ष वर्धन

ADVERTISEMENT

Bahraich Wolf Attack News (Photo- Arpita Yadav)
Bahraich Wolf Attack News (Photo- Arpita Yadav)
social share
google news

Bahraich Wolf Attack News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में इन दिनों एक एक जानवर चर्चा के केंद्र में है और उसका नाम भेड़िया है. अक्सर, हॉरर मूवी में दिखाए जाने वाले खूंखार वूल्फ (भेड़िए) बड़े, ताकतवर और डरावने होते हैं. आंखों में लालिमा, नुकीले दांत और खून की प्यास से भरी भेड़ियों की छवि हॉरर मूवीज की वजह से हमारी कल्पना में बैठा दी गई है. मगर असली भेड़िए का स्वभाव और रूप हॉरर मूवी के काल्पनिक भेड़िए से काफी अलग होता है. असली भेड़िए (Wolf) का शरीर थोड़ा दुबला, आंखें साधारण और व्यवहार अधिकतर शर्मीला होता है. वह अपने भोजन की तलाश में जंगलों में घूमता है और इंसानों से दूर रहने की कोशिश करता है. लेकिन यूपी के बहराइच में ऐसा नहीं है. यहां भेड़िया जंगल में भोजन की तलाश की बजाए इंसानों खासकर मासूमों को अपना शिकार बना रहा है. आखिर ऐसा क्यों है? इसकी वजह जानने के लिए आप यूपी Tak की ये खास रिपोर्ट विस्तार से पढ़ें?

आम भेड़ियों से क्यों अलग है बहराइच के भेड़िए का स्वाभाव?

आखिर आम भेड़िए के मुकाबले बहराइच के भेड़िया का स्वाभाव अलग क्यों है, इस सवाल का जवाब हमें वुल्फ जीवविज्ञानी यादवेंद्रदेव विक्रमसिंह झाला से मिला. इंडिया टुडे से बातचीत में जीवविज्ञानी यादवेंद्रदेव विक्रमसिंह ने कहा, "भेड़िये इंसानों से बेहद शर्मीले होते हैं और वे शायद ही कभी लोगों पर हमला करते हैं. पिछले पचास वर्षों में भारत में मनुष्यों पर भेड़िए के हमले की केवल तीन घटनाएं हुई हैं. दुनिया में कहीं भी भेड़ियों ने लोगों पर हमला नहीं किया है."

 

 

उन्होंने आगे कहा कि बहराइच में भेड़िए कुत्ते के हायब्रिड हैं,  जिन्हें लोग पालतू जानवर के रूप में रखते हैं. जब इन भेड़ियों को जंगल में छोड़ा जाता है तो उन्हें लोगों का कोई डर नहीं होता है. वुल्फ जीवविज्ञानी यादवेंद्रदेव विक्रमसिंह के अनुसार, पशुओं की तुलना में बच्चे कम सुरक्षित होते हैं. इसलिए भेड़िए या कोई अन्य जानवर इस क्षेत्र में बच्चों को मारने की संभावना ज्यादा रखते हैं. 
 

बकौल झाला, पूर्वी उत्तर प्रदेश में पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं. 1996 में एक अकेले भेड़िए को तीस बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार पाया गया था.

 

 

वहीं, दूसरी तरफ झाला का यह भी तर्क है कि बहराइच में 8 लोगों की मौत का जिम्मेदार भेड़िए की जगह कोई और जानवर भी हो सकता है. झाला के अनुसार, जब तक सही जानवर को नहीं पकड़ा जाएगा तब तक समस्या का समाधान नहीं मिलेगा.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT