जेल के कर्मचारी पहले चखते थे मुख्तार अंसारी को दिया जाने वाला खाना, सामने आई ये जानकारी
उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है. उसे बांदा जेल में हार्टअटैक आया था. मुख्तार को 2005 में पहली बार जेल हुई और तब से वो बाहर नहीं आ सका.
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Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत हो गई है. उसे बांदा जेल में हार्टअटैक आया था. मुख्तार को 2005 में पहली बार जेल हुई और तब से वो बाहर नहीं आ सका. हालांकि, पंजाब से लेकर यूपी के कई जिलों की जेलों में उसका ठिकाना बदलता रहा हांलाकि अब माफिया डॉन की मौत हो चुकी है. बांदा मेडिकल कॉलेज के आधिकारिक जानकारी के मुताबिकत पांच बार के विधायक मुख्तार अंसारी की मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई, जबकि परिजन जहर देने की बात कह रहे हैं.
परिवार ने लगाया था ये आरोप
मुख्तार अंसारी के भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी ने कुछ दिनों पहले कहा था कि उसरी चट्टी कांड का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. वहां मुख्तार की गवाही होनी है, जिसके बाद बृजेश सिंह का जेल जाना तय है. मुख्तार को इस गवाही से रोकने के लिए पुलिस और जेल प्रशासन के लोगों से मिलकर बृजेश सिंह मुख्तार को मारने की साजिश रच रहा है. हालांकि, मुख्तार अंसारी को अपनी मौत का अंदेशा पहले ही हो गया था.
यही वजह है कि बाराबंकी कोर्ट में मुख्तार अंसारी ने एक प्रार्थना पत्र देकर जेल के खाने में धीमा जहर देने का आरोप लगाया था. मुख्तार अंसारी की तरफ से कोर्ट में दिए गए प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि उसे जेल के खाने में धीमा जहर दिया जा रहा है, जिससे उसकी तबीयत काफी गंभीर हो गई है.
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जेल प्रशासन ने कही ये बात
वहीं मुख्तार अंसारी और उसके परिवार के धीमा जहर देने वाले आरोपों को जेल प्रशासन ने सिरे से खारिज किया है. कुछ दिनों पहले जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा ने यूपी तक से बात करते हुए बताया था कि, 'कोर्ट के आदेश के बाद मुख्तार अंसारी का मेडिकल चेकअप कराया गया है, जिसमे दो डॉक्टरो की टीम ने चेकअप किया, ब्लड टेस्ट कराया, रिपोर्ट के आधार पर कुछ दवाइयां भी दी थी. डॉक्टरों ने मुख्तार के रोजा रखने की वजह से शरीर मे परेशानी होने की बात बताई थी.'
खाने की होती थी जांच
मुख्तार के खाना में स्लो जहर देने के आरोपो को खारिज करते हुए उन्होंने आगे कहा कि, 'मुख्तार को दिया जाने वाला खाना पहले एक सिपाही, फिर डिप्टी जेलर खाता था, फिर उसे दिया जाता था.धीमी जहर देने का आरोप पूरी तरह से निराधार है, ऐसा संभव ही नहीं है. जेल के 900 बंदी भी यही खाना खाते हैं. हर बंदी को जेल मैनुअल के अनुसार व्यवस्था दी जा रही है.' सुरक्षा व्यवस्था के बारे में उन्होंने बताया था कि CCTV के साथ साथ सिविल और PAC का कड़ा पहरा रहता था, मैं खुद निगरानी रखता था.'
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