Gyanvapi केस की पोषणीयता पर फैसला: मुस्लिम धर्मगुरु बोले- मसले का हल कोर्ट के बाहर निकालें

सत्यम मिश्रा

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ज्ञानवापी के श्रृंगार गौरी मामले में केस की पोषणीयता पर फैसला आने के बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है. किसी ने फैसले का सम्मान किया है तो किसी ने फैसले को स्टडी कर आगे फैसला लेने की बात कही है. शिया धर्मगुरु और ऑल इंडिया शिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जनरल सेक्रेटरी मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि हिंदू- मुस्लिम धर्मगुरु के साथ बनारस के लोकल दोनों समुदाय के धर्मगुरु बकायदा बैठकर अदालत के बाहर इस मसले का हल निकाल लें.

यासूब अब्बास ने कहा- जो अदालत का फैसला आया है उस फैसले का मैं सम्मान करता हू, लेकिन मैं बार-बार यह कह रहा हूं कि, मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारा ,गिरजाघर यह सब आस्था के केंद्र है. यहां पर इंसान मन की शांति के लिए जाता है, ताकि उसके जेहन को सुकूंन मिले. वहां पर शिवलिंग था या नहीं था यह अलग विषय है, क्योंकि मस्जिदों के अंदर हौज होते थे और हौज के अंदर फव्वारे होते थे. आप फव्वारे को शिवलिंग का रंग दे रहे हैं ये बिल्कुल गलत है.

मौलाना यासूब अब्बास ने आगे कहा- मंदिर और मस्जिद के नाम पर इस मुल्क के अंदर भाई से भाई को बहुत लड़ा दिया गया. ऐसे में हिंदू और मुसलमान आपस में ना लड़ें. हम लोग साथ मिलकर गरीबी और बेरोजगारी से लड़ें ताकि मुल्क की तरक्की हो सके. मेरा कहना है कि ऐसे मामलों को अदालत के बाहर मिलकर हल करना चाहिए.

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मुस्लिम धर्मगुरु महली ने कहा- कोर्ट के फैसले का सम्मान

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कोर्ट के फैसले पर कहा- देखिए अभी जो बातें सामने आई हैं, वह मीडिया के जरिए ही आई हैं.जज ने जो भी कहा है वह हमारी लीगल एक्सपर्ट उसको पढ़ेगी और पढ़ने के बाद ही किसी तरीके का लाइन ऑफ एक्शन तय किया जाएगा. बाबरी मस्जिद केस के मामले में प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 1991 मामले में जो कुछ भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था उससे यह उम्मीद जगी थी कि मंदिर और मस्जिद से संबंधित मामले अब हमेशा के लिए हल हो गए हैं, लेकिन उसके बावजूद जो फैसला और आया है, हम कोर्ट के फैसले को मानते हैं. ऐसे में अब हमारी लीगल टीम फैसले को स्टडी करके आगे बढ़ेगी.

जनता चाहती है मुल्क तरक्की करे- महली

मौलाना खालिद रशीद फरंगी महलीने कहा- देखिए जनता चाहती है कि मुल्क आगे तरक्की करे. कोई भी कंट्रोवर्शियल और कम्युनल मुद्दा ना उठाया जाए ताकि देश का माहौल अच्छा बना रहे. सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट से सबको यकीन हो गया था कि,अब ऐसा कुछ नहीं होगा, लेकिन उसके बावजूद भी जो यह बार-बार केसेस कोर्ट में आ रहे हैं और प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 1991 को नजर अंदाज किया जा रहा है. हम समझते हैं कि जो लीगल एक्सपर्ट हैं उनको अपनी बात सामने रखनी चाहिए.

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