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प्रयागराज केस: सिपाही राघवेंद्र के कंधों पर थी घर की जिम्मेदारी, उठी अर्थी तो नम हुईं आंखें

शैलेंद्र प्रताप सिंह

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सिपाही राघवेंद्र की ये कहानी आपको रुला देगी
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Prayagraj Umesh Pal Murder Case News: प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड में घायल सिपाही राघवेंद्र सिंह भी आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए. उनके निधन की सूचना जब उनके गांव पहुंची तो हर तरफ मातम नजर आने लगा. घर के पुरुष और रिश्तेदार लखनऊ में उनका इलाज करा रहे थे, तो घर में महिलाएं और बुजुर्ग उनकी सलामती की दुआएं कर रहे थे. पर होनी को कुछ और ही मंजूर था. ना तो दवा काम आई और ना ही दुआ.

पुलिस सेवा में ही शहीद हुईं तीन पीढ़ियां

शहीद राघवेंद्र सिंह अपने घर में कमाने वाले एकलौते शख्स थे. राघवेंद्र से छोटी दो बहनों और एक भाई की जिम्मेदारी भी उन्हीं के कंधों पर थी. विधवा मां को होली में अपने बेटे के आने का इंतजार था. पर प्रयागराज के कांड ने उनका बेटा हमेशा के लिए छीन लिया. सबसे बड़े राघवेंद्र सिंह थे, जबकि उनसे छोटी बहन प्रिया सिंह की शादी हो चुकी है. तीसरे नंबर पर ज्ञानेंद्र है, जो BA का छात्र है. सबसे छोटी बहन अर्चना है, जो BA और सीआईटीएस कर रही है. राघवेंद्र सिंह के पिता रामसुमेर सिंह भी पुलिस विभाग में ही थे. 2014 में उन्नाव चुनाव के दौरान ही उनकी मौत हुई थी. बाबा शिव प्रताप सिंह की मौत भी पुलिस सेवा के दौरान ही हुई थी.

4 मई को होनी थी राघवेंद्र की शादी

UP Crime News: राघवेंद्र के परिवार पर इस वज्रपात से पहले इस घर में खुशियों की आमद होनी थी. उनकी बहन प्रिया सिंह ने बताया कि आने वाली 4 मई को राघवेंद्र की शादी बहराइच में तय हो गई थी. तिलक 30 अप्रैल को होना था. मां और बहनों ने शादी की तैयारियां शुरू कर दी थीं, लेकिन होनी को कुछ और मंजूर था. इसी बीच राघवेंद्र का तबादला हरदोई से प्रयागराज हो गया था. वही प्रयागराज उनके जीवन की अंतिम कार्यस्थली बन गया. राघवेंद्र सिंह ने ने उमेश पाल की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी.

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राघवेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर उनके गृह जनपद रायबरेली लालगंज कोरिहरा गांव लाना था. लालगंज कस्बे में ही इनके सारे रिश्तेदार इनके घर आ गए थे. कस्बे वाले मकान में ही इनका पार्थिव शरीर रखा गया. वहीं से गंगा नदी के किनारे गेगासो घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया.

राघवेंद्र सिंह की अंतिम यात्रा में पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के साथ-साथ एडीजी ए सतीश गणेश भी शामिल हुए . उन्होंने उदास मन से अपने शहीद सिपाही को न सिर्फ विदाई दी बल्कि उनके पार्थिव शरीर को कंधा भी दिया. क्षेत्र के तमाम युवक मोटरसाइकिल से उनके पार्थिव शरीर के आगे आगे भारत माता की जिंदाबाद के नारे लगाते हुए बढ़ते रहे. भाजपा के पूर्व विधायक धीरेंद्र सिंह लगातार परिवार के साथ रहे. राज्य मंत्री दिनेश सिंह भी शोकाकुल परिवार को संवेदनाएं देने पहुंचे.

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तस्वीर: शैलेंद्र प्रताप सिंह, यूपी तक.

‘भाई को सही वक्त पर नहीं मिली इलाज’

राघवेंद्र की बहन प्रिया सिंह का कहना है कि उनके भाई के साथ सही नहीं किया गया. सही वक्त पर अगर इलाज किया होता, तो उनका भाई आज जिंदा होता. अब उन्हें अपने भाई के हत्यारों को सजा मिलने का इंतजार है. वह घर के लिए सरकार से बेहतर इंतजाम की गुजारिश भी कर रही हैं, क्योंकि कमाने वाला लड़का अब नहीं रहा.

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