ग्रामीण UP के 40% से अधिक बच्चे नहीं पढ़ सकते अंग्रेजी! अटेंडेंस विवाद के बीच देखिए ये तस्वीर

रजत कुमार

यूपी में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा का हाल किसी से छिपा नहीं है. इसकी एक बानगी प्रथम फाउंडेशन के तत्वाधान में हर साल जारी होने वाली असर (एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट - ASER) की रिपोर्ट में देखी जा सकती है.  

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अटेंडेंस विवाद के बीच देखिए ये तस्वीर
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Uttar Pradesh News : उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने डिजिटल अटेंडेंस के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. यूपी सरकार ने प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों में 8 जुलाई से डिजिटल अटेंडेंस की शुरुआत करने का आदेश दिया था, हालांकि शिक्षक इसके खिलाफ विरोध पर उतर आए. शिक्षक संगठनों का कहना है कि जब तक ऑनलाइन हाजिरी से राहत नहीं मिलती तब तक विरोध जारी रहेगा. जाहिर तौर पर सरकार की यह कवायद यूपी में सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने के लिए है. यूपी में वैसे भी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा का हाल बुरा ही है. इसकी एक बानगी प्रथम फाउंडेशन के तत्वाधान में हर साल जारी होने वाली असर (एनुअल स्टेट्स ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट - ASER) की रिपोर्ट में देखी जा सकती है.  

40% से अधिक बच्चे नहीं पढ़ सकते अंग्रेजी

बता दें कि 'प्रथम' फाउंडेशन देश के ग्रामीण इलाकों को लेकर अपनी वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER 2023) प्रकाशित करता है. इस साल की शुरुआत में फाउंडेशन ने 'बियॉन्ड बेसिक्स' सर्वेक्षण  देश के 26 राज्यों के 28 जिलों में किया, जिसमें उत्तर प्रदेश के दो जिले हाथरस और वाराणसी भी शामिल रहे. इस रिपोर्ट के मुताबिक यूपी के हाथरस के ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 14 से 18 साल के छात्रों में से 44.5 प्रतिशत छात्र अंग्रेजी का साधारण वाक्य भी नहीं पढ़ पाए. वहीं हाथरस में ही 14 से 18 साल के 43.3 प्रतिशत छात्र साधरण गणित के सवालों को भी हल नहीं कर पाए. इन सवालों में गुणा-भाग शामिल था. 

वहीं  फाउंडेशन ने 'बियॉन्ड बेसिक्स' सर्वे में उत्तर प्रदेश का वाराणसी जिला भी शामिल रहा. वाराणसी के ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों का भी हाल बेहाल दिखा. वाराणसी के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले 14 से 18 साल के छात्रों में से 43.7  प्रतिशत छात्र अंग्रेजी का साधारण वाक्य भी नहीं पढ़ पाए. वहीं वाराणसी में ही 14 से 18 साल के 57.6 प्रतिशत छात्र साधरण गणित के सवालों को भी हल नहीं कर पाए. इन सवालों में गुणा-भाग शामिल था. 

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वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) 2023 के अनुसार, ग्रामीण भारत में 14 से 18 वर्ष की आयु के 42 प्रतिशत बच्चे अंग्रेजी में आसान वाक्य नहीं पढ़ सकते हैं, जबकि उनमें से आधे से अधिक को सरल गणित यानी गुणा-भाग करने में भी समस्याओं से जूझना पड़ता है. रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में 14-18 वर्ष के 76.6% बच्चे ग्रेड 2-स्तरीय पाठ पढ़ सकते थे, जबकि 2023 में यह संख्या थोड़ी कम होकर 73.6 प्रतिशत हो गई. अंकगणित में 2017 में 39.5% युवा सरल (ग्रेड 3-4 स्तर) गणित के समस्या को हल कर सकते थे, जबकि 2023 में, यह अनुपात थोड़ा अधिक 43.3% है. 

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