पत्रकार, किसान, BJP कार्यकर्ता… लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए 8 लोग कौन थे?

अभिषेक वर्मा

• 07:25 AM • 04 Oct 2021

लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई. हिंसा की यह घटना तिकुनिया…

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लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई. हिंसा की यह घटना तिकुनिया में आयोजित कुश्ती कार्यक्रम में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के पहुंचने से पहले हुई.

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संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक, प्रदर्शनकारी किसान केशव प्रसाद मौर्य के कार्यक्रम का शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे. मोर्चा ने आरोप लगाया है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा के गाड़ियों के काफिले ने किसानों को रौंदा और फायरिंग भी की गई. बताया जा रहा है कि यह काफिला डिप्टी सीएम को रिसीव करने के लिए आ रहा था. इस मामले में आशीष मिश्रा ने दावा किया है कि घटना के वक्त वह काफिले की गाड़ियों में मौजूद नहीं थे.

आशीष ने दावा किया है, ”हमारे कार्यकर्ता डिप्टी सीएम को रिसीव करने जा रहे थे, जैसे ही वो लोग तिकुनिया से निकले, तो अपने आप को किसान कहने वालों ने आक्रमण कर दिया.”

हिंसा में इन 8 लोगों की मौत हुई है:

  • रमन कश्यप (स्थानीय पत्रकार)

  • दलजीत सिंह पुत्र हरजीत सिंह, नापपारा बहराइच 

  • गुरविंदर सिंह पुत्र सत्यवीर सिंह, नानपारा बहराइच

  • लवप्रीत सिंह पुत्र सतनाम सिंह, चौखडा फार्म मझगईं

  • छत्र सिंह

  • शुभम मिश्रा पुत्र विजय कुमार मिश्रा, शिवपुरी

  • हरिओम पुत्र परसेहरा फरधान

  • श्यामसुंदर पुत्र बालक राम सिंघहा, कलां सिंगाही

इनमें हरिओम मिश्रा लखीमपुर में बीजेपी कार्यकर्ता थे और अजय मिश्रा के परिवार की गाड़ी चलाते थे. वह चार बहनों के इकलौता भाई थे. उनके पिता किसान हैं.

शुभम मिश्रा लखीमपुर के गढ़ी बूथ के बीजेपी बूथ अध्यक्ष थे. उनकी दो साल पहले शादी हुई थी, 6 महीने की बच्ची भी है.जबकि श्याम सुंदर लखीमपुर के सिंघावा गांव के बीजेपी कार्यकर्ता थे.

गुरविंदर सिंह पिछले काफी समय से तिकुनिया स्थित कौड़ियाला साहब गुरुद्वारे में सेवा कार्य कर रहे थे और गुरुद्वारे के पास ही अपना आश्रम बनाकर रह रहे थे. मृतक के परिवार में पिता सुखविंदर सिंह किसान हैं और उन्हें निहंग की उपाधि प्राप्त है. सुखविंदर सिंह भी विभिन्न गुरुद्वारों के आध्यात्मिक कार्यों में शामिल रहते हैं.

वहीं, दलजीत सिंह अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे. इनके बड़े भाई ज्ञानी चरणजीत सिंह बंजारन टांडा गुरुद्वारे के ग्रंथी हैं. यह परिवार भी कृषि पर आधारित है. दलजीत इससे पहले कृषि आंदोलन में शामिल रहे थे. दलजीत सिंह के माता-पिता की छह महीने पहले कोविड महामारी के दौरान मौत हो गई थी.

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