UP Political News: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र शुरू होने के पहले दिन सोमवार को समाजवादी पार्टी ने बढ़ती महंगाई, किसानों की समस्याओं और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर राज्य सरकार के विरोध में पार्टी कार्यालय से पदयात्रा का आयोजन किया लेकिन पुलिस ने इसे रोक दिया. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav News) पार्टी विधायकों व कार्यकर्ताओं के साथ सपा कार्यालय से विधानभवन की तरफ पैदल जा रहे थे, तभी पुलिस ने विक्रमादित्य मार्ग चौराहे के निकट इनको रोक लिया. इसके बाद सपा अध्यक्ष यादव और अन्य नेता विरोध स्वरूप वहां धरने पर बैठ गए.
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सपा सुप्रीमो ने ट्वीट कर कहा,
महंगाई, बेरोजगारी, बदहाल कानून-व्यवस्था और किसान, महिला व युवा उत्पीड़न जैसे जनहित के मुद्दों पर सपा के ‘पैदल मार्च’ के मार्ग में बाधा बनकर भाजपा सरकार साबित कर रही है कि वह जन आक्रोश से डरकर कितना असुरक्षित महसूस कर रही है. सत्ता जितनी कमजोर होती है, दमन उतना ही अधिक बढ़ता है.
अखिलेश यादव
सपा की पदयात्रा क्यों रोकी गई?
संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) पीयूष मोर्डिया ने बताया, “सपा नेताओं को विक्रमादित्य मार्ग चौराहे पर रोक लिया गया. किसी भी सपा कार्यकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया गया.” उन्होंने बताया कि सपा के इस मार्च के लिये प्रशासन ने एक मार्ग निर्धारित किया था लेकिन वह लोग इस निर्धारित मार्ग पर न जाकर दूसरे मार्ग पर जा रहे थे, इसलिए उन्हें रोक दिया गया.
मोर्डिया ने बताया कि आम जनता को परेशानी न हो और कानून व्यवस्था बाधित न हो इसलिए सपा कार्यकर्ताओं को रोका गया। पदयात्रा को लेकर विक्रमादित्य मार्ग पर सुरक्षा का व्यापक बंदोबस्त किया गया था। उन्होंने बताया कि बैरिकेडिंग कर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था तथा इस रास्ते पर आम लोगों का आवागमन बंद कर दिया गया था।
गौरतलब है कि पदयात्रा के लिए अखिलेश यादव करीब 10 बजे सपा कार्यालय पहुंच गए थे। पार्टी के अन्य विधायक भी कार्यालय पहुंचे गए थे. वहां से सभी विधायक व कार्यकर्ता अखिलेश यादव के नेतृत्व में विधानभवन के लिए पैदल निकले थे.
इससे पहले 14 सितंबर को जिला प्रशासन ने समाजवादी पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं को बढ़ती महंगाई, किसानों की समस्याओं और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विधानभवन परिसर के अदंर चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के समक्ष धरना देने से रोक दिया था. बाद में पार्टी ने 19 सितंबर को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के नेतृत्व में विरोध मार्च निकालने का फैसला लिया था.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)
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