जयंत चौधरी, स्वामी मौर्य फिर पल्लवी पटेल...एक के बाद एक झटके में सपा की फंसी राज्यसभा की तीसरी सीट

आनंद कुमार

14 Feb 2024 (अपडेटेड: 14 Feb 2024, 11:30 PM)

पहले रालोद चीफ जयंत चौधरी के एनडीए का दामन थामने और अब सपा विधायक पल्लवी पटेल के हालिया ऐलान से SP की राज्यसभा की तीसरी सीट फंस गई है.

Jayant Chaudhary, Akhilesh Yadav, Swami Maurya and Pallavi Patel

Jayant Chaudhary, Akhilesh Yadav, Swami Maurya and Pallavi Patel

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सियासत में कहा जाता है कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है, क्योंकि यूपी सबसे ज्यादा संसदीय सीटों वाला राज्य है. जो दल यूपी को जीतने में कामयाब हो जाता है उसे केंद्र की सत्ता मिलने की संभावना बढ़ जाती है. 80 संसदीय सीटों वाले यूपी में लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी पारा बढ़ गया है. राज्यसभा चुनावों के बीच यूपी की मुख्य विपक्षी दल सपा को एक के बाद एक झटके मिल रहे हैं.

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पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश की प्रभावशाली पार्टी रालोद के मुखिया जयंत चौधरी ने विपक्षी इंडिया गठबंधन का साथ छोड़ एनडीए का दामन थान लिया था. लोकसभा चुनाव से पहले और राज्यसभा चुनाव के बीच जयंत चौधरी का एनडीए में जाना सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. अभी तक सपा जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने के सदमे से उबर भी नहीं पाई थी कि उसे एक के बाद एक दो झटके लग गए. सपा को ये दोनों झटके पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और गठबंधन की साथी और अपना दल (कमेरावादी) नेता पल्लवी पटेल ने दिए. 

स्वामी मौर्य ने महासचिव पद से दिया इस्तीफा

पहले तो स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को एक लेटर लिखकर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. फिर कुछ घंटे बाद पार्टी की विधायक और अपना दल कमेरावादी नेता पल्लवी पटेल ने सपा कैंडिडेट को राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं करने का ऐलान कर अखिलेश यादव की टेंशन बढ़ा दी. 

दरअसल, स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव के पद को महत्वहीन बताते हुए खुद के साथ भेदभाव का आरोप लगाया. इसके साथ ही उन्होंने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा के सीट बढ़ने का क्रेडिट भी खुद लिया और कहा कि वह जब कोई बयान देते हैं जो समाज के आंडबर खत्म करने वाला होता है. पार्टी इन बयानों के साथ खड़ी नहीं होती. उल्टे उनके बयानों को निजी बयान बता दिया जाता है. एक राष्ट्रीय महासचिव का बयान निजी कैसे हो सकता है?

स्वामी प्रसाद मौर्य की पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफे को राज्यसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. ऐसा कहा जा रहा था कि स्वामी मौर्य को उम्मीद थी कि सपा ने उन्हें राज्यसभा भेजेगी, लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं दिया. इसी नाराजगी को जाहिर करने के लिए स्वामी मौर्य ने पार्टी के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया. 

पल्लवी पटेल ने क्यों जताई नाराजगी?

बता दें कि सपा ने राज्यसभा चुनाव के लिए पूर्व सांसद रामजीलाल सुमन, जया बच्चन और पूर्व आईएएस अधिकारी आलोक रंजन को उम्मीदवार बनाया है. सपा की ओर से ये तीन नाम के आने के बाद पल्लवी पटेल ने अपनी नाराजगी जताई. उन्होंने ऐलान किया है कि वह सपा कैंडिडेट को राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं करेंगी. यूपी Tak से एक्सक्लूसिव बातचीत में पल्लवी पटेल ने कहा है कि पीडीए को मतलब पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक होता है और कुछ मदांध लोग इसे बच्चन और रंजन बनाने में लगे हुए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि अखिलेश यादव ने अपने मूल मंत्र PDA को फॉलो नहीं किया है और कोई चर्चा भी नहीं की. 

सियासी गलियारों में ऐसी भी चर्चा है कि पल्लवी पटेल अपनी मां और अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल के लिए एक राज्यसभा सीट चाहती थीं. हालांकि, उन्होंने इसे खारिज कर दिया है. 

गौरतलब है कि पीडीए सपा चीफ अखिलेश यादव का नारा है और इसके तहत वह यूपी में पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं को एकजुट करने की जुगत में हैं. सपा से जया बच्चन, पूर्व प्रमुख सचिव आलोक रंजन और रामजीलाल सुमन राज्यसभा के कैंडिडेट हैं. अब पल्लवी पटेल जब 'बच्चन और रंजन' का तंज कस रही हैं, तो जाहिर तौर पर सीधा निशाना अखिलेश यादव ही है.

सपा की फंसी तीसरी सीट!

राज्यसभा चुनाव में यूपी की 10 में से सात सीटों पर बीजेपी और तीन सीटों पर सपा की जीत तय मानी जा रही थी लेकिन पहले जयंत के किनारा करने और अब पल्लवी के ऐलान से गणित उलझ गया है. यूपी में किसी भी राज्यसभा उम्मीदवार को जीत के लिए 37 वोटों की जरूरत होती है. इसका मतलब साफ है कि सपा को अपने तीनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए 111 वोटों की जरूरत है. मगर अब यहां सपा के लिए खेल फंस गया है. दरअसल, सपा के दो विधायक जेल में हैं. 

बीते दिनों जयंत के पाला बदलने के बाद 9 विधायक और कम हो गए हैं. वहीं, पल्लवी पटेल ने सपा उम्मीदवार को वोट न देने का ऐलान किया है. ऐसे में एक वोट और घट गया है. एक वोट पल्लवी का कम हो जाने के बाद सपा के पास 105 और कांग्रेस के 2  विधायकों को मिलाकर कुल 107 विधायक हो रहे हैं. अब देखना होगा कि सपा चीफ अपने तीनों उम्मीदवारों के लिए 111 वोटों का इंतजाम कैसे करते हैं. 
 

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