गठबंधन को ताक पर रख अखिलेश यादव मान रहे आजम खान की बातें? मजबूरी या रणनीति, यहां समझिए

’38 सीटें लड़कर 8 सीट जीतने वाले जयंत चौधरी को राज्यसभा और 16 सीटें लड़कर 6 जीतने वाले सुभासपा की उपेक्षा. ऐसा आखिर क्यों?’ कुछ…

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’38 सीटें लड़कर 8 सीट जीतने वाले जयंत चौधरी को राज्यसभा और 16 सीटें लड़कर 6 जीतने वाले सुभासपा की उपेक्षा. ऐसा आखिर क्यों?’ कुछ इस तरह ही समाजवादी पार्टी के गठबंधन के साथी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के प्रवक्ता पीयूष मिश्रा ने ट्वीट किया और विधान परिषद प्रत्याशी चयन पर नाराजगी जताई है.

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वहीं, पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने भी इस मुद्दे पर ताल से ताल मिलाई और कहा कि ‘मांगो उससे जो खुशी से दे दे’. राजभर ने पीयूष मिश्रा के ट्वीट को भी सही बताया है.

हालांकि, राजभर बाद में बात संभालते भी नजर आए और कहा कि ‘हमारी इतनी क्षमता नहीं कि हम अखिलेश से एमएलसी के लिए बात करें’. मगर उनके ही बेटे अरविंद राजभर ने ट्वीट कर कहा, “झूठी तसल्लियों के सिवा कुछ ना दे सका, वो किस्मत का देवता भी शायद गरीब था.” अरविंद के ट्वीट ने भी काफी कुछ साफ कर दिया कि गठबंधन नाखुश है, नाराज है.

ऐसा सिर्फ राजभर की पार्टी को लेकर नहीं है. यूपी चुनाव में लगातार पार्टी के लिए दौरे करने वाले महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य भी बहुत ‘आहत’ हैं. उन्होंने तो पार्टी से गठबंधन तोड़ने तक का ऐलान कर दिया है और यूपी तक से कहा है कि ‘आखिर कब तक हो पता, अब नहीं हो पाएगा.’

इन सभी बातों से साफ है गठबंधन अब एसपी से दरकिनार होता जा रहा है. हाल ही में राजभर, अखिलेश को एसी रूम से बाहर आकर मैदान में उतरने का पाठ पढ़ाते भी नजर आए थे.

बहरहाल, गठबंधन भले ही नाखुश हो पर एसपी के कद्दावर नेता आजम खान की इस वक्त पार्टी में तूती बोल रही है. अलग-अलग से दिखने वाले उनके बेटे अब्दुल्ला के चेहरे पर भी मुस्कान है. हाल ही में अखिलेश के साथ विधानसभा में तस्वीरों में भी मुस्कुराते नजर आए थे और अलग से जाकर मिले भी है थे. मुस्कुराएं भी क्यों न, आखिर अखिलेश ने 50 फीसदी मुस्लिमों को हिस्सेदारी देकर अहसान चुकाने का प्रयास किया है और साथ ही साथ आजम खान के दोनों करीबी मुस्लिम नेताओं को एमएलसी उम्मीदवार भी बना दिया है,

सहारनपुर के शाहनवाज खान और सीतापुर के जास्मीन अंसारी को उम्मीदवार बनाकर अखिलेश फिर आजम के करीबी साबित हो गए हैं.

शाहनवाज के पिता सरफराज खान पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और आजम खान से उनकी दोस्ती जग जाहिर है. तो वहीं पूर्व विधायक जास्मीन अंसारी ने आजम खान को सीतापुर जेल में रहने के दौरान सहयोग किया था.

भले ही गठबंधन दलों की हसरत अधूरी रह गई हो पर अखिलेश ने अल्पसंख्यकों के बीच भी अगड़े और पिछड़े का समीकरण साधा है.

इस पूरे मामले पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज काका ने यूपी तक को बताया कि ‘गठबंधन को भी यह समझना पड़ेगा कि एसपी के भी कुछ नेता हैं, जिनका उन्हें ख्याल रखना है. विधानसभा चुनाव में सभी को खुलकर टिकट बांटा गया था, जिसमें गठबंधन साथी भी थे. कहीं ना कहीं हम को पार्टी के पुराने नेताओं का भी ख्याल रखना है.

उन्होंने कहा कि ‘आगे अभी बहुत अवसर आएंगे, जिसमें सभी को बराबर का मौका मिलेगा और अगर बीजेपी को हराना है तो हम सबको मिलकर ही लड़ाई लड़नी पड़ेगी.’

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