राम मंदिर आंदोलन का बड़ा चेहरा बने फिर राजकुमारी रत्ना को दी थी करारी शिकस्त! कहानी राम विलास वेदांती की

डॉ.रामविलास वेदांती ने मध्य प्रदेश के रीवा में जन्म लिया और वहीं उन्होंने अपनी आखिरी सांस भी ली. रामविलास वेदांती का राजनीतिक सफर काफी प्रभावशाली रहा है. इस खबर में हम रामविलास वेदांती से जुड़े कुछ अनसुने किस्से कि चर्चा करेंगे.

Ram Vilas Vedanti

रजत सिंह

17 Dec 2025 (अपडेटेड: 17 Dec 2025, 11:57 AM)

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रामजन्मभूमि आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाले राम विलास वेदांती ने जल समाधि ली.मध्य प्रदेश के रीवा में रामकथा के दौरान स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण उन्होंने देह त्याग दिया. वेदांती न केवल एक धार्मिक गुरु थे बल्कि एक ऐसे कुशल राजनेता भी थे.उन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजा-रजवाड़ों के उस किले को ध्वस्त किया था जिसे अभेद्य माना जाता था. इस खबर में हम रामविलास वेदांती से जुड़े कुछ अनसुने किस्से कि चर्चा करेंगे कि कैसे उन्होंने यूपी में बीजेपी को जीताने के लिए रियासतों के दबदबे को धूल चटा दी थी.

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जब राजा के परिवार से चुनाव में भिड़े थे राम विलास वेदांती

डॉ.रामविलास वेदांती का राजनीतिक सफर जितना प्रभावशाली था उससे कहीं ज्यादा साहसी था. पूर्वांचल की राजनीति में एक दौर ऐसा था जब कई लोकसभा सीट और जिले में राजा-रजवाड़ों का सिक्का चलता था. ऐसे में भारतीय जनता पार्टी वहां अपनी जड़ें जमाने की कोशिश तो कर रही थी. लेकिन राजघरानों के प्रभाव के आगे जीत का दरवाजा नहीं खुल पा रहा था. ऐसे में बीजेपी को एक ऐसे चेहरे की जरूरत थी जो न केवल धार्मिक हो बल्कि जनता के बीच सीधा संवाद कर सके. तब मैदान में आए संत रामविलास वेदांती. यह उस दौरान की घटना है जब  1996 और 1998 के वक्त राम मंदिर आंदोलन अपने प्रचंड पर था. बाबरी विध्वंस के बाद बहुत खुद बदल चुका था. वहीं बीजेपी उत्तर प्रदेश में एक बड़ी पार्टी बनके उभर चुकी थी. इस दौरान प्रतापगढ़ की लोकसभा सीट बीजेपी को लगातार परेशान कर रही थी. इस सीट पर 1996 में चुनाव हुआ. इस चुनाव में बीजेपी ने उदयराज मिश्र को टिकट दिया. लेकिन कांग्रेस की ओर से राजघराने की राजकुमारी रत्ना ने इस सीट को जीत लिया. वहीं मछलीशहर की सीट डॉ.रामविलास वेदांती ने जीती. लेकिन साल 1998 में  प्रतापगढ़ की सीट पर चुनाव लड़ने का मौका रामविलास वेदांती को मिला और उन्होंने बड़े मार्जिन से कांग्रेस की राजकुमारी रत्ना को हरा दिया. 

राम मंदिर आंदोलन में भी रहा है जुड़ाव

रामविलास वेदांती उन लोगों में थे जो राम जन्मभूमि आंदोलन से शुरुआत से जुड़े हुए थे. 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद का जब विध्वंस हुआ तो उसमें वह प्रमुख आरोपी भी बनाए गए.उनके ऊपर केस दर्ज हुआ और उनका यह कहना था कई बार उन्होंने बयान दिया कि अगर बाबरी मस्जिद गिरेगी नहीं तो राम मंदिर बनेगा नहीं. इस मामले में साल 2020 में कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी करते हुए कहा कि यह विध्वंस किसी सोची-समझी साजिश का हिस्सा नहीं था.वेदांती जी अक्सर कहते थे कि 'वह कोई मस्जिद नहीं बल्कि एक खंडहर था जिसे साफ कर दिया गया.'

सीएम योगी से राम विलास वेदांती का कनेक्शन

वेदांती का उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मठ यानी गोरक्षपीठ से बहुत गहरा और पुराना संबंध था. इस रिश्ते की जड़ें 1949 से जुड़ी थीं. जब अयोध्या में रामलला का प्रकटीकरण हुआ तब तत्कालीन महंत दिग्विजय नाथ और वेदांती जी के गुरु बाबा अभिराम दास साथ थे.जब महंत अवैद्यनाथ (योगी जी के गुरु) ने राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति बनाई तो वेदांती जी उसके सबसे सक्रिय और वरिष्ठ सदस्य बने. यही कारण था कि उनकी अंतिम विदाई पर सीएम योगी आदित्यनाथ खुद पहुंचे और भावुक होकर इस पुराने रिश्ते को याद किया.

डॉ.रामविलास वेदांती ने मध्य प्रदेश के रीवा में जन्म लिया और वहीं उन्होंने अपनी आखिरी सांस भी ली. मात्र 12 साल की उम्र में संन्यास लेकर अयोध्या आने वाले वेदांती अपने अंतिम समय में रीवा में रामकथा सुना रहे थे. अचानक तबीयत बिगड़ने पर एयर एंबुलेंस बुलाने की कोशिश हुई लेकिन खराब मौसम के कारण लैंडिंग नहीं हो सकी और उनकी मौत हो गई. 

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