जूट का बोरा पहने-पहने ठंड में भूखे पेट मर गए अमेठी के अमर बहादुर यादव! अफसर बोलीं- मुझे तो किसी ने बताया ही नहीं

अमेठी से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां भीषण ठंड और भूख की वजह से अमर बहादुर यादव नामक युवक की मौत हो गई. 21वीं सदी में गरीबी का आलम यह था कि युवक तीन दिनों से भूखा था और ठंड से बचने के लिए उसने ऊनी कपड़ों के बजाय जूट का बोरा ओढ़ रखा था.

Amar bahadur yadav

अभिषेक त्रिपाठी

18 Dec 2025 (अपडेटेड: 18 Dec 2025, 05:36 PM)

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हाड़-मांस कंपा देने वाली सर्दी से बचने के लिए एक आम इंसान क्या करता है? गर्म ऊनी कपड़े पहनता है, अलाव का सहारा लेता और घर मे दुबक कर सोता है. लेकिन 21वीं सदी में भी ये आम सी लगने वाली चीजें जब किसी के लिए कीमती हो जाएं तो इसकी कल्पना करना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन अमेठी के रहने वाले अमर बहादुर यादव के लिए शायद इन आम जरूरतों को पूरा कर पाना बहुत मुश्किल था. तभी वह बीते तीन दिनों से खाली पेट जूट का बोरा पहनकर दिन काट रहे थे. लेकिन इस भीषण सर्दी के आगे वह अपनी जिंदगी  की जंग गवां बैठे. अमर बहादुर यादव की मौत ने अपने पीछे कई सवाल खड़े कर दिए हैं. एक तरह जहां सरकारें बड़े-बड़े दावें करती हैं. वहीं दूसरी तरह इस तरह की खबर का सामने आना अपने आप में हैरान करने वाला है. 

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अमेठी के मुंशीगंज कोरारी लच्छनशाह के रहने वाले अमर बहादुर यादव कि एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. लेकिन ये तस्वीर दर्दनाक है. इस तस्वीर में वह जूट का बोरा ओढ़े मृत अवस्था में पड़े हुए हैं. बताया जा रहा है कि अमर यादव तीन दिन से भूखे रहकर अपना दिन गुजार रहे थे.उनके घर में खाने को कुछ नहीं था. जब कोई उम्मीद नहीं दिखी तो अमर बहादुर यादव अपनी भूख मिटाने के लिए मौसी के घर जाने के लिए निकल पड़े. लेकिन कहते हैं ना कि गरीबी सात जन्म तक पीछा नहीं छोड़ती है.  मौसी के घर जाने के बाद भी अमर यादव को खाना नहीं नसीब हुआ. वह खाली पेट लौट रहे थे. लेकिन लौटते-लौटते रास्ते में अंधेरा हो गया और उनकी भूख का सब्र भी टूटने लगा.  ऐसे में उन्होंने अपनी रात रास्ते में रूककर बीताने की सोची. इसके बाद वह पास में पड़े एक जूट के बोरे को ओढ़कर सो गए. लेकिन भूख और ठंड की वजह से आज सुबह करीब 5 बजे उनकी मौत हो गई. इस दौरान का सीसीटीवी वीडियो भी सामने आया है. 

ग्रामीणों का कहना है कि अमर बहादुर यादव दो भाई हैं और घर में एक बूढ़ी मां है. परिवार में गरीबी इतनी है कि आज तक किसी भाई की शादी तक नहीं हुई है. घर में छोटे चूल्हे बर्तन के अलावा कुथ  घास फूस के बिस्तर पड़े हुए हैं.  परिवार इतना गरीब है कि जमीन के नाम पर उनके पास एक इंच खेत नहीं है. अमर बहादुर यादव की मौत के बाद प्रशासन पर आरोप लग रहे हैं कि अपनी साख बचाने के लिए आनन-फानन में पोस्टमार्टम तो करा दिया गया. लेकिन बेसहारा मां और भाई को आज भी उसी बदहाली में छोड़ दिया गया है.

तीन दिनों तक पेट में नहीं गया अन्न का दाना

मृतक अमर बहादुर की विधवा मां फूलकला का रो-रोकर बुरा हाल है. उन्होंने बताया कि गरीबी के कारण उनका परिवार लंबे समय से दाने-दाने को मोहताज है. अमर बहादुर तीन दिन पहले घर से निकला था. जिसके बाद उसकी फोटो सोशल मीडिया पर मिली. मां का आरोप है कि उन्हें आज तक किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला और न ही बेटे की मौत के बाद कोई अधिकारी सुध लेने आया.

ग्रामीणों का कहना है कि अमर बहादुर की हालत देखकर किसी का भी दिल पसीज जाए. लेकिन सरकारी तंत्र की नजर उन पर कभी नहीं पड़ी. एक तरफ जहां पूरा गांव अमर बहादुर की मौत और परिवार की बदहाली से गमगीन है. वहीं जिम्मेदार अधिकारी मामले से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं. इस संबंध में जब खंड विकास अधिकारी आकांक्षा सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्हें इस घटना की कोई जानकारी नहीं है और न ही किसी ने उन्हें इस बारे में सूचित किया है.

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