लखनऊ (Lucknow News) के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के जनरल सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने हर्निया के इलाज की सस्ती टेक्निक को खोज निकाला है , जिसे टार्म्स टेक्निक कहते हैं.
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जनरल सर्जरी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. अवनीश कुमार ने बताया,
“यह टेक्निक उस ऑपरेशन में इस्तेमाल की जाती है, जो हर्निया किसी ऑपरेशन के बाद वाली होती है, चाहे वह नाभि वाली हर्निया हो या फिर बड़े पेट की हर्निया, जिसे इंसीजनल हर्निया कहते हैं, उस हर्निया के इलाज में कम खर्च होता है. पहले इन्हीं ऑपरेशनों में मरीजों की हर्निया की स्थिति के अनुसार रुपया लगता था, जोकि 50 से 1 लाख रुपये के बीच तक खर्च होता था, लेकिन हम लोगों ने ऐसे ऑपरेशनों में सस्ती तकनीक खोजी है.”
डॉ. अवनीश कुमार
डॉ. अश्वनी कुमार ने बताया कि जो हर्निया के ऑपरेशन चीरा लगाकर किए जाते हैं, उसमें नॉर्मल जाली प्रयोग होती है, उसमें कम खर्चा आता है लेकिन जो दूरबीन के जरिए हर्निया का इलाज करके जाली लगाई जाती है उसमें ज्यादा खर्चा आता है. इसी दूरबीन वाले महंगे ऑपरेशनों को हम लोगों ने लेप्रोसिक टर्म्स एब्डोमिनल रेट्रो मस्क्यूलर टेक्निक का इस्तेमाल करते हुए कम खर्चे में कर दिया है.
उन्होंने आगे बताया कि इस पद्धति में हम यह करते हैं कि जो चीरे वाले ऑपरेशन में नार्मल जारी लगती है, उसी जाली को हम दूरबीन वाले ऑपरेशन में टर्म्स टेक्निक का इस्तेमाल करके सर्जरी कर देते है, जिसमें जाली का खर्चा 3-4 हजार के आसपास आता है.
डॉ. अश्वनी कुमार के मुताबिक, पूरे ऑपरेशन की बात करें तो 5 से 7 हजार रुपये में पूरा ऑपरेशन हो जाता है और अच्छी बात यह रहती है कि इस टेक्निक के प्रयोग करने से संक्रमण का खतरा भी कम रहता है और तो और आंतों से जाली चिपकने का डर भी नहीं रहता है और मरीजों को जल्दी छुट्टी मिल जाती है.
डॉ. अवनीश कुमार बताते हैं कि इस पद्धति को करने में लगभग 3 घंटे लगते हैं, लेकिन अगर केस थोड़ा क्रिटिकल है तो 4 घंटे भी लग जाते हैं, तब जाकर ऑपरेशन पूर्ण होता है. डॉ. अवनीश ने आगे बताया कि इस टेक्निक से अभी तक 30 से 40 सफल ऑपरेशन मरीजों के किए जा चुके हैं.
प्रोफेसर कुमार ने यह भी बताया कि ओपीडी में उनके पास लगभग एक दिन में 20 से 25 हर्निया के पेशेंट उनको दिखाने के लिए आ जाते हैं और उनकी सर्जरी भी उनके बजट में फिट हो जाती है.
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