अयोध्या के मंदिर-मस्जिद मामले में 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद यहां भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है. करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने राम मंदिर में दर्शन भी कर लिए हैं. पर इसी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में नई मस्जिद बनाने के लिए जो बात कही थी, वो अबतक पूरी नहीं हो पाई है. इतने सालों में अयोध्या में नई मस्जिद के लिए धन्नीपुर में सिर्फ जमीन ही मिल पाई है और अब इसे लेकर एक और चौंकाऊ खबर सामने आ गई है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने धन्नीपुर गांव में मस्जिद निर्माण के लिए पेश की गई योजना को रिजेक्ट कर दिया है.
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इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने इस फैसले को लेकर हैरत भी जताई है. रिपोर्ट के मुताबिक ADA ने मस्जिद को लेकर दाखिल की गई एक RTI के जवाब में ये जानकारी दी है. बताया जा रहा है कि ADA ने दूसरे सरकारी विभागों से नॉन ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) नहीं मिलने की बात कहकर प्रस्तावित मस्जिद के निर्माण का प्लान रिजेक्ट किया है.
RTI के जवाब में क्या-क्या पता चला?
अधिकारियों ने एक RTI के जवाब में 16 सितंबर को जारी पत्र के जरिए जानकारी दी कि मस्जिद ट्रस्ट की 23 जून 2021 को दाखिल की गई आवेदन इस आधार पर वापस कर दी गई कि योजना को मंजूरी देने वाले प्रमुख सरकारी विभागों- पब्लिक वर्क्स, प्रदूषण नियंत्रण, सिविल एविएशन, सिंचाई, राजस्व, नगर निगम और अग्निशमन सेवाओं से स्पष्ट अनुमति प्राप्त नहीं हुई है.
आपको बता दें कि 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मस्जिद विवाद मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया था ताकि वहां मस्जिद समेत अन्य संबंधित सुविधाओं का निर्माण किया जा सके. इसके बाद 3 अगस्त 2020 को तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट अनुज कुमार झा ने सोहाड़ा तहसील के धन्नीपुर गांव में स्थित जमीन का कब्जा सुन्नी वक्फ बोर्ड को सौंप दिया. यह जगह अयोध्या शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर है.
ADA ने RTI उत्तर में यह भी कहा कि मस्जिद ट्रस्ट ने आवेदन और मूल्यांकन शुल्क के रूप में 4,02,628 रुपए जमा किए हैं. मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने कहा कि, 'सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के लिए भूमि आवंटित करने का आदेश दिया था, और यूपी सरकार ने जमीन सौंप दी. फिर भी सरकारी विभागों ने एनओसी क्यों नहीं दी और विकास प्राधिकरण ने योजना क्यों खारिज की, मुझे तो ये बात समझ में ही नहीं आ रही.'
हुसैन ने बताया कि अग्निशमन विभाग ने साइट निरीक्षण के दौरान सड़क की चौड़ाई को लेकर आपत्तियां लगाईं. उनका कहना है कि मस्जिद और अस्पताल के लिए मुख्य सड़क कम से कम 12 मीटर चौड़ी होनी चाहिए जबकि स्थल पर मुख्य सड़क केवल 6 मीटर चौड़ी है और मस्जिद की मुख्य पहुंच मार्ग पर चौड़ाई केवल 4 मीटर है. उन्होंने कहा कि अन्य विभागों की आपत्तियों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
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