धर्म परिवर्तन कर जितेंद्र नारायण त्यागी बने वसीम रिजवी यूं तो हमेशा सुर्खियों में रहते हैं. एक बार फिर अयोध्या आकर उन्होंने जो कुछ किया है उससे वो फिर चर्चा में हैं. उन्होंने माता सरयू को अपने लौकिक (परंपरागत) वस्त्र समर्पित कर हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास द्वारा भेंट किए गए भगवा वस्त्र धारण किया और प्रण लिया कि अपना बचा हुआ जीवन भगवा वस्त्र पहनकर हिंदू संस्कृति की रक्षा के लिए समर्पित करेंगे.
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कट्टरपंथियों पर साधा निशाना
इसके बाद हनुमानगढ़ी और श्रीराम जन्मभूमि में दर्शन-पूजन किया. भगवा वस्त्र पहनने से उर्जा और शक्ति मिलने की बात कहते हुए उन्होंने एक बार फिर कट्टरपंथियों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अगर कभी भी यह मुमकिन हो सके कि कट्टरपंथी मेरा सर काट ले तो मैं भोलेनाथ के दरबार में ईश्वर के दरबार सभी देवी देवताओं के सामने अपना कटा हुआ सिर इसी भगवे वस्त्र में लेकर जाऊं.
वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी गुरुवार को सीधे अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद के कार्यालय कारसेवक पुरम पहुंचे. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय से मुलाकात की. वहीं पर हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने उन्हें भगवा वस्त्र भेंट किया. राजू दास के साथ ही जितेंद्र नारायण त्यागी बने वसीम रिजवी सरयू तट पर पहुंचे और अपने पहने हुए वस्त्र सरयू माता में प्रवाहित कर दिया. मंत्रोचार के बीच सरयू में डुबकी लगाई और भगवा वस्त्र धारण कर लिया.
हालांकि धर्म परिवर्तन के समय भी वसीम रिजवी भगवा वस्त्र में नजर आए थे, लेकिन इसके बाद उन्हें परंपरागत वस्त्र पहने ही देखा गया. अब उन्होंने परंपरागत वस्त्र छोड़कर हमेशा भगवा वस्त्र पहनने का ऐलान कर दिया है और अपना पूरा जीवन हिंदू धर्म संस्कृति के उत्थान के लिए समर्पित कर देने की बात भी कही है.
जल्द धारण करेंगे सन्यास
जितेंद्र नारायण त्यागी उर्फ वसीम रिजवी ने बताया कि वे जल्द ही सन्यास भी धारण करेंगे. बिल्कुल धार्मिक रीति-रिवाज के साथ सन्यास धारण करेंगे. इसके तारीख की भी जल्द घोषणा की जाएगी.
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