4 कैदी बने RJ, 2 घंटे का कार्यक्रम... आगरा में जेल रेडियो के बेमिसाल 6 साल की पूरी कहानी

Agra Jail Radio News: 19 जुलाई 2019 का वो दिन, जब आगरा जिला जेल की सबसे पुरानी इमारत में 'जेल रेडियो' की शुरुआत हुई थी. आज इसे 6 साल हो गए हैं. इसकी पूरी कहानी जानिए.

Representative Image of Agra Jail Radio

हर्ष वर्धन

31 Jul 2025 (अपडेटेड: 01 Aug 2025, 05:49 PM)

follow google news

Agra Jail Radio: जेल की ऊंची दीवारों के पीछे भी उम्मीद की रोशनी और बदलाव की आशा की जा सकती है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि  आगरा जेल रेडियो ने यह साबित कर दिखाया है. मालूम हो कि 31 जुलाई, 2019 को आगरा जिला जेल में शुरू हुए इस अनूठे रेडियो स्टेशन ने अब अपने छह परिवर्तनकारी वर्ष पूरे कर लिए हैं. यह सिर्फ एक रेडियो नहीं, बल्कि बंद बैरकों में कैदियों के लिए अभिव्यक्ति का मंच, मानसिक सुकून का जरिया और सुधार की एक नई राह बन गया है. इस 'जेल रेडियो' ने न केवल कैदियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं, बल्कि कोविड-19 जैसे मुश्किल दौर में भी उन्हें सहारा दिया है. 

यह भी पढ़ें...

आगरा जेल रेडियो ने पूरे किए 6 बेमिसाल साल

19 जुलाई, 2019 का वो दिन, जब आगरा जिला जेल की सबसे पुरानी इमारत में 'जेल रेडियो' की शुरुआत हुई थी. उस दिन तत्कालीन एसएसपी बबलू कुमार, जेल अधीक्षक शशिकांत मिश्रा और तिनका तिनका फाउंडेशन की फाउंडर प्रोफेसर (डॉ.) वर्तिका नन्दा ने इसका उद्घाटन किया था. यह एक छोटा सा प्रयोग था, जिसका उद्देश्य कैदियों के बीच सकारात्मक संवाद और रचनात्मक जुड़ाव को बढ़ावा देना था, लेकिन आज यह जेल जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है. 

अभिव्यक्ति और आशा का मंच है जेल रेडियो 

तिनका तिनका फाउंडेशन के मार्गदर्शन में स्थापित इस रेडियो स्टेशन की कल्पना दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की प्रमुख और फाउंडेशन की संस्थापक प्रोफेसर वर्तिका नन्दा ने की थी. जेलों में रेडियो के उनके विजन ने देश भर की विभिन्न जेलों में सुधार के लिए एक शक्तिशाली उपकरण का रूप ले लिया है. इस पहल ने खासकर कोविड-19 महामारी के दौरान कैदियों को बड़ा सहारा दिया और यूपी को अन्य जेलों में भी ऐसे रेडियो स्टेशन शुरू करने के लिए प्रेरित किया.

आज कैसे काम कर रहा है जेल रेडियो?

मात्र तीन कैदी रेडियो जॉकी (RJs) के साथ शुरू हुई यह पहल इन वर्षों में लगातार बढ़ी है. आज चार कैदी आरजे दिन के दो घंटे के कार्यक्रम का संचालन करते हैं. इस कार्यक्रम में संगीत, कहानी सुनाना, कविता, प्रेरणादायक संबोधन और शैक्षिक चर्चाएं शामिल होती हैं. यह सब कैदियों द्वारा ही तैयार और प्रस्तुत किया जाता है. जेल रेडियो कैदियों के लिए एक मंच है जहां वे आत्मचिंतन भी करते हैं. 

जेल अधीक्षक ने क्या बताया?

जेल अधीक्षक हरि ओम शर्मा के नेतृत्व में आज जेल रेडियो कुशलता से चल रहा है. उन्होंने कहा, "यह जेल रेडियो बंदियों के लिए वरदान साबित हुआ है. यह उनके मानसिक स्वास्थ्य में सुधार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है."

2019 के पहले रेडियो जॉकी कौन थे?

लॉन्च के समय, आईआईएम बैंगलोर से स्नातक महिला कैदी तूहिना और स्नातकोत्तर पुरुष कैदी उदय को रेडियो जॉकी बनाया गया था. बाद में एक और कैदी रजत भी उनसे जुड़ गया. तूहिना उत्तर प्रदेश की जेलों में पहली महिला रेडियो जॉकी बनी. रेडियो के लिए स्क्रिप्ट भी कैदियों द्वारा ही तैयार की जाती थी. डॉ.  नन्दा ने बताया है कि जल्द ही कैदियों के एक नए बैच के लिए प्रशिक्षण शुरू होगा, जो इस पहल को और आगे बढ़ाएगा.

जेल रेडियो और शोध:

वर्तिका नन्दा के शोध, जिसका विषय 'भारतीय जेलों में महिला कैदियों और उनके बच्चों की स्थिति तथा उनकी संचार आवश्यकताओं का अध्ययन, विशेष संदर्भ उत्तर प्रदेश में" था. आईसीएसएसआर (ICSSR) ने अपने मूल्यांकन में इसे 'उत्कृष्ट' (OUTSTANDING) बताता. इसे 2024 में लखनऊ में यूपी के मुख्य सचिव मनोज सिंह और डीजी जेल पीवी रामा शास्त्री ने जारी किया था. दिलचस्प बात यह है कि आगरा जेल रेडियो इस शोध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. 

इसके अलावा, 2024 में एनबीटी (NBT) द्वारा प्रकाशित पुस्तक "रेडियो इन प्रिजन" के केंद्र में भी यही जेल रेडियो है. इस पुस्तक का विमोचन 2024 में नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले में एक भव्य समारोह में एनबीटी अध्यक्ष मिलिंद सुधाकर मराठे, एनबीटी के प्रधान संपादक कुमार विक्रम, डीआईजी कारागार (आगरा रेंज) पीएन पांडे, ब्रूट इंडिया की प्रधान संपादक महक कासबेकर और डॉ. नन्दा ने खुद किया था. 

ये भी पढ़ें: आगरा की अटलपुरम टाउनशिप में जिस रेट पर मिलेंगे फ्लैट उसकी जानकारी सामने आई, आपको करना होगा ये काम

    follow whatsapp