UGC ने डिस्टेंस और ऑनलाइन मोड में साइकोलॉजी डिग्री को किया बैन, 2025-26 के सेशन के लिए हुआ ये फैसला

यूजीसी ने मनोविज्ञान के डिस्टेंस लर्निंग कोर्स पर रोक लगा दी है, जिससे 1.3 लाख से ज्यादा छात्रों का भविष्य प्रभावित हुआ है. अब मनोविज्ञान को राष्ट्रीय सहयोगी और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स कमीशन के अधीन लाया गया है. छात्रों और शिक्षकों में इस फैसले को लेकर चिंता बढ़ी है, और वे इसकी समीक्षा की मांग कर रहे हैं.

निष्ठा ब्रत

• 12:43 PM • 01 Oct 2025

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हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने मनोविज्ञान के डिस्टेंस लर्निंग यानी दूर से पढ़ाई करने वाले कोर्स पर रोक लगा दी है. इस फैसले से देश भर में 1.3 लाख से ज्यादा छात्रों की पढ़ाई और करियर की योजना पर असर पड़ा है. इसमें वो छात्र भी शामिल हैं जो अभी मनोविज्ञान के अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट कोर्स कर रहे हैं और वे भी जिनके पास पहले से इस विषय में डिग्री है, लेकिन अब उन्हें अपनी डिग्री की वैधता को लेकर चिंता है.

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क्यों लगी यह रोक?

यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि मनोविज्ञान को अब राष्ट्रीय सहयोगी और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स कमीशन (NCAHP) के तहत लाया गया है. यह एक सरकारी संस्था है जो 2021 में बनी है और स्वास्थ्य से जुड़े पेशों को देखती है. इसी वजह से यूजीसी की डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो ने उन यूनिवर्सिटीज को मनोविज्ञान के डिस्टेंस कोर्स चलाने की अनुमति वापस ले ली है, जो पहले इसे चलाती थीं.

छात्रों और शिक्षकों में चिंता बढ़ी

यूजीसी के इस फैसले से छात्रों और कॉलेजों में काफी चिंता और कन्फ्यूजन हो गया है. जो यूनिवर्सिटीज कई सालों से ये कोर्स चला रही थीं, वो अब परेशान हैं. इसके अलावा छात्र भी नहीं जानते कि उनकी डिग्री की क्या वैल्यू रहेगी और आगे उनका करियर कैसे बनेगा.  

विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि मनोविज्ञान के डिस्टेंस कोर्स हेल्थकेयर से जुड़े कामों से पूरी तरह मेल नहीं खाते. दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. यूएस पांडे का मानना है कि डिस्टेंस कोर्स का सिलेबस रेगुलर कॉलेज के कोर्स जैसा ही होता है, इसलिए इसे अलग से रोकना सही नहीं. 

इसके अलावा बिना कोई समय दिए इस फैसले को लागू कर दिया गया, जिससे छात्रों को बहुत दिक्कत हो रही है. अभी पढ़ रहे छात्र सोच में हैं कि उनकी डिग्री सही मानी जाएगी या नहीं और जो पहले से ग्रैजुएट हैं उन्हें आगे पढ़ाई या नौकरी में दिक्कत आ सकती है.

मनोविज्ञान के डिस्टेंस कोर्स बढ़ रहे थे

डिस्टेंस लर्निंग के जरिए मनोविज्ञान के कोर्स पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़े हैं. 2020-21 में 17 यूनिवर्सिटी ऐसे कोर्स ऑफर करती थीं, जो 2024-25 में बढ़कर 57 हो गईं हैं. बता दें कि तेलंगाना और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा स्टेट यूनिवर्सिटी ये कोर्स देती हैं.

कई विशेषज्ञ कहते हैं कि यह फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के खिलाफ है, क्योंकि NEP का मकसद शिक्षा को आसान और सबके लिए उपलब्ध बनाना है. यह रोक इससे उल्टा काम कर रही है.

अब क्या होगा?

छात्र और शिक्षक दोनों इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं. अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय क्या इस फैसले को वापस लेंगे या नहीं. इस फैसले से लाखों छात्र प्रभावित हुए हैं और उनका भविष्य दांव पर लगा है.

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