उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) सर्वे का काम अंतिम चरण में है. इस बीच तमाम मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर करोड़ों मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से कटने की आशंकाएं जताई जा रही हैं. रामपुर में SIR के दौरान गलत जानकारी देने पर एक एफआईआर भी दर्ज हुई है. इन तमाम मुद्दों पर यूपी Tak ने यूपी मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) नवदीप रिणवा से बात की है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि चुनाव आयोग का प्रयास है कि कोई भी वास्तविक और जेन्युइन मतदाता न छूटे. बड़ी खबर ये है कि इसके लिए SIR की डेडलाइन बढ़ाने पर भी विचार किया जा सकता है.
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रामपुर में एफआईआर दर्ज होने की घटना पर सीईओ नवदीप रिणवा ने प्रवासी (ओवरसीज) मतदाताओं से जुड़ी कानूनी जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि भारत के ऐसे नागरिक जो शिक्षा या नौकरी की वजह से विदेशों में रह रहे हैं और उन्होंने किसी अन्य देश की नागरिकता नहीं ली है, उनके लिए साल 2011 में रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट में धारा 20(क) जोड़ी गई थी. ऐसे लोगों को फॉर्म 6ए भरना पड़ता है. रिणवा ने स्पष्ट किया कि यह फॉर्म केवल उस व्यक्ति द्वारा ही भरा जा सकता है जो विदेश में रह रहा हो.
उन्होंने बताया कि ऐसे मतदाताओं को EPIC (वोटर कार्ड) नहीं मिलता, बल्कि चुनाव के दौरान उन्हें अपनी पहचान साबित करने के लिए ओरिजिनल पासपोर्ट लेकर अपने पोलिंग स्टेशन पर शारीरिक रूप से उपस्थित होना पड़ता है. नवदीप रिणवा ने जानकारी दी कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश की वोटर लिस्ट में 1,533 (पंद्रह सौ तैंतीस) ओवरसीज इलेक्टर्स दर्ज हैं. उन्होंने जोर दिया कि ऐसे लोगों को अपना फॉर्म 6ए ऑनलाइन या ऑफलाइन (डाक द्वारा) स्वयं भर कर जमा करना चाहिए, न कि परिवार के सदस्यों द्वारा भरवाना चाहिए.
इस पूरे इंटरव्यू को यहां नीचे देखा जा सकता है.
सामान्य रूप से बाहर रहने वालों का क्या होगा?
सीईओ रिणवा ने साफ किया कि SIR उन लोगों पर भी लागू होता है जो उत्तर प्रदेश के नागरिक हैं, लेकिन सामान्य रूप से नौकरी या अन्य कारणों से मुंबई, दिल्ली, पंजाब या देश के किसी दूसरे हिस्से में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि आप वहां के वोटर बन सकते हैं जहां सामान्य रूप से निवास रहते हो और एक ही जगह बन सकते हैं. कानूनन जहां आप सामान्य रूप से रह रहे हैं और नौकरी कर रहे हैं, वहीं आपको वोटर बनने का अधिकार है. उन्होंने चेताया कि लोगों को केवल पैतृक गांव या पुरखों की जमीन से नाता बनाए रखने के लिए वहां वोट नहीं बनवाना चाहिए. ऐसे लोगों के नाम भी SIR के तहत 'अनकलेक्टेबल' श्रेणी में आएंगे और परिवार को उनका फॉर्म भर कर नहीं देना चाहिए.
करोड़ों वोट कटेंगे या बढ़ सकती है SIR की तारीख?
मतदाता सूची से करोड़ों नाम कटने की आशंका पर सीईओ नवदीप रिणवा ने वर्तमान स्थिति को स्पष्ट किया. उन्होंने बताया कि लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, 96.5% से अधिक मतदाताओं का डिजिटाइजेशन का काम हो चुका है और लगभग 80% वोटर्स ने फॉर्म भर कर दिए हैं. हालांकि करीब 17% मतदाता ऐसे हैं जो 'अनकलेक्टेबल' की श्रेणी में आए हैं. 'अनकलेक्टेबल' का मतलब है कि या तो मतदाता मृतक हैं, स्थायी रूप से शिफ्ट हो गए हैं, क्षेत्र में मिले नहीं हैं, या उनका नाम कहीं और होने के कारण उन्होंने फॉर्म भरा नहीं है.
रिणवा ने कहा कि हम चाहेंगे कि जितने हमारे ऐसे मतदाता किसी भी वनजह से अनकलेक्टेबल श्रेणी में आ गए हैं, उनको हम एक बार फिर से अच्छे से दिखवा लें. उन्होंने बताया कि जिला निर्वाचन अधिकारियों की बैठकों में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि इस 17% श्रेणी के मतदाताओं को सुपरवाइजर के माध्यम से पुनः दिखवाया जाए, ताकि कोई जेन्युइन मतदाता न छूट जाए.
फिलहाल SIR सर्वे की अंतिम तारीख 11 दिसंबर है, लेकिन सीईओ ने यूपी Tak पर जानकारी दी है कि यह तारीख बढ़ाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य है कि जब ड्राफ्ट वोटर लिस्ट छपे, तो कम से कम ऐसे केस बचें जिनके नाम आने चाहिए थे और किसी वजह से नहीं आ पाए. इसके लिए अनकलेक्टेबल श्रेणी के मतदाताओं की लिस्ट बनाकर बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) और राजनीतिक दलों के एजेंट्स (BLA) की बैठक होगी, ताकि राजनीतिक दल भी अपनी संतुष्टि कर लें.
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