समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक बयान ने सियासी गलियारों में नई बहस को जन्म दे दिया है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब अखिलेश यादव ने अचानक कह दिया कि मैं क्षत्रिय हूं तो यह सिर्फ एक वाक्य नहीं रह गया बल्कि राजनीति, जातीय पहचान और आगामी चुनावी समीकरणों से जुड़ा एक बड़ा सवाल बन गया. बयान सामने आते ही उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई और हर तरफ इसको लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं. इसी सियासी बयान के पीछे की वजह उसके राजनीतिक संकेत और समाज पर पड़ने वाले असर को समझने के लिए UP Tak की टीम ने मुरादाबाद में मौजूद अनुभवी राजनीतिक पत्रकारों से बातचीत की. इन पत्रकारों ने अखिलेश यादव के इस बयान को अलग-अलग नजरिए से परखा और बताया कि आखिर इस वक्त ऐसा बयान क्यों आया और इससे आगे की राजनीति पर क्या असर पड़ सकता है.
ADVERTISEMENT
क्या कहा पत्रकारों ने?
यूपी Tak रिपोर्टर ने जब वहां मौजूद पत्रकारों से सवाल पूछा कि अखिलेश यादव ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मैं क्षत्रिय हूं जबकि वे मूल रूप से यदुवंशी हैं और पहले भी उन्होंने खुद को यदुवंशी बताया था. इस बदलाव का राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है और इसके पीछे का कारण क्या हो सकता है?
इस पर वहां मौजूद एक पत्रकार कशिश ने उत्तर दिया और कहा कि 'यह भी हो सकता है कि यह खबर अभी तक बाहर नहीं आई थी और उन्होंने खुद ही इसे स्पष्ट कर दिया कि यादवों ने उन्हें छोड़ दिया है. ऐसा प्रतीत होता है कि उनका पंजा क्षत्रियों से लड़ रहा है. अब वह अपने आप को क्षत्रिय साबित कर रहा है कि मैं बहुत ताकतवर हूं.यह एक सियासी बयान है.
उन्होंने यह भी कहा कि 'मुसलमान अब अखिलेश यादव से कुछ दूरी बना रहे हैं और सेकुलर खेमे का कुछ हिस्सा भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ रहा है. ऐसा हो सकता है कि उन्होंने ये बौखलाहट में कहा हो. कशिश ने आगे कहा कि अखिलेश यादव थे हैं और रहेंगे.क्षत्रिय कहने से कोई क्षत्रिय नहीं हो जाता. क्षत्रिय होने के लिए क्षत्रिय होना पड़ता है.'
2027 चुनाव से क्या जुड़ा हो सकता है?
रिपोर्टर ने आगे सवाल किया और पूछा कि इस बयान का आपके अनुसार क्या राजनीतिक मतलब है? क्या यह सीधे 2027 के आगामी चुनाव से जुड़ा है? खासकर जब उन्होंने खुद को क्षत्रिय बताया है तो क्या इसका असर किसी खास समुदाय या वोट बैंक पर पड़ेगा?
इस पर कशिश ने कहा कि 'क्षत्रिय समाज के लोग खुश नहीं होंगे. यादव समाज भी नाराज हो सकता है. लेकिन अखिलेश जी कितने पॉलिटिकली स्ट्रांग हैं यह आने वाला वक्त ही बताएगा. ऐसे बयानों से दोनों बिरादरी प्रभावित हो सकती हैं.'
रिपोर्टर ने अगले पत्रकार सुशील से सवाल पुछा कि आपका क्या विचार है? हाल ही में अखिलेश यादव ने कहा कि 'मैं क्षत्रिय हूं'. आपके हिसाब से इसका राजनीतिक या सामाजिक प्रभाव क्या होगा? क्या यह बयान सकारात्मक असर डालेगा या नकारात्मक?
सुशील ने यूपी Tak की टीम से बात चीत में कहा कि हमे इसे राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए. उस समय उसने जो सवाल पूछा गया उस हिसाब से उन्होंने जवाब दिया. उन्होंने आगे कहा कि 'व्यक्ति अपने कर्म से जाना जाता है. जब बच्चा पैदा होता है तो वह शूद्र होता है.अगर किसी को ज्ञान प्राप्त होता है तो वह पंडित कहलाता है और अगर कोई किसी के लिए संघर्ष कर रहा है, लड़ाई लड़ रहा है तो उसे क्षत्रिय कहा जाता है.'
उन्होंने आगे कहा कि 'यहां तो अब जात-पात वाली बात आ गई कि नहीं यह तो यादव हैं.उन्होंने अपने आप को क्षत्रिय कैसे कह दिया?' उन्होंने आगे कहा कि वह अखिलेश संविधान के लिए लड़ रहे हैं...अपनी राजनीति के लिए लड़ रहे हैं और साथ ही पीडीए के लिए भी एक बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं. जो व्यक्ति लड़ाई लड़ता है, वही क्षत्रिय कहलाता है इसी संदर्भ में उन्होंने कहा कि मैं क्षत्रिय हूं.'
रिपोर्टर ने जब उनसे सवाल पुछा कि जैसा कशिश जी ने कहा, क्या इस बयान से यादव समाज नाराज हो सकता है? तो इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि “नाराज होने की कोई वजह नहीं है. कोई भी आदमी क्यों नाराज होगा? अगर कोई यादव पढ़-लिखकर विद्वान बन जाता है और कहता है कि उसे ज्ञान प्राप्त हो गया है, वह पंडित बन गया है तो क्या बाकी यादव उसके खिलाफ हो जाएंगे? उसने ज्ञान अर्जित किया है यह उसकी उपलब्धि है.
उन्होंने आगे उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई यादव फौज में चला जाता है, देश के लिए लड़ता है, संघर्ष करता है तो वह भी क्षत्रिय का ही काम कर रहा है. हमने पढ़ा है, समझा है कि क्षत्रिय वही होते हैं जो जंग के मैदान में लड़ते हैं. चाहे वह यादव हो या शूद्र समाज से आया हो, अगर वह लड़ाई लड़ रहा है तो वह भी क्षत्रिय है.
यहां देखें पूरी वीडियो रिपोर्ट
यह भी पढ़ें: रोज कोई न कोई बहाना बना पत्नी के साथ नहीं सोता था पति, 1.5 साल बाद लड़की को पता चला शौहर की कमजोरी का ये सच!
ADVERTISEMENT









