UP Tak के पॉडकास्ट 'यूपी की बात' में ओम प्रकाश राजभर ने खुलकर अपनी राजनीतिक रणनीति, गठबंधन और पुराने विपक्षी संबंधों पर चर्चा की. उन्होंने माना कि कभी योगी आदित्यनाथ और बीजेपी को लेकर उनकी लड़ाई विचारों की थी लेकिन अब भाजपा सरकार के साथ उनका तालमेल काफी बेहतर है. विशेष रूप से पिछड़ा वर्ग के लिए 7-9-11 फीसदी के फॉर्म्युले पर कोटा बंटवारे पर सामाजिक समिति की रिपोर्ट लागू करने को लेकर. राजभर ने दावा किया है कि उन्होंने आगामी पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण को पिछड़ों, अति पिछड़ों और सर्वाधिक पिछड़ों के इसी फॉम्युले (7-9-11) को लागू करने की मांग कर दी है.
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इस एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने मुख्तार अंसारी, योगी आदित्यनाथ, मायावती से संबंधों, बीजेपी में संभावित बदलाव, घोसी-मऊ उपचुनाव और विपक्षी खेमे के वोट समीकरणों पर भी तीखी टिप्पणी की. यहां नीचे आप ओम प्रकाश राजभर के साथ हुआ ये पूरा पोडकास्ट देख सकते हैं.
पॉडकास्ट में राजभर ने क्या क्या कहा?
आप देख सकते हैं कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी बेबाक टिप्पणियों और अनगाइडेड मिसाइल जैसे बयानों के लिए मशहूर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने इस पॉडकास्ट में अपनी सियासी यात्रा, गठबंधन की रणनीति, सामाजिक न्याय और विवादों पर खुलकर बात की है. पंचायती राज, अल्पसंख्यक कल्याण, वक्फ और हज जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों के साथ यूपी की सियासत में अपनी मजबूत पकड़ रखने वाले राजभर ने समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य सियासी मुद्दों पर बिना किसी लाग-लपेट के अपनी राय रखी.
सामाजिक न्याय समिति और रोहिणी आयोग: राजभर की प्राथमिकता
पॉडकास्ट में राजभर ने सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट और रोहिणी आयोग को लागू करने की अपनी मांग को प्रमुखता से उठाया. उन्होंने कहा कि 27% ओबीसी आरक्षण को 7%, 9% और 11% में बांटकर पिछड़े, अति पिछड़े और सर्वाधिक पिछड़े वर्गों को हिस्सेदारी दी जानी चाहिए. राजभर ने कहा कि 7% उन जातियों के लिए जो मजबूत हैं, जैसे यादव, पटेल, सोनार, स्वर्णकार. 9% उन अति पिछड़ों के लिए जो कुछ लाभ ले रहे हैं, जैसे निषाद, प्रजापति, पाल और 11% उन सर्वाधिक पिछड़ों के लिए जिनके पास कुछ नहीं है, जैसे बंजारा, बहेलिया, अर्कवंशी, कचेर, राजभर, बारी, राजवंशी. इनमें से पूरे यूपी में एक भी आईएएस, पीसीएस या थाना अध्यक्ष नहीं है.
उन्होंने बताया कि 2013 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस बंटवारे की सिफारिश की थी. लेकिन तत्कालीन सपा सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया. 2017 में भाजपा के साथ गठबंधन के दौरान भी यह मुद्दा उठाया गया, लेकिन लागू नहीं हुआ. नाराजगी के चलते राजभर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, अब केंद्र सरकार द्वारा गठित रोहिणी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर इस बंटवारे की प्रक्रिया शुरू होने की बात उन्होंने कही. 'प्रधानमंत्री जी और गृह मंत्री जी ने आश्वासन दिया है कि 7-9-11 के फॉर्मूले पर आरक्षण बांटा जाएगा. हम प्रदेश स्तर पर भी इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं,' राजभर ने स्पष्ट किया.
सपा से टूटा रिश्ता: 'अखिलेश ने दिया तलाकनामा'
सपा के साथ अपने टूटे रिश्ते पर राजभर ने तीखी टिप्पणी की. उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद सपा से अलग होने का जिक्र करते हुए कहा, 'अखिलेश यादव ने हमें लिखित में पत्र देकर कहा कि अब आप स्वतंत्र हैं, जहां जाना चाहते हैं, जा सकते हैं. यह तलाकनामा था.' उन्होंने आजमगढ़ उपचुनाव का उदाहरण देते हुए बताया कि 45-46 डिग्री की गर्मी में उनकी पार्टी के 300 कार्यकर्ताओं ने सपा के लिए प्रचार किया, लेकिन अखिलेश यादव 'एसी में बैठकर ट्वीट करते रहे.' राजभर ने सपा पर पिछड़ों और मुसलमानों के हक को लूटने का आरोप लगाया और कहा कि सपा का पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूला वास्तव में "परिवार डेवलपमेंट अथॉरिटी" है, जो केवल यादवों और परिवार के हितों को देखता है.
बसपा और मायावती: '38% पिछड़े उनके साथ'
बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ अपने रिश्तों पर राजभर ने कहा कि उनके संबंध आज भी अच्छे हैं और समय-समय पर मुलाकात होती रहती है. राजभर ने कहा कि 'मायावती जी का जनाधार आज भी मजबूत है. अगर वह 18 मंडलों में मीटिंग करें, तो सपा उनके पीछे खड़ी हो जाएगी. 38% पिछड़े और दलित उनके साथ जाने को तैयार हैं.' उन्होंने पूर्वांचल में दलित-राजभर गठजोड़ की ताकत का जिक्र करते हुए कहा कि मऊ, घोसी और रसड़ा जैसी सीटों पर यह गठबंधन अजेय हो सकता है. हालांकि, उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मायावती को गठबंधन के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन सपा ने इसे खारिज कर दिया.
भाजपा के साथ गठबंधन: 'सब कुछ स्मूथ'
भाजपा के साथ अपने मौजूदा गठबंधन पर राजभर ने कहा कि अब कोऑर्डिनेशन बहुत स्मूथ है. उन्होंने बताया कि दिल्ली में दिनेश शर्मा और लखनऊ में अवनीश अवस्थी को पॉइंट पर्सन बनाया गया है, जिससे उनकी बातें सीधे प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री तक पहुंचती हैं. राजभर ने कहा कि, 'पहले समय मांगने में 10-15 दिन लगते थे. अब मैसेज तुरंत पहुंचता है और कार्रवाई होती है.'
उन्होंने योगी आदित्यनाथ के साथ पुराने मतभेदों को विचारों की लड़ाई करार दिया और कहा कि अब संबंध बहुत अच्छे हैं. राजभर ने कहा, 'हमारी लड़ाई मुख्यमंत्री से नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय के लिए थी. अब हमारी बात सुनी जा रही है.' उन्होंने पंचायती राज मंत्रालय के जरिए गांवों में सड़क, नाली, शौचालय और आवास जैसी योजनाओं को लागू करने की बात कही. '15 लाख परिवारों को आवास, शौचालय, पेंशन, आयुष्मान कार्ड और मुफ्त शिक्षा देने की योजना है. यह हमारी लड़ाई का नतीजा है,' राजभर ने गर्व से बताया.
मऊ सीट और मुख्तार अंसारी का प्रभाव
मऊ सदर सीट पर चर्चा करते हुए राजभर ने कहा कि यह उनकी पार्टी की सीट है, क्योंकि 2022 में सुभासपा के सिंबल पर जीत हुई थी, भले ही प्रत्याशी सपा का था. उन्होंने मुख्तार अंसारी के परिवार के प्रभाव को स्वीकार करते हुए कहा, 'मुख्तारवादी आज भी हैं. राजभर, मुसलमान, दलित, राजपूत, ब्राह्मण, सभी तबकों में उनके समर्थक हैं. अगर उनके परिवार से कोई लड़ा, तो कांटे की टक्कर होगी.' हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि अब वह एनडीए के साथ हैं और उनकी पार्टी ही इस सीट पर लड़ेगी.
2027 का दावा: सपा नहीं आएगी
2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर राजभर ने सपा को चुनौती दी. राजभर ने कहा, 'सपा हवा की राजनीति कर रही है. धरातल पर हमारी ताकत है. 2027 में सपा नहीं आएगी.' उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी का जनाधार और एनडीए का साथ यूपी में भाजपा को और मजबूत करेगा.
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