UP के 67.50 लाख बुजुर्गों के लिए सरकार ने लिया बड़ा फैसला, 60+ उम्र वालों को अब नहीं करना पड़ेगा ये काम

उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक में बड़ा निर्णय लेते हुए बुजुर्गों को बिना फॉर्म भरे वृद्धावस्था पेंशन देने की घोषणा की है. ‘एक परिवार, एक पहचान’ प्रणाली के जरिए 60 साल से अधिक उम्र के लोगों की पहचान ऑटोमेटिकली हो जाएगी और सहमति मिलने के 15 दिनों के भीतर पेंशन उनके खाते में भेज दी जाएगी.

संतोष शर्मा

15 Nov 2025 (अपडेटेड: 15 Nov 2025, 01:20 PM)

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उत्तर प्रदेश सरकार ने बुजुर्गों को राहत पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है. बता दें कि शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि अब राज्य में वृद्धावस्था पेंशन के लिए किसी भी प्रकार का फॉर्म भरने की आवश्यकता नहीं होगी. अबसे सरकार ऑटोमेटेड सिस्टम के जरिए लाभार्थियों की पहचान कर उन्हें पेंशन देगी. यह बड़ा बदलाव करीब 67.50 लाख बुजुर्गों को लाभ पहुंचाएगा जबकि आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है.

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एक परिवार, एक पहचान के जरिए होगी स्वचालित पहचान

बैठक में बताया गया कि सरकार के पास एक परिवार, एक पहचान (Family ID) योजना के अंतर्गत प्रत्येक परिवार का पूरा डेटा उपलब्ध है. इसी डेटा का उपयोग कर 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों की पहचान की जाएगी और उन्हें ऑटोमेटिकली वृद्धावस्था पेंशन के लिए चुना जाएगा. 

समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा कि परिवार पहचान पत्र से लाभार्थियों की पहचान अपने आप हो जाएगी और बुजुर्ग की सहमति मिलते ही पेंशन स्वीकृत कर दी जाएगी. यानी अब बुजुर्गों को न दफ्तर के चक्कर लगाने होंगे और न ही उन्हें फॉर्म भरने की परेशानी उठानी पड़ेगी. 

एसएमएस, व्हाट्सएप और कॉल के जरिए ली जाएगी सहमति

बता दें कि अब सरकार बुजुर्गों को डिजिटल माध्यमों से ट्रैक करेगी. जैसे ही कोई व्यक्ति 60 साल के करीब पहुंचेगा, उसे एसएमएस, व्हाट्सऐप या फोन कॉल के माध्यम से सहमति प्रक्रिया शुरू होने की सूचना मिलेगी. जहां डिजिटल सहमति नहीं मिल पाएगी वहां अधिकारी या स्थानीय कर्मचारी व्यक्तिगत रूप से बातचीत कर सहमति प्राप्त करेंगे. 

असीम अरुण के अनुसार, सहमति मिलने के 15 दिन के अंदर पेंशन स्वीकृति पूरी कर दी जाएगी. इसके बाद राशि सीधे आधार से जुड़े बैंक खाते में ट्रांसफर होगी. 

पूरे प्रदेश में लागू होगा दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम

कैबिनेट ने दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1962 को संशोधित कर इसे ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. श्रम मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि नया ढांचा छोटे दुकानदारों या प्रतिष्ठानों पर किसी अतिरिक्त बोझ के बिना बेहतर श्रम सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. 

किरायेदारी नियमों में ढील, स्टांप शुल्क में बड़ी रियायत

सरकार ने किराये से जुड़े नियमों को आसान बनाने का फैसला किया है. कैबिनेट ने एक नया प्रस्ताव मंजूर किया है जिसके तहत किराये के समझौते (रेंट एग्रीमेंट) अब पहले से ज्यादा सरल और सस्ते हो जाएंगे. अब 10 साल तक के रेंट एग्रीमेंट पर लोगों को कई तरह की राहत मिलेगी. इससे छोटे किराये के समझौते बढ़ेंगे और बिना लिखित अनुबंध के होने वाले झगड़े भी कम होंगे.
 
सबसे बड़ी राहत स्टांप शुल्क में दी गई है. अगर कोई व्यक्ति एक साल के लिए 2 लाख रुपये तक का किराये का समझौता करता है तो उसे अब सिर्फ 500 रुपये स्टांप शुल्क देना होगा. पहले यह शुल्क काफी ज्यादा होता था. सरकार का कहना है कि इस फैसले से किराये के अनुबंध ज्यादा सुरक्षित, स्पष्ट और दोनों पक्षों के लिए आसान हो जाएंगे.

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