TET की अनिवार्यता के बीच सुप्रीम कोर्ट पहुंचा शिक्षक संघ और यूपी सरकार, अब आगे क्या होगा

कोर्ट ने कहा कि जिन शिक्षकों की नौकरी 5 साल की रह गई है उन्हें अनिवार्य रूप से यह पास करना पड़ेगा तभी उन्हें प्रमोशन मिलेगा. ऐसे में शिक्षकों की इस परेशानी को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची और शिक्षकों के साथ मिलकर ये गुहार लगाई कि कोर्ट अपने इस आदेश में रियायत बरतें और अपने आदेश पर पुनर्विचार करें.

teacher in class:सांकेतिक तस्वीर

गौरव कुमार पांडेय

06 Oct 2025 (अपडेटेड: 06 Oct 2025, 06:00 PM)

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उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों के सरकारी शिक्षकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है. पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने पहली कक्षा से आठवीं तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी कि TET पास करना अनिवार्य कर दिया था.ऐसे में यूपी समेत कई राज्यों में बवाल देखने को मिला. वहीं सरकारी शिक्षक सड़कों पर उतरे और जगह-जगह ज्ञापन दिया गया. सरकार से कहा गया कि वो इसमें दखल दें. कोर्ट में उनके समर्थन में आ जाए. इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए जानकारी दी कि शिक्षकों के लिए टेट की अनिवार्यता पर माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का रिवीजन दाखिल करने का विभाग को निर्देश दे दिया गया है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस याचिका पर सुनवाई कब होती है.

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कक्षा एक से आठवीं तक के शिक्षकों के लिए TET की अनिवार्यता

उत्तर प्रदेश के स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाने वाले सरकारी शिक्षकों को टेट परीक्षा पास करने की अनिवार्यता के आदेश पर पुनर्विचार की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुकी है. पिछले महीने दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर ऑल इंडिया प्राइमरी टीचर्स फेडरेशन ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. उत्तर प्रदेश सरकार और तमिलनाडु सरकार ने भी इस फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया था। शिक्षक संघ और यूपी सरकार ने दलील दी कि टेट की अनिवार्यता उन्हीं शिक्षकों पर लागू होती है जिनकी नियुक्ति आरटीई कानून लागू होने के बाद हुई है. यह अनिवार्यता उन शिक्षकों पर लागू नहीं होती जिनकी नियुक्ति इस कानून के लागू होने के पहले नियम कानूनों के तहत जो है हुई थी. इस पर और जानकारी देते हुए सुप्रीम कोर्ट कवर करने वाले हमारे सीनियर एडिटर संजय शर्मा बताते हैं कि  'देश के प्राथमिक शिक्षकों को टीईटी टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी शिक्षक योग्यता परीक्षा पास करनी पड़ेगी. तभी उन्हें प्रमोशन मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट के 1 सितंबर के इस आदेश को अब कई लोगों ने पुनर्विचार के लिए अर्जी दाखिल की है.

यूपी सरकार ने डाली अर्जी

अर्जी दाखिल करने वाले में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ है.इसके साथ ही भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार और तमिलनाडु सरकार इन्होंने भी अर्जी डाली है. जिसमें कहा है कि शिक्षक इस सुप्रीम कोर्ट इस मामले में पुनर्विचार करें और देखिए कि इसमें क्या राहत दी जा सकती है. कोर्ट का आदेश यह कहता है कि प्राथमिक शिक्षकों को पहली से आठवीं तक बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की बुनियाद मजबूत होनी चाहिए. तभी वह नई पीढ़ी को आगे अच्छी शिक्षा दे सकते हैं. मूल्य परक शिक्षा दे सकते हैं. लिहाजा उन्हें अपने ज्ञान का अपडेट करते रहना चाहिए और उसमें नई तकनीकें, नई चीजें जो आ रही हैं शिक्षा के क्षेत्र में उनको अपनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। तो इसके लिए उन्हें शिक्षक एलिजिबिलिटी टेट टेस्ट पास करना पड़ेगा. इसके बाद ही उन्हें प्रमोशन मिलेगा.

कब होगी सुनवाई

कोर्ट ने कहा कि जिन शिक्षकों की नौकरी 5 साल की रह गई है उन्हें अनिवार्य रूप से यह पास करना पड़ेगा तभी उन्हें प्रमोशन मिलेगा. इसके अलावा बाकी अन्य ऐसे लोग जो कई वर्षों से शिक्षक हैं और जो पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों के पढ़ाते हैं उन्हें भी TET का टेस्ट पास करना होगा. ऐसे में शिक्षकों की इस परेशानी को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची और शिक्षकों के साथ मिलकर ये गुहार लगाई कि कोर्ट अपने इस आदेश में रियायत बरतें और अपने आदेश पर पुनर्विचार करें. क्योंकि इससे लाखों ऐसे शिक्षकों पर असर पड़ेगा जिनकी रिटायरमेंट में पांच से छह साल रह गए हैं. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इन याचिकाओं पर सुनवाई कब होती है और सुनवाई किस दिशा में आगे बढ़ती है.

यहां देंखें पूरी वीडियो रिपोर्ट

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