नोएडा में महर्षि योगी आश्रम बना 'कंक्रीट का जंगल', किसकी शह पर यहां हो रहा अवैध निर्माण और जमीन बेचने का खेल?

Noida News: नोएडा के महर्षि योगी आश्रम की जमीन पर अवैध निर्माण और बिक्री का खुलासा. अथॉरिटी और डीएम की चुप्पी पर सवाल, NGT की कार्रवाई भी नाकाफी. सैकड़ों करोड़ की 'आस्था की जमीन' कैसे बन रही 'कंक्रीट का जंगल'?

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भूपेंद्र चौधरी

• 11:04 PM • 25 Jul 2025

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Noida News: नोएडा में कभी अध्यात्म और सेवा का प्रतीक रहा महर्षि योगी आश्रम, आज अवैध निर्माण के चपेट में आ गया है. जहां कभी यज्ञशालाएं थीं, वहां अब बिना किसी परमिशन के दीवारें खड़ी हो रही हैं. आरोप है कि बिना रजिस्ट्री और बिना परमिशन के धार्मिक जमीन बेचने का धंधा खुलेआम चल रहा है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसे बेच कौन रहा है, किसके नाम जमीन ट्रांसफर हो रही है? तो आपको बता दें कि इसका कोई जवाब न गौतमबुद्ध नगर डीएम के पास है और न ही नोएडा प्राधिकरण के पास. आसपास की सोसायटी के लोगों ने इसकी शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. 

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NGT बस करता है तो ये काम

दावों की मानें तो शिकायत पर NGT एक्शन लेता भी है, तो अवैध पेड़ काटने के मामले में ढाई-तीन लाख का फाइन कर देता है. मगर सैकड़ों करोड़ की जमीन के लिए ढाई-तीन लाख जुर्माना न के बराबर है. बता दें कि ATS वन हेमलेट सोसाइटी के रहने वाले लोगों ने अपनी आंखों के सामने हरियाली को कटते देखा है. यहां रहने वाले समीर कहते हैं, 'पहले हर सुबह बालकनी से हरियाली और पक्षियों की आवाज मिलती थी, अब हर सुबह सिर्फ नए कंस्ट्रक्शंस की खड़खड़ाहट आती है.'

सुधीर कुमार ने क्या बताया?

वहीं, इस इलाके में लंबे समय से रह रहे सुधीर कुमार ने बताया कि 'गेट नंबर 1 से पहले पेड़ हटे, फिर सड़क बनी और अब वहां बड़े स्ट्रक्चर तैयार हो गए. हमने शिकायत दी, एक दीवार बन गई. पर अंदर क्या चल रहा है, कोई नहीं जानता. सिर्फ रात में सुनाई देती हैं तो मोरों की बेचैन आवाजें.'

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सवाल ये नहीं है कि ये सब हो क्यों रहा है. सवाल ये है कि ये सब हो कैसे रहा है? 70 से ज्यादा हाई-राइज बिल्डिंग्स पिछले कुछ सालों में इसी इलाके में खड़ी हो गईं. नोएडा प्राधिकरण से सवाल पुछा गया तो जवाब मिला ये जगह अथॉरिटी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. जब डीएम से सवाल पूछो तो उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया.

पेड़ों को हटाने के लिए अब हो रहा ये काम

जब तक जिला वन अधिकारी को शिकायत मिलती है, तब तक पेड़ कट चुके होते हैं. आरोप तो यहां तक लग रहे हैं कि अवैध कब्जा जमाने वाले लोग अब पेड़ों को काटते नहीं हैं, वे सीधे पेड़ों की जड़ों में एसिड और कई दूसरे तरह के केमिकल डाल देते हैं, जिससे कुछ ही दिनों में पेड़ सूख कर गिर जाता है और वहां अवैध निर्माण शुरू हो जाता है. वहीं, डीएफओ से जब इस विषय में सवाल पूछा गया तो उन्होंने बस नियम के मुताबिक कार्रवाई करने की बात कही. डीएफओ की तरफ से भी कोई ठोस जवाब नहीं मिला.

नोएडा की ये जमीन अब आस्था का केंद्र नहीं है. अब ये ‘ऑन-डिमांड’ प्रॉपर्टी मार्केट है, जहां आस्था बिकती है, नियम जलते हैं और सिस्टम आंख मूंदकर बैठा है.अफसोस यह है कि ध्यान और धर्म की धरती पर से जंगल काट कर, कंक्रीट का जंगल बनाया जा रहा है. सवाल पूछने वाले तो कई हैं, लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं. 

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