UP News: महाकुंभ में IIT वाले बाबा अभय सिंह लगातार चर्चाओं में बने हुए हैं. बता दें कि IIT वाले बाबा अभय सिंह को जूना अखाड़े ने अपने कैंप से निकाल दिया है. मगर इसके बाद भी अभय सिंह ने महाकुंभ नहीं छोड़ा है. अब उनके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं है. ऐसे में वह हर बार महाकुंभ मेले में नई-नई जगह पाए जाते हैं. वह सर्दीभरी रात भी खुले आसमान के नीचे काट रहे हैं.
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इसी बीच हमारी टीम अभय सिंह को महाकुंभ मेले में खोजते-खोजते उनके पास पहुंची. इस दौरान वह हमें खुले आसमान के नीचे रात गुजारते हुए मिले. जब हमारी टीम अभय सिंह के पास पहुंची, उस समय वह तंत्र-मंत्र कर रहे थे. हमने पूछा कि वह इतनी रात ये कैसी पूजा कर रहे हैं?
देर रात कौन सी पूजा कर रहे थे अभय सिंह?
अभय सिंह ने कहा, यह एक यंत्र है. किस फॉर्म की एनर्जी आप पैदा कर रहे हैं. Upper triangle और lower triangle, male और female, फिर बीच में एक डॉट वाला सेंटर बनाया है. ये सब फायर एलिमिनेट से बनाया है. फिर साइड में उसको बैलेंस करने के लिए दो अगरबत्ती का इस्तेमाल किया है और बचा हुआ तो प्रसाद होता है.
फिर हमने पूछा कि आप किस तरह की ऊर्जा पैदा कर रहे हैं? इसका जवाब देते हुए अभय सिंह ने कहा, ये जो बैलेंस वाली एनर्जी है, यूनिवर्स का बैलेंस एक upward जाने के लिए और एक Downward के लिए. अगर मैं यूनिवर्स के साथ sync में आ गया तो यूनिवर्स की एनजी भी मैच कर जाएगी.
फिर हमने पूछा कि ये एनर्जी आएगी कैसे? इसका जवाब देते हुए अभय सिंह ने कहा, उसके लिए तो ध्यान ही कर सकते हैं. मुझे अगर एनर्जी बनानी होती है तो एक अगरबत्ती रहेगी साइड में. फिर एनर्जी के हिसाब से दिए रखकर, ध्यान लगाना होगा.
अभय सिंह ने आगे कहा, मैं वर्तमान पल के हिसाब से काम करता हूं. इस दौरान अभय सिंह ने ये भी कहा कि हम जो जीते हैं, वह वर्तमान है. वर्तमान ही आगे जाकर भूत बनता है.
भविष्य और चिंता को लेकर ये बोले
अभय सिंह ने कहा, भविष्य के बारे में चिंता करना सही नहीं है, लेकिन भविष्य के बारे में सोच सकते हो. प्लान कर सकते हो. चिंता जो शब्द है, वह अलग है. चिंता का मतलब है कि टेंशन हो गई. I can plan anything which my mind says and it must not have any space for a word like चिंता. फ्यूचर में ट्रैप नहीं होना है. हर पल को 100 प्रतिशत जीना है और उसके हिसाब से ही आगे आगे चीजें होती जाएंगी.
हमसे बात करते हुए आईआईटी बाबा अभय सिंह ने बताया, चलता सब कर्म के सिद्धांत पर ही है. भाग्य भी कर्म के सिद्धांत पर ही लिखा गया है. इस दौरान अभय सिंह ने ये भी बताया कि वह पुनर्जन्म में काफी विश्वास रखते हैं. उन्होंने कहा कि इसे समझने के लिए पहले आपको, जन्म और मृत्य को समझना पड़ेगा.
मैं अकेला बैठा हूं…
हमने अभय सिंह से पूछा कि जब सब खत्म हो जाए तब क्या करें? इसका जवाब देते हुए अभय सिंह ने कहा, कभी सब खत्म होता ही नहीं है. अभी मैं अकेला बैठा हूं. लोग बोलते हैं सब खत्म हो गया. मैं कहता हूं नहीं.
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