DM कमेंद्र सिंह, SDM अजयवीर सिंह, नगर निगम आयुक्त वरुण चौधरी सब सस्पेंड! ऐसी कार्रवाई नहीं देखी होगी आपने, हरिद्वार की Inside स्टोरी जानिए

उत्तराखंड में पहली बार एक साथ तीन बड़े अफसरों पर गिरी गाज, हरिद्वार भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री धामी की जीरो टॉलरेंस नीति का असर.

Haridwar land dispute

यूपी तक

03 Jun 2025 (अपडेटेड: 03 Jun 2025, 07:17 PM)

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उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक ही झटके में ज़िलाधिकारी, उप-ज़िलाधिकारी और नगर निगम आयुक्त जैसे बड़े पदों पर बैठे अधिकारी एक साथ निलंबित कर दिए गए हों. हरिद्वार में हुए भूमि घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 'जीरो टॉलरेंस' नीति का सख्त पालन करते हुए ये कड़ा कदम उठाया है.

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क्या है हरिद्वार भूमि घोटाला?

रिपोर्ट के अनुसार, हरिद्वार नगर निगम ने एक जमीन जिसकी असली कीमत लगभग 14 करोड़ रुपये आंकी गई थी उसे 54 करोड़ रुपये में खरीद लिया. यह मामला सीधे-सीधे वित्तीय अनियमितताओं और सरकारी धन के दुरुपयोग से जुड़ा है. मुख्यमंत्री कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, नगर आयुक्त वरुण चौधरी ने बिना प्रक्रियाओं का पालन किए इस प्रस्ताव को मंजूरी दी. DM कर्मेन्द्र सिंह पर बिना समुचित जांच के प्रशासनिक अनुमति देने का आरोप है, जबकि SDM अजयवीर सिंह पर लापरवाही से रिपोर्ट देने का आरोप लगाया गया है.

जांच में क्या-क्या सामने आया?

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर सचिन रणवीर चौहान ने इस मामले की जांच की. उन्होंने 100 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंपी. इस रिपोर्ट के मुख्य बिंदु कुछ इस प्रकार हैं:

- जमीन की खरीद प्रक्रिया कृषि दरों पर शुरू हुई थी लेकिन अंत में इसे वाणिज्यिक दरों पर खरीदा गया.

- लैंड पूलिंग कमेटी का गठन नहीं किया गया, जो ऐसे मामलों में अनिवार्य होता है.

- SDM ने उत्तराखंड राजस्व अधिनियम की धारा 143 का दुरुपयोग करते हुए कृषि भूमि को बहुत जल्द ही गैर-कृषि (व्यावसायिक) में बदल दिया.

- यह पूरी प्रक्रिया केवल 2-3 दिनों में पूरी कर दी गई, जबकि इसमें आमतौर पर कई हफ्तों से लेकर महीनों तक लगते हैं.

आगे क्या होगा?

इस मामले की जांच अब राज्य की विजिलेंस विभाग को सौंप दी गई है. विभाग इन 12 अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता के सभी पहलुओं की जांच करेगा. मुख्यमंत्री धामी ने साफ कहा है कि, 'भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारी नीति स्पष्ट है - कोई भी अफसर कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर दोषी पाया गया तो बख्शा नहीं जाएगा.' हरिद्वार भूमि घोटाले में इतनी बड़ी और सख्त कार्रवाई ने पूरे प्रशासनिक तंत्र को झकझोर कर रख दिया है.

(रिपोर्ट: इंडिया टुडे)

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