बहुचर्चित जीआरपी सिपाही हत्याकांड में पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत 7 को अदालत ने दोषी पाया है. अदालत ने सभी को आजीवन सश्रम कारावास और 5 लाख जुर्माने की सजा दी है. गौरतलब है कि 4 फरवरी 1995 को जौनपुर जिले के शाहगंज रेलवे स्टेशन पर जीआरपी सिपाही अजय सिंह की हत्या के मामले में पूर्व सांसद उमाकांत यादव और उनके गनर समेत सात लोगों को मामले में आरोपी बनाया गया था. हत्या के समय उमाकांत यादव घटना स्थल पर मौजूद थे. फायरिंग की इस घटना में जीआरपी सिपाही लल्लन सिंह समेत 3 लोग घायल हुए थे.
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ये घटना 27 साल पहले 4 फरवरी 1995 की है. पूर्व सांसद के ड्राइवर राजकुमार यादव शाहगंज रेलवे स्टेशन पर अपने एक रिश्तेदार को ट्रेन में बैठाने गया था. उसने जीआरपी के सिपाहियों से बदतमीजी कर दी. सिपाहियों ने ड्राइवर को जीआरपी चौकी में बैठा दिया था. पूर्व सांसद उमाकांत यादव अपने ड्राइवर को छुड़ाने के लिए दल-बल के साथ चौकी पर पहुंचे थे.
4 फरवरी 1995 को शाहगंज रेलवे जंक्शन बंदूक की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. स्टेशन पर दिनदहाड़े गोली चलने से अफरा-तफरी मच गई. इस फायरिंग में जीआरपी सिपाही अजय सिंह की मौत हो गई जबकि एक दूसरे जीआरपी सिपाही लल्लन सिंह, रेलवे कर्मचारी और एक यात्री जख्मी हो गए. मामले में कोर्ट में 598 तरीखें पड़ी. इस मामले में अभी तक 19 गवाहों की मौत हो चुकी है. घटना की सीबीसीआईडी जांच भी हो चुकी है.
बहुबली नेता है उमाकांत यादव
मछली शहर से बसपा के टिकट पर सांसद रह चुके उमाकांत यादव की गिनती बाहुबली नेताओं में होती रही है. उमाकांत यादव बसपा के टिकट पर पहली बार वर्ष 1991 में खुटहन (अब शाहगंज) से विधायक बने. फिर सपा-बसपा गठबंधन पर दूसरी बार इसी सीट पर MLA चुने गए. 1995 में इस हत्याकांड के बाद सपा-बसपा गठबंधन अूटने के बाद उमाकांत सपा में शामिल हो गए और फिर विधायक चुने गए. वर्ष 2004 में उमाकांत जेल में रहते हुए मछलीशहर लोकसभा सीट पर बसपा के टिकट से चुनाव लड़े और बीजेपी के केसरी नाथ त्रिपाठी को हराकर सांसद चुने गए.
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