भारतीय रेलवे ने माल ढुलाई के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा है. पहली बार 4.5 किलोमीटर लंबी एक मालगाड़ी 'रुद्रास्त्र' का सफल संचालन किया गया है. यह मालगाड़ी एक साथ 6 खाली बॉक्सन रेक को मिलाकर तैयार की गई थी, जिसमें कुल 354 वैगन और 7 इंजन लगाए गए थे. इस ऐतिहासिक उपलब्धि को पूर्व मध्य रेलवे के पंडित दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) मंडल ने अंजाम दिया है.
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कैसे तैयार हुई 'रुद्रास्त्र' गुड्स ट्रेन?
डीडीयू रेल डिवीजन के डीआरएम उदय सिंह मीना ने बताया कि इस ट्रेन को 'लॉन्ग हॉल' (Long Haul) कॉन्सेप्ट पर बनाया गया. इसमें 6 खाली मालगाड़ियों को एक साथ जोड़ा गया जिससे यह 4.5 किलोमीटर लंबी हो गई. इस ट्रेन में 354 वैगन थे जबकि एक सामान्य मालगाड़ी में करीब 59 वैगन होते हैं. 'रुद्रास्त्र' को दोपहर 2:20 बजे डीडीयू मंडल के गंजख्वाजा स्टेशन से रवाना किया गया और इसने लगभग 5 घंटे में 200 किलोमीटर की दूरी तय की. इस दौरान इसकी औसत गति 40 किलोमीटर प्रति घंटा रही.
क्या हैं इस ट्रेन के फायदे?
यह ऐतिहासिक कदम रेलवे के लिए कई मायनों में फायदेमंद है. डीआरएम उदय सिंह मीना के अनुसार, "रुद्रास्त्र" के सफल संचालन से माल ढुलाई की क्षमता और रफ्तार दोनों बढ़ेगी. अगर इन मालगाड़ियों को अलग-अलग चलाया जाता तो हर बार अलग-अलग चालक दल और रूट की व्यवस्था करनी पड़ती जिससे समय और संसाधनों की बर्बादी होती. एक साथ चलने से समय और क्रू दोनों की बचत होगी.
यह ट्रेन गंजख्वाजा से सोननगर तक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर चली और उसके बाद भारतीय रेल के सामान्य ट्रैक पर गढ़वा रोड स्टेशन तक पहुंची. रेलवे अधिकारियों का मानना है कि यह ट्रेन न सिर्फ भारतीय रेलवे, बल्कि पूरे एशिया की सबसे लंबी मालगाड़ी हो सकती है. यह उपलब्धि भारतीय रेलवे के बेहतर प्रबंधन, विभागों के बीच तालमेल और काम की कुशलता का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो भविष्य में देश की प्रगति में सहायक साबित होगा.
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