इफ्तिखारुद्दीन केस: SIT को मिले तकरीर के 60 से ज्यादा वीडियो, लोगों ने लगाए बड़े आरोप

संतोष शर्मा

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सरकारी अफसर रहते हुए अवैध धर्मांतरण अभियान चलाने के आरोप को लेकर जांच के दायरे में आए सीनियर आईएएस और यूपीएसआरटीसी के चेयरमैन मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के बर्ताव को लेकर कुछ और कर्मचारियों ने भी एसआईटी के सामने अपने बयान दर्ज करवाए हैं.

आरोपों के मुताबिक, कानपुर मंडल आयुक्त रहते सीनियर आईएएस मोहम्मद इफ्तिखारुउद्दीन ने ना सिर्फ अपने सरकारी आवास पर धर्मांतरण और इस्लाम के प्रचार प्रसार के लिए तकरीर दी बल्कि अपने कर्मचारियों से भी कई बार दुर्व्यवहार किया. इस मामले में एसआईटी ने शनिवार को चार अन्य कर्मचारियों के भी बयान दर्ज किए.

कर्मचारियों ने अपने बयान में बताया कि कमिश्नर साहब के पास ना सिर्फ चौबेपुर बल्कि कानपुर की तमाम अन्य जगहों से लोग उनके सरकारी घर पर इकट्ठे होते थे, जो बताते थे कि इस्लाम अपनाने के कितने फायदे हैं. इतना ही नहीं आईएएस इफ्तिखारुद्दीन अपनी लिखी दो किताबें बंटवाते थे.

इन किताबों को बंटवाने की जिम्मेदारी मंडलायुक्त आवास पर आने वाले जिन लोगों की थी वो कानपुर की विभिन्न बस्तियों के साथ-साथ कमिश्नर के पास फरियाद लेकर आए लोगों तक भी बांटते थे.

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एसआईटी में बयान दर्ज कराने पहुंचे एक कर्मचारी ने बताया कि वह हिंदू देवी देवताओं और उनके वाहनों को जानवर और पक्षी बताते थे, इतना ही नहीं एक बार इफ्तिखारुद्दीन ने एक कर्मचारी को अपने लिखी दो किताबें दी थीं और उसके मुंह से एक नदी के सम्मान में शब्द निकल गए तो इफ्तेखारुद्दीन ने अपने हाथ से दी हुई किताबें तक छीन ली थीं.

फिलहाल एसआईटी कर्मचारियों के दिए गए इन तमाम बयानों के साथ-साथ अब तक हासिल हुए उन वीडियो को भी परख रही है, जिनमें इफ्तिखारुद्दीन तकरीर करते दिख हैं.

मिली जानकारी के मुताबिक, एसआईटी को इफ्तिखारुद्दीन की कानपुर में तैनाती के दौरान के 60 से ज्यादा वीडियो बरामद हुए हैं. ये सभी वीडियो कानपुर मंडल आयुक्त के आवास के हैं, जिनमें कथित तौर पर धार्मिक कट्टरता को फैलाने और धर्मांतरण की मुहिम को आगे बढ़ाने की बातें की गई हैं. सभी वीडियो में इफ्तिखारुद्दीन की मौजूदगी है.

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कहीं पर वह किसी अन्य मौलाना की तकरीर को सुन रहे हैं तो किसी वीडियो में खुद इफ्तिखारुद्दीन तकरीर करते नजर आ रहे हैं. इससे पहले एसआईटी ने शुक्रवार को मंडलायुक्त आवास पर तैनात रहे दो कर्मचारियों से भी पूछताछ की.

कर्मचारियों ने एसआईटी को बताया कि इफ्तिखारुद्दीन अक्सर मूर्ति पूजा करने, हाथ में कलावा बांधने पर भड़क जाते थे, वहीं दूसरी तरफ अगर कोई मुस्लिम कर्मचारी दाढ़ी नहीं रखता, नमाज अदा नहीं करता तो उसके ऊपर भी वह नाराज रहते थे.

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एसआईटी को अपनी जांच में कुछ ऐसे शिकायतकर्ता मिले हैं जिनका कहना था कि जब वे मंडलायुक्त दफ्तर पर कोई फरियाद लेकर पहुंचते तो उनको भगा दिया जाता, लेकिन फिर इफ्तिखारुद्दीन के घर में होने वाली तकरीर में शामिल कोई मौलाना उनके पास पहुंचता और फिर तमाम धार्मिक किताबों को बांटकर आश्वासन देकर आता कि तुम्हारा काम अब कमिश्नर साहब कर देंगे.

बता दें कि इस मामले में गठित एसआईटी को 7 दिन का वक्त मिला था, जो 5 अक्टूबर को पूरा हो जाएगा. ऐसे में एसआईटी को अपनी रिपोर्ट 5 अक्टूबर तक शासन को सौंपनी है, जिसके आधार पर ही इफ्तिखारुउद्दीन पर कार्रवाई का फैसला होगा.

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