हेल्थ इंडेक्स: अखिलेश बोले- ‘UP सबसे नीचे’, BJP बोली- ‘UP नंबर वन’, जानिए क्या है माजरा

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तारीख- 27 दिसंबर 2021. समाजवादी पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष अखिलेश यादव एक ट्वीट कर कहते हैं- ”नीति आयोग के ‘हेल्थ इंडेक्स’ में स्वास्थ्य और चिकित्सा के मामले में यूपी सबसे नीचे! ये है यूपी की बीजेपी सरकार की सच्ची रिपोर्ट. दुनियाभर में झूठे विज्ञापन छपवाकर सच्चाई बदली नहीं जा सकती.”

इसके कुछ ही घंटों बाद बीजेपी उत्तर प्रदेश का एक ट्वीट आता है, जिसमें वो नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का वीडियो शेयर कर लिखती है- ”बीजेपी सरकार के प्रयास लाए रंग, स्वास्थ्य सुविधाओं में यूपी नंबर वन.”

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इन दोनों दावों को पढ़कर आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर माजरा है क्या? चलिए हम आपको बताते हैं पूरा मामला, जिससे इस सवाल का जवाब मिल सके.

यह मामला जुड़ा है नीति आयोग के चौथे स्वास्थ्य सूचकांक (हेल्थ इंडेक्स) से, जिसके मुताबिक, बड़े राज्यों में, सभी मानकों पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में केरल को पहला नंबर हासिल हुआ है, जबकि उत्तर प्रदेश सबसे निचले पायदान पर है. हेल्थ इंडेक्स में यह रैंकिंग ऑवरऑल रिफरेंस ईयर इंडेक्स स्कोर वाले कॉलम में दी गई है, जो राज्यों की मौजूदा स्थिति बयां करती है. चौथे स्वास्थ्य सूचकांक में 2019-20 (रिफरेंस ईयर) की अवधि को ध्यान में रखा गया है. अखिलेश यादव ने इसी रैंकिंग के आधार पर ट्वीट किया है.

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वहीं बीजेपी ने जो ट्वीट किया है, वो स्वास्थ्य सूचकांक से जुड़े दूसरे पहलू पर आधारित है. वो पहलू है- इंक्रीमेंटल चेंज, आसान भाषा में समझें तो किस राज्य ने कितना सुधार दिखाया है.

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नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इंक्रीमेंटल चेंज से जुड़े प्रदर्शन में उत्तर प्रदेश ने सबसे ऊंचा स्थान हासिल किया है. रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश ने आधार वर्ष (2018-19) से संदर्भ वर्ष (2019-20) तक सबसे ज्यादा इंक्रीमेंटल चेंज दर्ज किया है.

बीजेपी उत्तर प्रदेश ने अपने ट्वीट में अमिताभ कांत का जो वीडियो शेयर किया है, उसमें उन्होंने कहा है, ”बड़े राज्यों, छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अलग-अलग रैंकिंग होती है. जो बड़े राज्य हैं, उनमें सबसे ज्यादा सुधार और सबसे अच्छा काम उत्तर प्रदेश में हुआ है क्योंकि उत्तर प्रदेश काफी नीचे था और उसने बड़ी छलांग लगाई है और जो डेल्टा, जिसको हम कहते हैं इम्प्रूव्ड रैंकिंग, उसमें यूपी नंबर पर है.”

इसके आगे उन्होंने कहा, ”जब हम इंडीकेटर्स देखते हैं जैसे शिशु मृत्यु दर, सेक्स रेशियो एट बर्थ, मेडिकल कॉलेज ओपनिंग या गवर्नेंस के मुद्दे… ये सारे हमने एनालाइज किए, जिसमें यूपी का प्रदर्शन एक दो सालों में बहुत अच्छा रहा है. 2017 के बाद यूपी के हेल्थ सेक्टर में काफी सुधार आया है, खासकर जो नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं. 42 से जाकर 65 मेडिकल कॉलेज हो गए हैं.”

अब हेल्थ इंडेक्स से जुड़ी उन बातों पर भी एक नजर दौड़ा लीजिए, जिनका जिक्र नीति आयोग की रिपोर्ट में किया गया है:

  • 2017 में, नेशनल इंस्टिट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (नीति आयोग) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समग्र प्रदर्शन (ऑवरऑल परफॉर्मेंस) और वृद्धिशील प्रदर्शन (इंक्रीमेंटल परफॉर्मेंस) पर नजर रखने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्व बैंक के सहयोग के साथ एक सालाना हेल्थ इंडेक्स (स्वास्थ्य सूचकांक) शुरू किया.

  • इस वार्षिक स्वास्थ्य सूचकांक का मकसद स्वास्थ्य परिणामों, स्वास्थ्य प्रणालियों के प्रदर्शन पर नजर रखना, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा विकसित करना और राज्यों के बीच क्रॉस लर्निंग को प्रोत्साहित करना है.

  • स्वास्थ्य सूचकांक एक समग्र स्कोर है, जिसमें स्वास्थ्य प्रदर्शन के प्रमुख पहलुओं को शामिल करते हुए 24 संकेतक (इंडीकेटर) शामिल हैं.

  • चौथे स्वास्थ्य सूचकांक को विकसित करने के लिए पिछले तीन हेल्थ इंडेक्स से मिली सीख को भी ध्यान में रखा गया था. चौथे स्वास्थ्य सूचकांक के लिए, संकेतकों की समीक्षा की गई और बड़े राज्यों के लिए तीन नए संकेतक जोड़े गए- मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर), गर्भवती महिलाओं का अनुपात जिन्होंने 4 या ज्यादा प्रसवपूर्व देखभाल जांच (एएनसी) प्राप्त की, और मृत्यु दर्ज होने का स्तर.

ऐसे में आप समझ सकते हैं कि किस तरह उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले, नीति आयोग की जिस रिपोर्ट के आधार पर विपक्ष राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार को निशाने पर ले रहा है, सत्तारूढ़ बीजेपी उसी रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार की पीठ थपथपा रही है.

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