क्या 2024 में साथ आएंगे अखिलेश और केजरीवाल? जानें दोनों की मुलाकात के सियासी मायने

UP Political News: 2024 के लोकसभा चुनाव लगातार करीब आते जा रहे है. सियासी दलों ने भी आम चुनाव को लेकर अपनी रणनीतियां बनानी शुरू…

UP Political News: 2024 के लोकसभा चुनाव लगातार करीब आते जा रहे है. सियासी दलों ने भी आम चुनाव को लेकर अपनी रणनीतियां बनानी शुरू कर दी हैं. इसी बीच एक मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में काफी चर्चाएं बटोरी हैं. दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के चीफ अरविंद केजरीवाल बीते बुधवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ आए. इस दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी के चीफ और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की.

अरविंद केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राज्यसभा सांसद संजय सिंह, आतिशी मार्लेना समेत केजरीवाल की पूरी टीम थी. बताया गया कि ये मुलाकात केंद्र सरकार के ऑर्डिनेंस को लेकर हुई. दरअसल केजरीवाल इन दिनों केंद्र सरकार के ऑर्डिनेंस को लेकर समर्थन जुटा रहे हैं और इसके लिए वह विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों और नेताओं से मिल रहे हैं. इस क्रम में उनकी मुलाकात अखिलेश यादव से हुई.

क्या सिर्फ अध्यादेश को लेकर थी मुलाकात

बता दें कि अखिलेश यादव के साथ अरविंद केजरीवाल ने करीब 1 घंटे मुलाकात की. इसके बाद दोनों नेताओं ने साथ में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का संदेश साफ था कि अखिलेश यादव ने ऑर्डिनेंस के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल को अपना समर्थन दिया, लेकिन क्या महज इस ऑर्डिनेंस पर समर्थन जुटाने के लिए दोनों नेताओं के बीच ये मुलाकात हुई थी? क्या अखिलेश और केजरीवाल की मुलाकात में विपक्षी एकता और उत्तर प्रदेश में गठबंधन जैसे एजेंडों को लेकर बात नहीं की गई?

आम आदमी चाहती है यूपी में सपा से गठबंधन

दरअसल आम आदमी पार्टी पिछले कई चुनावों से उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की कोशिशें कर चुकी है. पिछले चुनाव में भी समाजवादी पार्टी से गठबंधन को लेकर संजय सिंह ने कई मुलाकातें की थी, लेकिन बात नहीं बन पाई. माना जाता है कि उस दौरान अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में एक और पार्टी को अपने हिस्से से हिस्सेदारी देने की मुड में नहीं थे. इसलिए बातचीत के बावजूद दोनों के बीच कोई गठबंधन नहीं हो सका. 

मगर अब विपक्षी एकता के बहाने आम आदमी पार्टी को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के रूप में साझीदार दिखाई दे रहा है. वजह भी साफ है,  चाहे ममता बनर्जी हो, केसीआर हों या अखिलेश हो, इन तीनों बड़े नेताओं से आम आदमी पार्टी के संबंध कांग्रेस सरीखे दूसरे पार्टियों से बेहतर है.

अखिलेश तलाश में हैं

अखिलेश और केजरीवाल के बीच मुलाकात को भविष्य में होने वाले गठबंधन के तौर पर देखा जा रहा है. अखिलेश यादव 2022 का विधानसभा चुनाव हार चुके हैं तो वहीं 2019 की तरह उनके पास अब बसपा जैसा कोई साझीदार नहीं है. ऐसे में वह भी छोटे लेकिन प्रभावशाली संगठनों की तलाश में है, जो उनके वोट में और इजाफा कर सकें. यहीं से आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच एक सियासी पुल बनता हुआ दिखाई दे रहा है. 

विपक्षी एकता को लेकर चर्चाएं तेज

केजरीवाल और अखिलेश की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा और आप के बीच गठबंधन को लेकर कोई ठोस बात नहीं की गई. मगर इस दौरान विपक्षी एकता पर पूछे गए सवाल के जवाब में दोनों नेताओं ने कहा कि दोनों विपक्ष की एकता के पक्षधर है. माना जा रहा है कि जल्द ही विपक्षी नेताओं की एक बैठक होगी, जिसमेंं अखिलेश और केजरीवाल शामिल होंगे.

केजरीवाल को नहीं है अखिलेश की इस सियासी लाइन से दिक्कत

बता दें कि अखिलेश यादव लगातार इस बात को कह रहे हैं कि उत्तर प्रदेश का कोई भी गठबंधन बने, उसे समाजवादी पार्टी ही लीड करेगी. गठबंधन में कौन होगा? कितनी सीटें दी जाएगी? कौन लड़ेगा? है यह वह तय करेंगे और इसी लाइन के इर्द-गिर्द कोई भी गठबंधन उत्तर प्रदेश में बन सकता है. माना जाता है कि अरविंद केजरीवाल को अखिलेश यादव के इस सियासी लाइन से कोई दिक्कत नहीं है.

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