विपक्ष के जातिगत जनगणना की मांग पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिया ये जवाब

अभिषेक मिश्रा

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विपक्ष के जातिगत जनगणना की मांग पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिया ये जवाब
विपक्ष के जातिगत जनगणना की मांग पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दिया ये जवाब
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उत्तर प्रदेश में जातिगत जनगणना (Yogi Adityanath) की मांग को लेकर की विपक्षी दल लगातार मांग करते रहे हैं. वहीं सरकार पर दबाव बनाने की दिशा में प्रदेश में बिहार की तर्ज पर जातिगत जनगणना कराए जाने की बात कही गई है, लेकिन इस बीच अब बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट करके केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना के मामले पर विचार करने की बात कही है. जहां मायावती के इस बयान ने विपक्ष और सरकार की कुछ हिस्सेदारों की इस मांग को और तेज कर दिया, तो वहीं दूसरी तरफ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जातिगत जनगणना की मांग को नकार दिया है.

ऐसे में यूपी में भी जातिगत जनगणना की मांग को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी बयान जारी किया है. उन्होंने साफतौर पर कहा है कि राज्य सरकार की राज्य में ‘जाति जनगणना’ कराने की कोई योजना नहीं है.

उन्होंने आगे कहा, “भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची के क्रमांक 69 पर जनगणना का विषय अंकित है. भारत सरकार द्वारा जनगणना कार्य के लिए जनगणना अधिनियम 1948 और जनगणना नियम 1990 बनाए गए हैं, जिसके अंतर्गत जनगणना का कार्य किया जाता है.” दरअसल, योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के सदस्य संग्राम यादव द्वारा पूछे गए ‘जाति जनगणना’ के सवाल पर विधानसभा में ‘नहीं’ में जबाव दिया.

बता दें कि साल 2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में समाजवादी पार्टी ने राज्य में जातिगत जनगणना को शामिल किया था. अब यह मुद्दा पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के नए फॉर्मूले पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के हिस्से के रूप में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी के चुनावी मुद्दों में सबसे ऊपर है.

विधायक पल्लवी पटेल ने बीजेपी पर साधा निशाना

यूपीतक से बातचीत में सपा की सहयोगी और सिराथू विधानसभा सीट से विधायक पल्लवी पटेल ने कहा, “विपक्ष लगातार जातिगत जनगणना के पक्ष में है. यह 85 फीसदी लोगों के उत्थान का मुद्दा है. बिहार सरकार ने जनगणना कराकर सराहनीय काम किया है, लेकिन सबका साथ-सबकी विकास की बात करने वाली बीजेपी इस मुद्दे पर पीठ क्यों दिखा रही है, ये उसकी नीयत को बताता है जो सीधे तौर पर जातिगत जनगणना को लेकर इस मामले पर सक्रिय नहीं है और प्रदेश की अधिकतर आबादी को लेकर के संजीदा नहीं दिखती.”

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उमाशंकर सिंह बोले-  राष्ट्रीय स्तर पर होनी चाहिए जातिगत जनगणना

वहीं दूसरी तरफ बसपा विधानमंडल दल के नेता उमाशंकर सिंह ने कहा कि मायावती ने जातिगत जनगणना पर केंद्र से इस पर सोचने की बात कही है, इस मुद्दे पर सोचना बहुत जरूरी है. इसकी राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना होनी चाहिए. अलग-अलग राज्यों से जो मांग उठ रही है उन सभी को रोकने के लिए केंद्र सरकार को इस पर सोचना होगा. इससे पता चल सकेगा कि किस जाति की कितनी हिस्सेदारी है.

उन्होने कहा,

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“जाति का जनगणना से ही हम बाबा साहब अंबेडकर के दिए संविधान में यह देख पाएंगे की किस जाति की कितना हिस्सा मिला है, इस पर दिल्ली की बैठी सरकार को आगे आना चाहिए और इसे करवाने के लिए कदम उठाने चाहिए.”

कांग्रेस ने भी मिलाए सुर

वहीं इसके साथ ही बसपा की मांग पर कांग्रेस ने भी सुर मिलाए हैं. कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस ने सदन में लगातार जातिगत जनगणना की मांग की है, क्योंकि जो जातिगत जनगणना के बड़े फायदेमंद होंगे उन जातियों को सरकार की योजनाओं का समुचित लाभ मिल सकेगा.

उन्होंने कहा,

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“10 साल से भाजपा सत्ता में है लेकिन कभी उसे बारे में नहीं सोचा, दूसरी सरकारों पर आरोप लगाते हैं. हमने प्रदेश की विधानसभा में भी प्रस्ताव उठाया कि यहां से राज्य केंद्र को भेजे, लेकिन यह नियत साफ नजर आती है कि सरकार इस पर संजीदा नहीं है.”

निषाद पार्टी और सुभासपा भी जातिगत जनगणना के समर्थन में

बीजेपी सरकार के एनडीए घटक दल निषाद पार्टी और सुभासपा के ओपी राजभर भी जातिगत जनगणना की समर्थन में रहे हैं, जिसको लेकर सरकार में मंत्री डॉ संजय निषाद केंद्र सरकार की तरफ से इस पर सर्वे होने की बात करते हैं. यूपीतक से बातचीत करते हुए कहा कि हम जातिगत जनगणना के पक्ष में पहले से हैं और हमारा आंदोलन नहीं इस पर आधारित रहा है. बीजेपी सरकार ने इसके बारे में सर्वे करने की बात कही है जिस दिशा में आगे वह बढ़ रहे हैं और हमें उम्मीद है कि इस पर आगे भी कड़ी कदम उठाया जाएगा. जातिगत जनगणना की मांग केवल राजनीति नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की लड़ाई है.

उन्होने कहा,

“विपक्ष के जो लोग आज जाति का जनगणना की बात कर रहे हैं. अपनी सत्ता में रहते उन्होंने कभी कदम नहीं उठाया. चाहे कांग्रेस की सरकार हो या राज्य में सपा-बसपा. सभी इसको लेकर केवल राजनीति करते रहे हैं, हम इसके पक्षधर हैं. जातिगत जनगणना की मांग सामाजिक न्याय के लिए बेहद जरूरी है और इसीलिए तमाम जातियां चाहे वो बिंद, निषाद, केवट, मल्लाह, प्रजापति सभी को न्याय दिलाने के लिए सरकार इस दिशा में सोच रही है.”

उन्होंने बीएसपी चीफ मायावती पर कहा कि ये नरेंद्र मोदी की सरकार है, जो सब के बारे में सोचती है और इस मुद्दे को लेकर के भी सरकार जानकारी जुटा रही है. केवल इस पर राजनीति के लिए बयान देना उचित नहीं है.

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में जाति का जनगणना की मांग को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है, जिसमें अगली सुनवाई सितंबर में होनी है.

बहरहाल, जहां एक तरफ क्षेत्रीय दलों की राजनीति पूरी तरीके से जातिगत समीकरणों पर आधारित है तो वहीं पीडीए को लेकर अपने कुनबे को मजबूत कर रहे अखिलेश यादव भी इस मुद्दे को लेकर इसका राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं, जो फिलहाल उत्तर प्रदेश में सरकार के जवाब के बाद ठंडे बस्ते में नजर आ रहा है.

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