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मायावती फिलहाल किसी से क्यों नहीं कर रहीं गठबंधन? यहां जानिए BSP चीफ का पूरा ‘गेम प्लान’

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Mayawati News: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत चार राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव और अगला लोकसभा चुनाव अपने बलबूते लड़ने का ऐलान किया. मायावती ने तस्वीर साफ करते हुए कहा कि फिलहाल के लिए उनकी पार्टी बसपा न नो NDA और न ही ‘INDIA‘ गठबंधन के साथ जाएगी. प्रदेश की चार बार सीएम रह चुकीं मायावती ने साफ कह दिया है कि बसपा के लिए गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता, इसलिए फेक न्यूज ना फैलाई जाए. मायावती के इस बयान के पीछे की गणित क्या है? इसे अब आप आगे खबर में तफ्सील से समझिए.

पिछले कुछ दिनों के पुराने पन्ने पलटें तो बसपा द्वारा पार्टी के नेताओं को कहा गया था कि वे मेहनत के साथ 4 राज्यों में होने वाले चुनाव लड़ें और विधानसभा चुनाव के जैसे नतीजे होंगे उस हिसाब से बसपा सत्ता में शामिल होगी कि नहीं ये फैसला लिया जाएगा. सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि मायावती के गठबंधन में ना जाने की पूरी कहानी इस वाक्य में छिपी है.

अपने वोटर को कन्फ्यूजन में नहीं डालना चाहतीं मायावती?

दरअसल, 4 राज्यों (राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना) में विधानसभा चुनाव होने हैं. इन सभी राज्यों में बसपा अपने कैडर के सहारे जहां कांग्रेस से लड़ ही रही है, वहीं भाजपा भी उसके लिए एक चुनौती है. ऐसे में बसपा कभी नहीं चाहेगी कि उसका कैडर या वोटर किसी भी तरीके से अभी से कन्फ्यूज हो कि बसपा ‘इंडिया’ गठबंधन या फिर एनडीए गठबंधन के साथ है.

बसपा के साथ आकाश के लिए भी हैं ये चुनाव महत्वपूर्ण

इन 4 राज्यों में चुनाव तो बसपा के लिए महत्वपूर्ण है हीं, लेकिन इन 4 राज्यों के चुनाव के साथ बसपा के नेशनल को-ऑर्डिनेटर आकाश आनंद की राजनीतिक ताकत भी दांव पर लगी है. जहां राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और पटना में आकाश आनंद ने रैलियां कीं. वहीं तेलंगाना में भी बसपा की तरफ से वीआरएस लेकर राजनीति में आए आईएएस आरएस प्रवीण कुमार कमान संभाले हुए हैं. यहां तक कि आरएस प्रवीण कुमार को मायावती ने तेलंगाना में बसपा का मुख्यमंत्री का चेहरा तक घोषित कर दिया है.

वैसे फिलहाल अपने ट्वीट में मायावती ने साफ कह दिया कि वे किसी भी गठबंधन के साथ नहीं जा रही हैं और बसपा विधानसभा के साथ लोकसभा का चुनाव भी अकेले लड़ेगी. राजनीतिक जानकारों की मानें तो ये बात फिलहाल के लिए ठीक है, लेकिन जरूरी नहीं कि बसपा गठबंधन बिल्कुल ही न करे. दरअसल, राजनीतिक गणित कहता है कि यहां कुछ भी चिर स्थाई नहीं है.

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अखिलेश ने मायावती पर लगाया ये आरोप

वहीं, यूपी में ‘इंडिया’ गठबंधन को अभी अखिलेश यादव लीड रहे हैं, जो कई बार बसपा को भाजपा के साथ मिले होने की बात कह चुके हैं. फिलहाल 4 राज्य जिनमें खास तौर पर राजस्थान, मध्यप्रदेश के चुनावी नतीजे स्पष्ट बता देंगे कि बसपा को किसी गठबंधन के साथ जाना चाहिए या बसपा का कैडर अकेले ही काफी है. मालूम हो कि 2019 में बसपा के 10 लोकसभा सांसद जीतकर आए थे. ऐसे में बसपा के सामने अपने आधार वोट और सीटों को बचाने की चुनौती फिर भी बनी रहेगी.

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