कौन हैं सपा चीफ अखिलेश के करीबी वासुदेव यादव? जो आय से 109% अधिक संपत्ति जुटाने के आरोप में नप गए
Vasudev Yadav : सपा चीफ अखिलेश यादव के करीबियों में शामिल वासुदेव यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है. जानिए आखिर ये हैं कौन?
ADVERTISEMENT

UP News: समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी और माध्यमिक शिक्षा परिषद के चेयरमैन रहे वासुदेव यादव (Vasudev Yadav) को गिरफ्तार कर लिया गया है. बता दें कि वासुदेव यादव की गिनती समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबियों में की जाती है. मगर अब विजिलेंस की वाराणसी टीम ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में चले रहे केस में वासुदेव यादव के खिलाफ एक्शन लेते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. वासुदेव यादव को प्रयागराज के जार्ज टाऊन इलाके में स्थित उनके आवास से विजिलेंस की टीम ने अरेस्ट किया है.
यह भी पढ़ें...
बता दें कि विजिलेंस की टीम ने साल 2021 में वासुदेव यादव के खिलाफ केस दर्ज किया था. ये केस आय से अधिक संपत्ति के मामले में दर्ज किया गया था. तभी से ही वासुदेव यादव की मुश्किलें बढ़ गई थी. मामले की जांच के दौरान विजिलेंस की टीम को आय से 109 प्रतिशत अधित संपत्ति के दस्तावेज मिले थे. जांच में सामने आया था कि वासुदेव यादव ने अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम पर कई संपत्तियां खरीदी थीं और कई शिक्षण संस्थान खोले थे. बता दें कि इस मामले में विजिलेंस की टीम द्वारा कोर्ट में चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है.
कौन हैं वासुदेव यादव?
वासुदेव यादव समाजवादी पार्टी के पूर्व एमएलसी रहे हैं. इसी के साथ वह सपा सरकार में माध्यमिक शिक्षा परिषद के चेयरमैन भी रहे हैं. वासुदेव यादव को सपा चीफ और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का बेहद करीबी माना जाता है. वासुदेव यादव का पूरा परिवार सपा से जुड़ा हुआ है.
बता दें कि साल 2017 में जब से उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आई, तभी से वासुदेव यादव की दिक्कत बढ़ती चली गईं. भाजपा की सरकार बनने के बाद उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत आने लगीं. साल 2021 में जब विजिलेंस डिपार्टमेंट ने मामले की जांच की तो आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रयागराज में केस दर्ज किया गया.
वाराणसी एसपी-एसएलए कोर्ट में पेशी हुई
बता दें कि वासुदेव यादव को वाराणसी की एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश किया गया. यहां उन्होंने अपनी बीमारियों का हवाला देते हुए कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई. मगर कोर्ट ने उनकी सभी दलिलों को खारिज कर दिया. इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया. फिलहाल ये मामला चर्चाओं में बना हुआ है.