कौन हैं रविदास मेहरोत्रा, जिन्हें सपा ने लखनऊ लोकसभा सीट से बनाया उम्मीदवार

सत्यम मिश्रा

ADVERTISEMENT

Ravidas Malhotra
Ravidas Malhotra
social share
google news

समाजवादी पार्टी ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में 16 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा की गई है. सपा ने लखनऊ लोकसभा क्षेत्र से रविदास मेहरोत्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है. आइए जानते कौन हैं रविदास मेहरोत्रा?

रविदास मल्होत्रा को लोकसभा प्रत्याशी बनाने की सुगबुगाहट तब शुरू हो गई थी, जब सपा ने उन्हें लखनऊ का लोकसभा सीट का प्रभारी बनाया था. अब रविदास मेहरोत्रा ताल ठोक कर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. रविदास मेहरोत्रा वर्तमान में लखनऊ मध्य से सपा के विधायक हैं और भाजपा कैंडिडेट रहे रजनीश गुप्ता को 11 हजार मतों से हराकर लखनऊ मध्य विधानसभा की सीट जीती थी. 

सपा के लोकसभा उम्मीदवार रविदास मेहरोत्रा का राजनीति से पुराना नाता रहा है और कॉलेज के दिनों से ही वह राजनीति को लेकर काफी सक्रिय रहते थे और आम जनमानस के और समाज के मुद्दों को उठाया करते थे. इसी नाते वह 251 बार जेल जाकर लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे ज्यादा जेल जाने के रिकॉर्ड दर्ज करा चुके हैं. 

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

ऐसे शुरू हुई थी राजनीति

रविदास लखनऊ के केकेसी विद्यालय से पहली बार छात्रसंघ का चुनाव लड़े और जीतकर उपाध्यक्ष बने और यही से उनकी राजनीति की यात्रा शुरू हुई और पहली बार सपा के मुखिया रहे मुलायम सिंह यादव से मुलाकात हुई और फिर यही से रविदास ने कभी भी राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा. राजनीतिक सूझ-बूझ रखने वाले रविदास मेहरोत्रा पूर्व मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव के करीबी बन गए और सपा सरकार में अहम विभाग के मंत्रालय को चलाने की जिम्मेदारी का जिम्मा भी उन्हें सौंपा गया. 

रविदास ने पहली बार साल 1989 में लखनऊ पूर्व विधानसभा की सीट से जनता दल की टिकट पर चुनाव लड़ा और जनता ने उन्हें अपना विधायक चुना. उसके बाद साल 2012 में वह सपा के टिकट पर चुनाव लड़के दोबारा विधायक बने. हालांकि, इस बार-बार लखनऊ मध्य से विधायक चुने गए और रविदास मल्होत्रा को कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया. साल 2017 में जब बीजेपी की लहर चल रही थी, तब रविदास मेहरोत्रा को लखनऊ मध्य से हार का सामना करना पड़ा. 

ADVERTISEMENT

जानकार बताते हैं कि रविदास मेहरोत्रा की हार का कारण भाजपा नहीं बल्कि कांग्रेस के उम्मीदवार रहे मारूफ खान थे, क्योंकि 2017 में सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ था. लेकिन लखनऊ मध्य से कांग्रेस ने सपा के सामने मारूफ खान को आखिरी समय में टिकट दे दिया था, जिसके बाद भाजपा के प्रत्याशी रहे वर्तमान उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक को महज 5 हजार वोट से जीत हासिल हुई थी. बीजेपी की झोली में जीत चली गई लेकिन चर्चा यह रही कि अगर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा होता तो वोट न बंटे होते और शायद साल 2017 में भी सपा के उम्मीदवार रविदास मेहरोत्रा ने बाजी मार ली होती. 

रविदास मल्होत्रा सपा के जमीनी नेता हैं और इसी नाते साल 2022 में सपा ने एक बार फिर मेहरोत्रा पर भरोसा दिखाया और उन्हें लखनऊ मध्य से अपना विधानसभा प्रत्याशी बनाया. राजनीतिक जानाकार बताते हैं कि साल 2022 विधानसभा चुनाव में ध्यान देने वाली बात यह थी कि जब साल 2022 में सपा ने रविदास मल्होत्रा को लखनऊ मध्य से अपना उम्मीदवार बनाया तब भाजपा के लखनऊ मध्य से तत्कालीन विधायक रहे वर्तमान के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को लखनऊ मध्य की सीट को 2022 विधानसभा चुनाव में छोड़ना पड़ा, क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव से सीख लेते हुए उन्होंने लखनऊ कैंट से लड़ने का मन बनाया. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें लखनऊ कैंट से चुनाव लड़वाया, क्योंकि लखनऊ मध्य की सीट से रविदास मेहरोत्रा से लोहा लेना मानो लोहे के चने चबाने के बराबर था.

ADVERTISEMENT

विगत साल 2017 के चुनाव में मात्र 5 हजार वोट से बृजेश पाठक जीत हासिल किए थे, वह भी तब जब कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार मध्य विधानसभा सीट से उतार दिया था. ऐसे में अगर कांग्रेस का उम्मीदवार न होता तो और वोटों का बंटवारा न होता तो शायद फिर बृजेश पाठक को शिकस्त का सामना करना पड़ता. शायद यही वजह है कि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए रविदास मेहरोत्रा पर भरोसा दिखाते हुए उन्हें पहले लखनऊ लोकसभा सीट का प्रभारी बनाया और अब उन्हें लखनऊ लोकसभा सीट पर लोकसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया है.

बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने वर्तमान देश के रक्षा मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह के खिलाफ मशहूर फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को चुनाव लड़ाया था. पूनम सिन्हा को जितवाने के लिए बड़े रोड शो का आयोजन भी किया गया था, जिसमें अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के अलावा उनकी बेटी अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा भी शिकस्त की थी, लेकिन इसके बावजूद भी सपा प्रत्याशी पूनम सिन्हा को हार का सामना करना पड़ा था. 

पूनम सिन्हा को भाजपा प्रत्याशी राजनाथ सिंह से करारी शिकस्त मिली थी और तकरीबन 3 लाख 40 हजार वोट से उन्हें मुंह की खानी पड़ी थी. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रहे राजनाथ सिंह को कुल 6 लाख 33 हजार 26 वोट मिले थे, जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी पूनम सिन्हा को 2 लाख 85 हजार 724 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रहे आचार्य प्रमोद कृष्णनन को महज 1 लाख 80 हजार 11 वोटो से संतोष करना पड़ा था.

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT