जातीय जनगणना की मांग करनी वाली अनुप्रिया पटेल की कहानी, तस्वीरों की जुबानी

यूपी तक

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अपना दल (सोनेलाल) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के राजनीतिक जीवन के बारे में आइए जानते हैं, जिन्होंने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले जातीय जनगणना की मांग और केंद्र में ओबीसी मंत्रालय के गठन की बात कही है.

अनुप्रिया पटेल राजनीति में नहीं आना चाहती थीं, लेकिन पिता सोनेलाल पटेल की साल 2009 में हादसे में मौत के बाद स्थिति पूरी तरह बदल गई. पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए महज 28 साल की उम्र में अनुप्रिया पटेल राजनीति में आईं.

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साल 2012 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी की रोहनिया विधानसभा से चुनाव जीतकर अनुप्रिया पहली बार विधानसभा पहुंचीं. इसके 2 साल बाद लोकसभा चुनाव 2014 में ‘अपना दल’ का बीजेपी से गठबंधन हुआ और अनुप्रिया पटेल पहली बार मिर्जापुर सीट से लोकसभा चुनाव जीतीं.

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36 वर्ष की उम्र में पहली बार अनुप्रिया पटेल मोदी सरकार में मंत्री बनीं. 2019 के लोकसभा चुनाव में वह फिर मिर्जापुर सीट से सांसद चुनी गईं. मोदी सरकार 1.0 में अनुप्रिया को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री बनाया गया था. मोदी सरकार 2.0 में उन्हें केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री बनाया गया है.

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अपना दल में दो फाड़ होने के बाद साल 2016 में अनुप्रिया ने अपनी अलग पार्टी ‘अपना दल (सोनेलाल)’ का गठन किया. 2018 में वह पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं. अनुप्रिया पटेल दिल्‍ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन और एमिटी यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की है. उन्होंने कानपुर के छत्रपति साहू जी महाराज यूनिवर्सिटी से एमबीए भी किया है.

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