अखिलेश का एक ट्वीट बन जाएगा जयंत के BJP संग जाने की वजह? इन 5 वजहों से ले सकते हैं यू-टर्न
सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि जयंत भी NDA कैंप का हिस्सा बन सकते हैं. आइए खबर में आगे जानते हैं क्या हैं वो 5 वजह जिनकी वजह से जयंत यू टर्न ले सकते हैं?
ADVERTISEMENT

Jayant Chaudhary News: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले NDA को सत्ता से हटाने के उद्देशय से बने 'INDIA' ब्लॉक में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. बीते दिनों ब्लॉक के बड़े पार्टनर्स में से एक बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पाला बदलकर NDA का दामन थाम लिया था. वहीं, अब खबर है कि ब्लॉक के एक और साथी और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी भी कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि जयंत भी NDA कैंप का हिस्सा बन सकते हैं. आइए खबर में आगे जानते हैं क्या हैं वो 5 वजह, जिनकी वजह से जयंत यू टर्न ले सकते हैं?
1. डील हुई फाइनल? ऐसी खबर है कि रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने पार्टी नेताओं को सूचित किया है कि भाजपा के साथ बातचीत हो चुकी है और आने वाले दिनों में सीट बंटवारे का विवरण संभवत सुलझा लिया जाएगा. रालोद सूत्रों ने कहा कि उन्होंने नेताओं से यह भी कहा कि घोषणा जल्द ही होने की संभावना है. यह डेवलपमेंट प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी लक्ष्य 'अबकी बार 400 पार' को पूरा करने की भाजपा की कोशिश की पृष्ठभूमि के बीच आया है. दरअसल, पिछले काफी समय से भाजपा पर जाट वोटरों को इकठ्ठा करने का दबाव रहा है. ऐसे में इस बार जाट वोटों को एकजुट करने के लिए भाजपा जयंत को अपने साथ लाने की कोशिश कर रही है.
2. सम्मानजनक सीट बंटवारा: रालोद के सूत्रों ने बताया कि भाजपा कुछ समय से जयंत चौधरी के संपर्क में थी. सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने जयंत से यूपी में सम्मानजनक सीट बंटवारे की बात कही है. साथ ही रालोद को उन सीटों को चुनने के लिए कहा है जो उसकी पारंपरिक गढ़ रही हैं या प्रतिष्ठा का विषय हैं.
3. जयंत बनेंगे केंद्रीय मंत्री? सूत्रों के अनुसार, भाजपा ने जयंत को केंद्र और लखनऊ में एक मंत्री पद का प्रस्ताव दिया है. संभावना है कि जयंत दिल्ली में कैबिनेट मंत्री बनेंगे और अपने नौ विधायकों में से एक को उत्तर प्रदेश में मंत्री नियुक्त कराएंगे.
4. सपा ने नहीं किया अच्छा व्यवहार? यूपी विधानसभा के दौरान सीट बंटवारे को लेकर रालोद और सपा के बीच टेंशन बढ़ी थी. ऐसी चर्चा है कि तब रालोद को लगा कि सपा ने उसके साथ खराब व्यवहार किया. और अखिलेश ने आरएलडी को आवंटित सीटों पर अपने उम्मीदवार उतरवा दिए. सूत्रों के अनुसार, इंडिया ब्लॉक बनने के बाद हालात और बदतर हो गए और सपा प्रमुख जूनियर पार्टनर (रालोद) को हल्के में लेते रहे. रालोद कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर पर चुनाव लड़ने के लिए जोर दे रही थी, लेकिन इसकी बजाय उसे भाजपा के गढ़ फतेहपुर सीखरी और मथुरा की पेशकश की जा रही थी. हालात तब बिगड़ गए जब रालोद को लगा कि अखिलेश इस बात पर भी अपनी बात रखना चाहते हैं कि आरएलडी से कौन चुनाव लड़ेगा? और वह आरएलडी द्वारा मुस्लिम उम्मीदवारों को खड़ा करने के खिलाफ थे.
यह भी पढ़ें...
5. एक ट्वीट ताबूत में आखिरी कील? इतना ही नहीं, अखिलेश मुजफ्फरनगर सीट से हरिंदर मलिक के लिए दावेदारी पेश कर रहे थे. बता दें कि हरिंदर मालिक जयंत चौधरी के परिवार के पारंपरिक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रहे हैं. एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि ताबूत में आखिरी कील तब लगी जब अखिलेश यादव ने हरिंदर मलिक की तस्वीर ट्वीट की. वहीं, रालोद के साथ गठबंधन की घोषणा करने के ठीक बाद अखिलेश ने जाटों के मलिक समुदाय को संबोधित किया. इससे यह बात समझी गई कि अखिलेश, जयंत को अपनी योजनाओं को लेकर सीधा और साफ संदेश दे रहे हैं.
जयंत को लेकर अखिलेश ने दिया बड़ा बयान
जयंत चौधरी की भाजपा के साथ जाने की अटकलों के बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, "...जयंत चौधरी जी बहुत सुलझे हुए हैं. वे राजनीति को समझते हैं. मुझे उम्मीद है कि किसानों की लड़ाई के लिए जो संघर्ष चल रहा है, वे उसे कमजोर नहीं होने देंगे."