विधान भवन परिसर में धरना देने से पहले हिरासत में लेने पर सपा MLA ने पुलिस पर लगाए ये आरोप
कानून-व्यवस्था, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) का उत्तर प्रदेश विधान भवन में प्रस्तावित धरना बुधवार को नहीं शुरू हो…
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कानून-व्यवस्था, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) का उत्तर प्रदेश विधान भवन में प्रस्तावित धरना बुधवार को नहीं शुरू हो पाया, क्योंकि पुलिस ने पार्टी विधायकों और नेताओं को हिरासत में लेकर धरना स्थल की तरफ जाने से रोक दिया. बुधवार के धरने में सपा प्रमुख अखिलेश यादव के शामिल होने का कोई कार्यक्रम नहीं था, इसलिए वह पार्टी मुख्यालय से बाहर नहीं निकले.
बाद में पुलिस सपा विधायकों और नेताओं को बस में लेकर शहर के धरना स्थल इको गार्डन पहुंची. पार्टी नेताओं का आरोप है कि पुलिस ने विधायकों के साथ धक्का-मुक्की की, जिससे कुछ लोगों को चोटें आई हैं. हालांकि, पुलिस ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि विधायकों को सम्मान के साथ पुलिस की गाड़ी में बैठाकर इको गार्डन छोड़ा गया.
सपा के विधानभवन स्थित चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के सामने प्रस्तावित धरने को देखते हुए सुबह से ही विधानसभा के आसपास और समाजवादी पार्टी के विक्रमादित्य मार्ग स्थित मुख्यालय पर सुरक्षा के कड़े इंतजााम किए गए थे. पुलिस ने सपा कार्यालय के बाहर बैरिकेड लगाकर किसी के भी आने-जाने पर रोक लगा रखी थी. बुधवार सुबह करीब 11 बजे सपा के कई विधायक और नेता पार्टी कार्यालय से विधानभवन की तरफ निकले, लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां जाने से रोक दिया.
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राजधानी में बुधवार सुबह से जारी रही बारिश के बीच सपा विधायक और कार्यकर्ता हाथों में बैनर लेकर मंहगाई और कानून-व्यवस्था के खिलाफ नारे लगाते हुए जैसे ही पार्टी कार्यालय से बाहर निकले, वहां पहले से मौजूद भारी पुलिस बल ने उन्हें रोक लिया. इस दौरान सपा विधायकों, कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की व झड़प भी होने की खबर है.
संयुक्त पुलिस आयुक्त पीयूष मोर्डिया ने पत्रकारों से कहा कि विधानभवन के आसपास धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं है, जिसके चलते प्रदर्शनकारियों को वहां जाने से रोका गया. उन्हें धरना स्थल इको गार्डन ले जाया गया. उन्होंने दावा किया कि विधायकों को पूरे सम्मान के साथ पुलिस की गाड़ी में बैठकार इको गार्डेन पहुंचाया गया.
बाद में पुलिस आयुक्त कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा, “उच्च न्यायालय के आदेश के तहत लखनऊ का चिन्हित धरना स्थल इको गार्डन है. विधानभवन पर धरना-प्रदर्शन से आम जनता को काफी असुविधा होगी. चूंकि, विधानभवन उच्च सुरक्षा जोन में आता है, इसलिए वहां किसी तरह का धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं है.” बयान में कहा गया है, “उच्च न्यायालय के आदेशों का अनुपालन करते हुए ईको गार्डन पर धरना-प्रदर्शन किए जाने से लखनऊ पुलिस को कोई आपत्ति नहीं है.
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यदि ईको गार्डन पर धरना-प्रदर्शन किया जाता है तो सुरक्षा के समुचित इंतजाम किए जाएंगे.” बाद में पार्टी के विधायकों और कार्यकर्ताओं के साथ इको गार्डन में धरना दे रहे समाजवादी पार्टी के विधानमंडल दल के मुख्य सचेतक मनोज कुमार पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मैंने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर 14 से 18 सितंबर तक विधानभवन स्थित चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के सामने पार्टी के प्रस्तावित धरने के बारे में जानकारी दी थी. हम कानून-व्यवस्था, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से धरना देना चाहते हैं. हमारा प्रदर्शन या हंगामा करने का कोई इरादा नहीं है.
” उन्होंने कहा, “विधायकों को विधानभवन में जाने का अधिकार है. बावजूद इसके हमें जाने नहीं दिया गया और जबरन पुलिस की गाड़ी में बैठाकर इको गार्डन छोड़ दिया गया. ” पांडेय ने आरोप लगाया कि पुलिस ने सपा विधायकों और कार्यकर्ताओं पर बल प्रयोग किया और उन्हें जबरदस्ती पुलिस की गाड़ी में बैठाकर इको गार्डन पहुंचा दिया गया. उन्होंने कहा, “पुलिस की धक्का-मुक्की से मेरे पैर में चोट आई है और हाथ में सूजन है. ऐसा लगता है कि हाथ की हड्डी टूट गई है.
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धरने के बाद मैं डॉक्टर को दिखाऊंगा. ” पांडेय ने बताया कि बुधवार के धरने में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के शामिल होने का कोई कार्यक्रम नहीं था, लेकिन वह सपा मुख्यालय में बैठकर पूरी व्यवस्था पर नजर रखे हुए हैं और पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को जरूरी दिशा-निर्देश दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि बुधवार के धरने में 19 मौजूदा विधायक, 17 पूर्व विधायक और हजारों कार्यकर्ता शामिल हुए. धरना 18 सितंबर तक रोज चलेगा और पार्टी के विधायक और पूर्व विधायक शामिल होते रहेंगे.
विधानसभा में धरने की अनुमति के बारे में पूछे जाने पर विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जाानकारी नहीं है. इससे पहले, सपा ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने प्रस्तावित धरने में शामिल होने की तैयारी कर रहे पार्टी के कई विधायकों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया. पार्टी ने ट्वीट किया था, “लोकतंत्र की हत्या करना बंद करे सरकार!
आज विधानसभा में जनहित के मुद्दों को उठाने के लिए धरना देने जा रहे सपा विधायकों को पुलिस ने पहले घरों से बाहर नहीं निकलने दिया. अब लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ‘मीडिया’ के बंधुओं को सपा विधायकों से बात भी नहीं करने दे रही पुलिस. घोर निंदनीय!” उसने आगे लिखा था, “भाजपा (भारती जनता पार्टी) सरकार को क्या लगता है कि सपा कार्यालय पर बल तैनात कर वह समाजवादियों को डरा लेगी?
समाजवादी पार्टी का एक-एक नेता व कार्यकर्ता जनता से जुड़े मुद्दों पर आमजन के साथ खड़ा है. हम सत्ता के दबाव के आगे झुकेंगे नहीं. जय समाजवाद!” सपा की बुधवार सुबह 11 बजे विधानभवन स्थित चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के पास धरना देने की योजना थी. इसके मद्देनजर धरना स्थल और पार्टी के विक्रमादित्य मार्ग स्थित मुख्यालय पर सुरक्षा के कड़े इंतजााम किए गए थे. समाजवादी पार्टी का यह प्रस्तावित धरना 14 से 18 सितंबर तक होना है.रहेगा।
गौरतलब है कि 19 सितंबर से उत्तर प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने वाला है, जो 23 सितंबर तक चलेगा. मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के तेवर संकेत देते हैं कि आगामी सत्र हंगामेदार होगा.
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